काशी विश्वनाथ मंदिर मॉडल अनावरण पर बोले बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ख़त्म होगा वर्शिप एक्ट - 1991 कानून
वाराणसी। ज्ञानवापी और मां श्रृंगार गौरी केस में लगातार मुस्लिम पक्ष के द्वारा वोट में लगातार 1991 वरशिप एक्ट का हवाला देकर केस को खारिज किए जाने की गुहार लगाया जा रहा है। वही इस विवाद के बीच दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी का एक बड़ा बयान सामने आया है। दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने 1991 वरशिप एक्ट को समाप्त किए जाने की बात कही है।
काशी विश्वनाथ मंदिर मॉडल अनावरण पर बोले बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ख़त्म होगा वर्शिप एक्ट - 1991 कानून
ज्ञानवापी विवाद के बीच मनोज तिवारी का बड़ा बयान, हटा दिया जाएगा 1991 वरशिप एक्ट, मानसिक विक्षिप्तता से गुजर रहे स्वामी प्रसाद मौर्य !
वाराणसी। ज्ञानवापी और मां श्रृंगार गौरी केस में लगातार मुस्लिम पक्ष के द्वारा वोट में लगातार 1991 वरशिप एक्ट का हवाला देकर केस को खारिज किए जाने की गुहार लगाया जा रहा है। वही इस विवाद के बीच दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी का एक बड़ा बयान सामने आया है। दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने 1991 वरशिप एक्ट को समाप्त किए जाने की बात कही है। वाराणसी में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं मॉडल अनावरण कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में इतने कानून समाप्त किए गए है, तो 1991 को भी समाप्त कर दिया जाएगा।
पहले भी संविधान संशोधन हुआ है, दो -चार और कानून संशोधित हो जाएगा : मनोज तिवारी
वाराणसी के सांस्कृतिक संकुल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि 2200 कानून को बदला गया है, तो 1991 को भी हटा दिया जाएगा। यह संसद की व्यवस्था है। संविधान संशोधन हम पहला नही करेंगे, इससे पहले 104 बार हो चुका है, तो 2 से 4 और हो जाएगा। गौरतलब है कि 1991 वरशिप एक्ट को लेकर देश में चर्चा का माहौल है। वही ज्ञानवापी केस के दौरान इस एक्ट का हवाला लगातार मुस्लिम पक्ष के द्वारा दिए जा रहा है। लाजमी है कि मनोज तिवारी के द्वारा दिया गया यह बयान 1991 वरशिप एक्ट की चर्चा को एक बार फिर सुर्खियों में लाएगा।
स्वामी प्रसाद मौर्य मानसिक विक्षिप्तता की स्थिति में है, अखिलेश यादव को बनानी चाहिए दूरी : मनोज तिवारी
मनोज तिवारी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा मंदिरों का सर्वे करवाए जाने पर बौद्ध मंदिर मिलने का बयान पर कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य मानसिक विछिप्तता की स्थित में है, जैसे किसी इंसान को करंट लगने पर उसका विवेक चला जाता है, जब से स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनैतिक समीकरण बिगड़ा है। एक समय स्वामी प्रसाद मौर्य मंत्री होते थे और उनकी राजनीति में तूती बोलती थी। मायावती के साथ स्वामी प्रसाद रहते और जो वह कह देते वही कानून मान लिया जाता था, आज उनके घर की बकरी भी उनकी बात मानने को तैयार नही। स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोगो को जब राजनैतिक करंट लगता है, तो क्या होता है, यह पता है। अखिलेश यादव यदि स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोगो से अलग होंगे, तब जाकर उन्हें 15 से 20 साल बाद मौका मिल सकता है।
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