बनारस के लकड़ी उद्योग का दक्षिण भारत में बढ़ा दबदबा
वाराणसी, 27 सितम्बर: प्रदेश के ओडीओपी और जीआई टैग के तहत आने वाले उत्पाद लकड़ी के खिलौनों की मांग दक्षिण भारत के गोलू फेस्टिवल में बढ़ती जा रही है। दरअसल, साउथ इंडिया में होने वाले 10 दिनों के गोलू त्योहार में अन्य खिलौनों के साथ बनारस के लकड़ी उद्योग के खिलौने एवं मूर्तियाें को भी सजा कर पूजा की जाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जिला एक उत्पाद तथा पीएम मोदी ने जीआई टैग के जरिए लकड़ी के खिलौना उद्योग को जो अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई, यह उसी का नतीजा है कि दुनिया में इसकी मांग बढ़ती जा रहा है और पूर्वांचल के शिल्पियों के साथ हुनरमंद को उनकी कलाकारी का वाजिव दाम मिल रहा है।
वाराणसी, 27 सितम्बर: प्रदेश के ओडीओपी और जीआई टैग के तहत आने वाले उत्पाद लकड़ी के खिलौनों की मांग दक्षिण भारत के गोलू फेस्टिवल में बढ़ती जा रही है। दरअसल, साउथ इंडिया में होने वाले 10 दिनों के गोलू त्योहार में अन्य खिलौनों के साथ बनारस के लकड़ी उद्योग के खिलौने एवं मूर्तियाें को भी सजा कर पूजा की जाती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जिला एक उत्पाद तथा पीएम मोदी ने जीआई टैग के जरिए लकड़ी के खिलौना उद्योग को जो अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई, यह उसी का नतीजा है कि दुनिया में इसकी मांग बढ़ती जा रहा है और पूर्वांचल के शिल्पियों के साथ हुनरमंद को उनकी कलाकारी का वाजिव दाम मिल रहा है।
बनारस के कारीगरों में अद्भुत कारीगरी
गोलू यानी फेस्टिवल ऑफ़ डॉल्स दक्षिण भारत में शरद ऋतु नवरात्र में गुड़ियों का उत्सव है। ये दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। 10 दिनों तक चलने वाले इस गुड़िया फेस्टिवल में देवी देवताओं की मूर्तियों के साथ घर में रहे सारे गुड्डे गुड़ियां एवं खिलौनों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
विषम संख्या (3,5,7,9 ) की सीढ़ीनुमा (स्टेप्स) सेज बनाकर मूर्तियाें को सजाया जाता है। हर साल कम से कम तीन मूर्तियों को झांकी में जोड़ने की परंपरा है।
इन मूर्तियों में बनारस के लकड़ी के खिलौने को अपनी कारीगरी और सुंदरता के कारण ख़ासा पसंद किया जा रहा है। मैसूर के मशहूर खिलौनों के शोरूम के मालिक आरजी सिंह ने बताया कि बनारस के लकड़ी के खिलौने की शिल्पी काफी हुनरमंद है, उनके हाथों में अद्भुत कारीगरी है, वे बड़े भाव से लकड़ी पर भगवान की आकृति बनाते हैं।
उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत की परिवेश से मिलती जुलती मूर्तियों को बनाने का ऑर्डर वे बनारस के शिल्पियों को देते हैं। उनके स्टोर से वाराणसी के लकड़ी के ख़िलौने में गोलू फेस्टिवल में राजा, राजा का हाथी उनका लावलश्कर, घोड़े, भगवन राम, राम दरबार, श्री कृष्ण, मां दुर्गा आदि देवी देवताओं की मूर्तियां ज़्यादा बिकती हैं। अन्य दिनों में देवी देवताओं के मूर्तियों के साथ घरों में सजाने के लिए लकड़ी के खिलौनों की मांग खूब रहती है।
What's Your Reaction?