‘बाल विवाह प्रभावितों की आपबीती कार्यक्रम’
वाराणसी, 09 दिसम्बर 2022। बाल विवाह एक ऐसा अभिशाप है, जो किसी भी बालक या बालिका के न सिर्फ वर्तमान बल्कि उसके पूरे जीवन चक्र को प्रभावित करता है। यह उनके जीवन के विकास, सुरक्षा और सहभागिता के अधिकारों को पूरी तरह से वंचित कर देता है। उक्त विचार ‘बाल विवाह प्रभावितों की आपबीती कार्यक्रम’ में वक्ताओं ने व्यक्त किया।
‘बाल विवाह प्रभावितों की आपबीती कार्यक्रम’
कम उम्र में विवाह से आई दुश्वारियों पर पीड़ितों ने बयाँ किया दर्द
वन स्टॉप सेंटर में आयोजित हुआ कार्यक्रम
वाराणसी, 09 दिसम्बर 2022।
बाल विवाह एक ऐसा अभिशाप है, जो किसी भी बालक या बालिका के न सिर्फ वर्तमान बल्कि उसके पूरे जीवन चक्र को प्रभावित करता है। यह उनके जीवन के विकास, सुरक्षा और सहभागिता के अधिकारों को पूरी तरह से वंचित कर देता है। उक्त विचार ‘बाल विवाह प्रभावितों की आपबीती कार्यक्रम’ में वक्ताओं ने व्यक्त किया।
डॉ.शम्भुनाथ सिंह रिसर्च फाउंडेशन (एसआरएफ) की ओर से सहयोगी संस्था चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राय) तथा महिला कल्याण विभाग के सहयोग से पाण्डेयपुर स्थित वन स्टॉप सेंटर में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस में विभिन्न आयु वर्ग की 11 बालिकाओं व महिलाओं ने आपबीती सुनाई व कम उम्र में हुए विवाह से उनके जीवन में आई दुश्वारियों पर अपना दर्द बयां किया। अमरपुर बटलोइया की फिरोजा, दानियालपुर की चांदनी, राजातालाब की प्रीति, मुनारी की पूनम आदि ने कम उम्र में विवाह, 18 वर्ष पहले बच्चे, पति और ससुराल की प्रताड़ना और उनसे उत्पन्न दुश्वारियों की चर्चा की। पुलकोहना की रिया, चंद्रा चौराहे की मंशा, हरिश्चंद्र घाट की दामिनी आदि ने भी कम उम्र में हुए विवाह, पति के नशे की आदत, घरेलू कलह, लड़के की चाह में लगातार लड़कियों के पैदा होने और उसके कारण ससुराल से निकाल देने से मायके में भी हो रहे उत्पीड़न को बया करते हुए मदद की गुहार लगाई। वहीं रोल मॉडल के रूप में उपस्थित संध्या ने बाल विवाह के दंश से उबरकर पुनः अपने पैरों पर खड़े होने और अन्य को भी राह दिखाने कि बात रखी।
कार्यक्रम में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य निर्मला सिंह पटेल ने कहा कि बाल विवाह, बालक-बालिका के पूरे जीवन को प्रभावित करता है, अतः हम सभी का कर्तव्य है कि अपने समाज में घटित हो रहे इस कुप्रथा पर नजर रखें और इसे जड़ से समाप्त करें। आयोग के एक अन्य सदस्य इंजी. अशोक यादव ने भी बाल विवाह की रोकथाम के लिए आयोग की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि हम सभी का यह कर्तव्य है कि कोई भी बच्चा बाल विवाह के दुष्चक्र में ना फसे।
अपर जिला जज एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा ) के सचिव प्रमोद कुमार गिरी ने कहा कि कोई भी बाल विवाह से पीड़ित बालक-बालिका अपने विवाह को शून्य कराने तथा बाल विवाह से उत्पन्न बच्चो के भरण पोषण के लिए डालसा से निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त कर सकता है। अन्य प्रस्तुत मामलों में भी डालसा द्वारा उसकी पूरी सहायता की जाएगी। सहायक पुलिस आयुक्त प्रियश्री पाल ने कहा कि वाराणसी पुलिस अपने महिला आरक्षियों के माध्यम से प्रत्येक थाने पर महिला हेल्प डेस्क संचालित कर रही है, उन्हें यह निर्देश दिया गया है कि ऐसे मामलों पर नजर रखेें और उन पर थानों में तैनात बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों के माध्यम से तत्काल हस्तक्षेप करें।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ समाजकार्य विभाग की प्रोफेसर डॉ. निमिषा गुप्ता ने कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक समस्या है, जिसे सिर्फ कानून के माध्यम से नहीं बल्कि समाज विशेषकर बालिकाओं को शिक्षित और समृद्ध बनाकर, जागरुकता और संवेदनशीलता के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है। महिला कल्याण विभाग, वाराणसी मंडल के उप निदेशक तथा वाराणसी के जिला प्रोबेशन सह बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी सुधाकर शरण पांडेय ने कहा कि मंडल में बाल विवाह की घटनाओं पर कड़ी नजर है और मिशन वात्सल्य के अंतर्गत प्रत्येक गांव व शहरी वार्डो में बाल संरक्षण समितियों का गठन कराकर इस पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी और अब तक जो मामले घटित हो चुके हैं उन्हें विभिन्न योजनाओं के तहत यथासंभव राहत पहुंचाने का कार्य किया जाएगा
कार्यक्रम की संयोजक डॉ. रोली सिंह ने प्रत्येक केस के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रत्येक मामलों में अब तक की कार्रवार्इ और उनकी प्रत्याशाओ से पैनलिस्टों को अवगत कराया। कार्यक्रम में बाल कल्याण समिति की डॉ. प्रीति वर्मा, किशोर न्याय बोर्ड के टीएन शुक्ला, महिला कल्याण अधिकारी अंकिता श्रीवास्तव, जिला समन्वयक प्रियंका राय, रेखा श्रीवास्तव, वन स्टॉप सेंटर की प्रबंधक रश्मि दुबे, काउंसलर खुशबू सहित दीक्षा, दीपिका, श्वेता, प्रीति, धीरज, अनिल, प्रमोद, सुधा चंद्रबली, सरिता, प्रीति, शकुंतला, काजल, श्रेया आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत संस्था के महासचिव राजीव कुमार सिंह ने किया।
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