---तो इसलिए सभी के लिए जरूरी है फाइलेरिया रोधी दवा खाना
जौनपुर, 27 दिसम्बर 2022। प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) की डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर सरिता मिश्रा कहती हैं कि वर्ष 2021 में एमडीए अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा खिलाते समय शहरी क्षेत्र अंतर्गत कटघरा के अलबीरगढ़ टोला, वाजिदपुर की हरिजन बस्ती, मुस्लिम बस्ती और मियांपुर में लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा।
---तो इसलिए सभी के लिए जरूरी है फाइलेरिया रोधी दवा खाना
एहतियातन
उचेरिया बैंकफ्टी संक्रमित मच्छर के काटने के पांच वर्ष बाद प्रभावित व्यक्ति के शरीर में दिखते हैं लक्षण
-पांच वर्ष लगातार वर्ष में एक बार दवा खाकर आजीवन फाइलेरिया की समस्या से हो जाएंगे मुक्त
-दूसरों में संक्रमण फैलने का खतरा हो जाएगा कम
जौनपुर, 27 दिसम्बर 2022। प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) की डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर सरिता मिश्रा कहती हैं कि वर्ष 2021 में एमडीए अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा खिलाते समय शहरी क्षेत्र अंतर्गत कटघरा के अलबीरगढ़ टोला, वाजिदपुर की हरिजन बस्ती, मुस्लिम बस्ती और मियांपुर में लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। उनका कहना था कि जब उन्हें फाइलेरिया नहीं है तो वह फाइलेरियारोधी दवा क्यों खाएं? ऐसी ही स्थिति सिकरारा ब्लाक अंतर्गत बोधापुर, पीठापुर, हरबल्लमपुर गांव में तत्कालीन आशा कार्यकर्ता तथा वर्तमान में आशा संगिनी निर्मला को भी आई थी।
इस तरह की स्थितियों का सिर्फ़ इन्हें ही नहीं सामना नहीं करना पड़ा। ज्यादातर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने ऐसी स्थितियों का सामना किया और लोगों को समझा-बुझाकर दवा खिलाई। वहीं मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह कहती हैं कि एमडीए अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा खाकर भविष्य की परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती है।
वह बताती हैं कि परजीवी उचेरिया बैंकफ्टी संक्रमित मच्छर के काटने के बाद लिम्फोडिमा के परजीवी मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। बावजूद इसके फाइलेरिया के लक्षण आने (जैसे हाथ-पैर फूलना आदि) में पांच से छह वर्ष लग जाते हैं। एक बार लक्षण आ जाने के बाद वह लिम्फोडिमा का रोगी हो जाता है। एक बार रोगी हो जाने के बाद सामान्य स्थिति में आना अत्यधिक कठिन है क्योंकि एक बार सूजन हो जाने के बाद वह खत्म नहीं होती है।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) भानु प्रताप सिंह कहते हैं कि ऐसी स्थिति में लगातार पांच वर्ष तक वर्ष में एक बार दवा का सेवन कर फाइलेरिया की बीमारी को खत्म किया जा सकता है। इस दौरान यदि माइक्रो फाइलेरिया शरीर के अंदर है तो भी वह समाप्त हो जाता है।
दवा खाने का दूसरा लाभ यह है कि संक्रमित व्यक्ति से उसके परिवार में संक्रमण नहीं फैल पाता है। चूंकि फाइलेरिया की जांच रात में होती है इसलिए ज्यादातर को पता चला नहीं चल पाता और वह जांच भी नहीं करवा पाते हैं। ऐसे में वर्ष में एक बार दवा का सेवन ही श्रेयस्कर है। यह दवा भी पूर्णतया सुरक्षित है।
उचरेरिया बैंकफ्टी प्रभावित मच्छर के काटने पर हाथ-पैर फूलने से पहले हल्का बुखार और हल्की खांसी आ सकती है लेकिन उस समय फाइलेरिया पर किसी का संदेह नहीं जाता है। उस समय लोग उसे सामान्य सर्दी-खांसी और बुखार समझकर उसे नजरंदाज कर देते हैं। लेकिन एक बार इसकी वजह से बीमार हो जाने या हाथ-पैर फूल जाने पर शरीर फिर से पहले की तरह सामान्य स्थिति में नहीं आता है। ऐसी स्थिति में रुग्णता प्रबंधन ही किया जा सकता है और परेशानियों को कम किया जा सकता है। बावजूद इसके परेशानियां पूरी तरह से समाप्त नहीं होती हैं। दूसरी बात परिवार के अन्य सदस्यों के भी प्रभावित होने का खतरा बराबर बना रहता है। संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद मच्छर खुद संक्रमित होकर परिवार, पड़ोस, अगल-बगल में जिसे भी काटेगा, उसे संक्रमित कर देगा। वह इस तरह से संक्रमण को बढ़ाता रहेगा। इसलिए दवा खाना बहुत जरूरी है।
अपर मलेरिया अधिकारी (एएमओ) संजीव मिश्रा कहते हैं कि 10 फरवरी से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान शुरू हो रहा है। अभियान के दौरान लोगों से स्वास्थ्यकर्मियों का सहयोग करने और दवा का सेवन कर फाइलेरिया के परजीवी से मुक्ति पाने की अपील की जा रही है। इस दवा का सेवन दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती तथा अत्यधिक बीमार लोगों को दवा का सेवन नहीं करना है।
अभियान के दौरान लोगों को डाई इथाइल कार्बामाजिन सिट्रेट (डीईसी) और एलबेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। एक से दो वर्ष के बच्चों को आधी एलबेंडाजोल टैबलेट तथा दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को एक टैबलेट खिलाई जाएगी। इसके साथ ही डीईसी की दवा भी खिलाई जाएगी लेकिन दो वर्ष तक के बच्चों को डीईसी नहीं दी जाती है।
दो से पांच वर्ष तक के बच्चों को एक टैबलेट, छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को दो टैबलेट तथा 15 वर्ष या उससे ऊपर के लोगों को डीईसी की तीन टैबलेट खिलाई जाएगी।
बताया कि जनपद में वर्ष 2021-22 के एमडीए अभियान से पूर्व घर-घर जाकर स्वास्थ्यकर्मियों ने हाइड्रोसील के रोगियों को खोजा था । इसमें कुल 1,552 रोगी चिह्नित किए गए थे । जनपद में कुल चिह्नित रोगियों में से 757 हाइड्रोसील रोगियों का ऑपरेशन कराया जा चुका है । शेष का जनवरी में कैम्प लगाकर ऑपरेशन कराया जाएगा ।
बताया गया कि इसी तरह से वर्ष 2021-22 के एमडीए अभियान के पूर्व जनपद में कुल 5,224 लिम्फोडिमा के रोगी चिह्नित किए गए थे।
इनमें से 1,227 को रुग्णता प्रबंधन प्रशिक्षण तथा एमएमडीपी किट दी गई। शेष को जनवरी में सामुदायिक/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी/पीएचसी) तथा हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों पर कैम्प लगाकर रुग्णता प्रबंधन का प्रशिक्षण देने एवं किट देने के लिए प्रशिक्षित किया गया।
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