रहे सावधान :- इस वर्ष सूर्य ग्रहण महाभारत काल का है आपके साथ हो सकती है ये अनहोनी :- पंडित शिवपूजन चतुर्वेदी शास्त्री
वाराणसी :- को खण्डसूर्यग्रहण भारत में दृश्य होगा - महाभारत के समय बने थे ऐसे खगोलीय संयोग- वैदिक यज्ञ और पूजन से हीं होगी रक्षा - पंडित शिवपूजन चतुर्वेदी शास्त्री

वाराणसी :- दिनांक 25 अक्टूबर 2022 को खण्डसूर्यग्रहण भारत में दृश्य होगा - महाभारत के समय बने थे ऐसे खगोलीय संयोग- वैदिक यज्ञ और पूजन से हीं होगी रक्षा - पंडित शिवपूजन चतुर्वेदी शास्त्री
आगामी पंद्रह दिनों के अंदर दो सूर्यग्रहण के रुप में सूर्य मण्डल में घटित होनेवाले दो महत्वपूर्ण खगोलीय संयोगों और उनके सम्पूर्ण विश्व पर आवश्यक रुप से पड़ने वाले प्रभावों की समीक्षा के लिए वैदिक एजुकेशनल रिसर्च सोसायटी द्वारा ज्योतिष एवं खगोल विशेषज्ञों की एक बैठक बुधवार को वाराणसी में आयोजित की गयी। सोसायटी के अध्यक्ष विख्यात ज्योतिर्विद एवं वेदविज्ञानवेत्ता पंडित शिवपूजन चतुर्वेदी शास्त्री ने छित्तूपुर तारानगर स्थित वेद मंदिर में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता की।
ग्रह स्थितियों और उनके प्रभावों के गहन अध्ययन एवं सूक्ष्म विवेचन के पश्चात् प्राप्त निष्कर्षों पर वाराणसी के प्रसिद्ध ज्योतिष विशेषज्ञ काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व संकाय प्रमुख प्रो. चंद्रमा पाण्डेय जी एवं वर्तमान प्रोफेसर पं. रामजीवन मिश्र से विचार विमर्श कर मत निश्चित किया गया।
इसकी चर्चा करते हुए पंडित शिवपूजन चतुर्वेदी ने बताया कि 15 दिन में दो ग्रहण का होना विश्व के लिए शुभ संकेत नही है। महाभारत काल में भी 15 दिन में दो सूर्य ग्रहण लगा था। उस समय महायुद्ध हुआ
जिसमें 18 अक्षौहिणी सेनाओं सहित लाखों लोग हताहत हुए और महाविनाश हुआ था। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भी विश्व में सर्वत्र तनाव दिख रहा है और दुनिया विश्वयुद्ध के कगार पर खड़ी है। विश्व मानवता के समक्ष घोर संकट की स्थिति है। विश्व में लोग अभाव, भुखमरी और गहन शारीरिक मानसिक तनाव से त्रस्त हैं। महाशक्तियां किंकर्तव्यविमूढ़ खड़ी दिखाई दे रही हैं। कोई समाधान नहीं समझ आ रहा।
पंडित चतुर्वेदी ने कहा की ऐसी स्थिति में मानवीय ज्ञान के अन्यतम श्रोत वेदों की शरण जाने के सिवा कोई मार्ग नहीं है। वेद धर्म और संप्रदाय से परे विश्व मानवता की पूंजी हैं और उसकी रक्षा के एकमात्र आधार भी। उन्होंने कहा कि वेदों में महाविनाश और अनिष्ट को टालने के लिए अचूक मंत्र और यज्ञों के विधान हैं। जिन्हें अपनाकर विश्व को बचाया जा सकता है।
उन्होंने महाशक्तियों, सभी देशों और मानवों का आह्वान किया कि घृणा और युद्ध का मार्ग छोड़कर वेदों की शरण आवें। वैदिक धर्म का पालन करते हुए यज्ञों के माध्यम से प्रकृति में उत्पन्न विक्षोभ को शांत करने का प्रयत्न करें। प्रकृति के नियमानुसार बर्ताव करते हुए यज्ञ, पूजन, ध्यान, परोपकार व क्षमा रूपी शस्त्रों को अपनाए जिससे मनुष्य, समस्त जीव जंतुओं एवं पृथ्वी की रक्षा हो सके।
ग्रहण काल:
25 अक्टूबर 2022 काशी में सूर्यग्रहण स्पर्श शाम 4 :42 पर होगा ,सूर्यग्रहण का मध्यकाल शाम 5 : 2 पर होगा एवं सूर्यग्रहण का मोक्ष काल शाम 5 : 22 पर होगा ,
सूर्यास्त का समय 5 : 37 है अतः सूर्यग्रहण काल सूर्यास्त से 15 मिनट पूर्व समाप्त हो जाएगा । सूर्यग्रहण की सम्पूर्ण अवधि 7घंटा 5 मिनट है किन्तु काशी में सम्पूर्ण सूर्यग्रहण 40 मिनट का है ,ग्रहण का मध्यकाल तिथि का अंत काल होता है।
8 नवम्बर 2022 को खग्रास चंद्रग्रहण दृश्य होगा।
ग्रहण का राशियों पर प्रभाव:
इस वर्ष तुला राशि पर सूर्यग्रहण है , संहिता ज्योतिष में ग्रहण का फल ऋषियों द्वारा दिया गया है जो निम्नलिखित है-
मेष राशि -स्त्रीपीड़ा, वृष-सौख्य , मिथुन - चिन्ता , कर्क- व्यथा , सिंह -श्री, कन्या - क्षति , तुला-घात,
वृश्चिक - हानि: , धनु:- लाभ: ,मकर- सुखम् , कुम्भ- माननाश, मीन : मृत्यतुल्य कष्ट।
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