काशी में में धनतेरस पर बरस रहा माता अन्नपूर्णेश्वरी का खजाना, स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

वाराणसी ;- धनतेरस पर काशी में स्वर्णमयी माता अन्नपूर्णा का खजाना दोपहर एक बजे से बंट रहा है। वर्ष में एक बार पंच पर्व पर खुलने वाले माता के कपाट शुक्रवार को खुले तो भक्त माता को स्वर्णमयी आभा देख निहाल हो गए। हजारों भक्त कतारबद्ध होकर दर्शन कर रहे हैं।

काशी में  में धनतेरस पर बरस रहा माता अन्नपूर्णेश्वरी का खजाना, स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

काशी में  में धनतेरस पर बरस रहा माता अन्नपूर्णेश्वरी का खजाना, स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

 वाराणसी ;- धनतेरस पर काशी में स्वर्णमयी माता अन्नपूर्णा का खजाना दोपहर एक बजे से बंट रहा है। वर्ष में एक बार पंच पर्व पर खुलने वाले माता के कपाट शुक्रवार को खुले तो भक्त माता को स्वर्णमयी आभा देख निहाल हो गए। हजारों भक्त कतारबद्ध होकर दर्शन कर रहे हैं।

Story: वाराणसी। धनतेरस के दिन काशी में माता अन्नपूर्णा का खजाना बंट रहा है। इस खजाने को लेने और माता का दर्शन करने के लिया हजारों भक्त उमड़े हैं । माता के इस स्वरूप का दर्शन साल में सिर्फ धनतेरस से अगलेपंच दिनों तक होता है। ऐसे में माता का दर्शन करने के लिए 

वाराणसी। धनतेरस तिथि से युक्त शुक्रवार दोपहर का समय। माता अन्नपूर्णा का दरबार। स्वर्ण प्रतिमा कक्ष का द्वार खुल चुका है। मंदिर के छोटे से कमरे में विराजमान देवी की सुनहरी छवि को हर कोई नजर भर कर देख लेना चाह रहा है। भीड़ का दबाव इतना कि स्वर्ण अन्नपूर्णा की एक झलक ही मिल पा रही है। माता के दरबार में दर्शन और खजाने की चाहत में आस्थावानों का सैलाब उमड़ पड़ा था। महंत शंकर पुरी ने खजाना वितरित किया। अन्नकूट तक भक्तों के लिए पट खुलने से पहले उन्होंने माता के स्वर्ण विग्रह और खजाने का विधि पूर्वक पूजन किया।

पांच दिन होंगे दर्शन
काशी पुराधीश्वरी माता अन्नपूर्णा ने धनत्रयोदशी को अपने आशीर्वाद का खजाना खोल दिया। दर्शन के लिए भारी संख्या में नर-नारी, बाल-वृद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के पार्श्व में स्थित अन्नपूर्णा मंदिर पहुंचे। दर्शन का क्रम अन्नकूट महोत्सव, 14  नवंबर तक चलेगा। इस दौरान मंदिर परिसर और आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

महंत ने किया मां का शृंगार
महंत शंकर पुरी ने पांच ब्राह्मणों के आचार्यत्व में एक घंटे तक सविधि शृंगार कर पूजन किया। आरती के बाद दोपहर एक बजे आम भक्तों के लिए पट खोल दिया गया। महंत जी ने अपने हाथों से भक्तों को लावा व खजाना दिया।

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