पीएफ आई एक आतंकी संगठन वैन अति आवश्यक जाने PFI क्या है , और क्यों प्रतिबंध है जरूरी
क्या पी . एफ आई , पर प्रतिबंध उचित है ? 9/11 हमले के परिणामस्वरूप कतर के एक प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान शेख यूसुफ करादावी ने कहा था कि " सभी मुसलमानों कि यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वो उन सभा के विरुद्ध एकता के साथ खड़े हो जो बिना किसी तर्कसंगत कारण के मासूमों को आतंकित करते हैं और गैर - लडाकुओं की हत्या करते हैं । इस्लाम में खून के बहाव और संपत्ति के बरबादी को कयामत के दिन तक मना किया गया है । इन अपराधियों को और साथ में जो इसे भड़काते हैं , धन मुहैया कराते हैं और किसी अन्य प्रकार से मदद करते हैं को पकड़ना अति आवश्यक है
क्या पी . एफ आई , पर प्रतिबंध उचित है ? 9/11 हमले के परिणामस्वरूप कतर के एक प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान शेख यूसुफ करादावी ने कहा था कि " सभी मुसलमानों कि यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वो उन सभा के विरुद्ध एकता के साथ खड़े हो जो बिना किसी तर्कसंगत कारण के मासूमों को आतंकित करते हैं और गैर - लडाकुओं की हत्या करते हैं ।
इस्लाम में खून के बहाव और संपत्ति के बरबादी को कयामत के दिन तक मना किया गया है । इन अपराधियों को और साथ में जो इसे भड़काते हैं , धन मुहैया कराते हैं और किसी अन्य प्रकार से मदद करते हैं को पकड़ना अति आवश्यक है । उन्हें निश्चित ही निष्पक्ष अदालत में लाया जाये और न्यायसंगत सजा सहयोग करें " । मुकर्रर की जाये ।
यह मुसलमानों का कर्तव्य है कि इस प्रयास में सभी उपलब्ध माध्यम से लगभग दो दशक के बाद भी इन स्वर्णिम शब्दों की गूंज वर्तमान में सुनाई पड़ती है । ऐसे संगठनों की कोई कमी नहीं है , जो बिना किसी कारण मासूमों की हत्या और उन्हें आतंकित करते हैं । अलकायदा के बाद तालीवान फिर उसके बाद आई.एस.आई.एस. की उत्पत्ति विदेशों में हुई है और ऐसा लगता है कि भारत पर इसका कम प्रभाव होगा । आम जनता यह सोचती है कि हिंसा पर आधारित ऐसे संगठन भारत जैसे शांतिप्रिय देश में कभी पनप नहीं पायेंगे । यह मासूम दृष्टिकोण पहले सिमी फिर इसके उत्तराधिकारी जिसे हम पी . एफ.आई. के नाम से जानते हैं द्वारा शोषित किया गया । पी.एफ.आई. का नाम प्रायः ऐसे सभी अपराध में दर्ज है जहां अपराधी / आतंकवादी गतिविधि देखी गई है । तीन मुस्लिम संगठनों , नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ केरल , कर्नाटक फोरम फोर डिगनिटि एवं तमिलनाडू के मनीथा नीथि पसारी को मिलाकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की शुरुआत केरल में सन् 2006 में की गई थी ।
ज्यादातर पी.एफ.आई. के वर्तमान और पूर्व के नेता प्रतिबंधित स्टुडेंट इस्लामिक मुवमेंट ऑफ इंडिया ( सिमी ) के सदस्य रह चुके हैं । सामप्रदायिक अशांति या उसके पर्दाफाश होने के हर दौर के बाद प्रायः इन दिनों सिर्फ सी.एफ.आई. का ही नाम नजर आता है । नागरिकता संशोधन विरोध और उसके बाद घटित हंसा के बाद इसका नाम इंटेलिजेंस रडार पर है ।
पी.एफ.आई. जिसका नाम हमेशा से ही स्लिम युवाओं को कट्टर बनाने और राष्ट्रविरोधी ताकतों से नियमित संबंध रखने के कारण स पर प्रतिबंध वर्तमान समय की मांग थी । इसके शुरूआत से ही पी.एफ.आई. का संबंध बहुत रे संघर्षों और राजनीतिक हत्या से है । यह कम से कम 30 राजनीतिक हत्या में संलिप्त है । न 2015 में केरल के एक प्रोफेसर टी.जे. जोसफ जिनपर प्रश्नपत्र बनाने के दौरान तथाकथित निंदा का आरोप लगा था ,
उनके हांथों को पी.एफ.आई. कार्यकर्ताओं ने काट दिया था , इस दर्भ में पी.एफ.आई. के 13 कार्यकर्ताओं को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी । 02 पहले कुन्नूर में एक ए.बी.वी.पी. कार्यकर्ता के हत्या के आरोप में 6 पी.एफ.आई. चकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था और अर्नाकूलम के महाराजा कॉलेज के एस.एफ. नेता अभिमन्यू के तथाकथित हत्या के आरोप में भी 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया वर्तमान में इसके अध्यक्ष ओ.एम.ए. सलाम केरल स्टेट इलेक्ट्रीसीटी बोर्ड लि . में वरिष्ठ यक को गंभीर कदाचार के आरोप में निलंबित कर दिया है ।
120 करोड़ रूपये के हवाला बार के आरोप में इ.डी. द्वारा पी.एफ.आई. पर जांच किया जा रहा है । 4
[15:23, 9/29/2022] Ram Sunder MishraR भारत: जब अल - कायदा अपना पांव पूरे यू.एस.ए. में फैला रहा था तब प्रशासन ने बहुत सारे इंटेलिजेंस एजेंसियों द्वारा अल - कायदा से संबंधित हिंसक गुप्त सूचना को अनदेखा किया था । बाद में इसके सख्ती के कारण इस पर नरमी बरती गई । इससे पहले कि पी.एफ.आई. हमारे देश को अंदरूनी रूप से हानि पहुंचाये , भारत सरकार ने दूसरों से सबक लेते हुये पी . एफ.आई. को प्रतिबंधित कर दिया । समय से पहले किये गये इस कदम से कट्टर संगठन की पूर्णरूप से घेराबंदी कर दी गई है । इस साहसी कदम का स्वागत करना चाहिए । ( मसूर खान , लेखक सूफी इस्लामिक बोर्ड के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । )
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