प्रतिकार यात्रा मुकदमे में पीड़ित अरुण पाठक को मिली बड़ी राहत , उच्च न्यायलट ने स्थगन के साथ मुकदमा वापसी काप्रदेश सरकार को दिया आदेश
प्रयागराज / वाराणसी;-उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सात साल पुराने प्रतिकार यात्रा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश जारी किया है. हिंदूवादी नेता अरुण पाठक की याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने पहले उनके गिरफ्तारी पर स्टे लगाया और अब इस मामले में सरकार से मुकदमा वापस लेने का आदेश जारी किया है.
प्रतिकार यात्रा मुकदमे में पीड़ित अरुण पाठक को मिली बड़ी राहत , उच्च न्यायलट ने स्थगन के साथ मुकदमा वापसी काप्रदेश सरकार को दिया आदेश
प्रयागराज / वाराणसी;-उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सात साल पुराने प्रतिकार यात्रा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश जारी किया है. हिंदूवादी नेता अरुण पाठक की याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने पहले उनके गिरफ्तारी पर स्टे लगाया और अब इस मामले में सरकार से मुकदमा वापस लेने का आदेश जारी किया है.
बताते चलें कि इस मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती समेत सतुआ बाबा आश्रम के पीठाधीश्वर संतोष दास और पातालपुरी मठ के प्रमुख बालक दास समेत कई सन्तो को पिछले दिनों वाराणसी कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी.लेकिन उसी मामले में हिंदूवादी नेता और विश्व हिन्दू सेना के चीफ अरुण पाठक को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है.
दरअसल, साल 2015 में अखिलेश यादव की सरकार के दौरान गंगा में मूर्ति विसर्जन को लेकर वाराणसी में सन्तों ने सड़क पर बड़ा आंदोलन किया था. इस आंदोलन में पुलिस ने संतों और बटुकों पर बर्बर लाठीचार्ज किया था.इसी लाठीचार्ज के विरोध में ज्योतिषपीठ के तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने संतो की अगुवाई में 5 अक्टूबर 2015 को प्रतिकार यात्रा निकाली.मैदागिन से दशाश्वमेध घाट तक प्रस्तावित इस यात्रा के दौरान वाराणसी के गोदौलिया चौहारे पर जमकर बवाल और आगजनी हुई थी.जिसके बाद इस मामले में दशाश्वमेध थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था लेकिन अब उसी मामले में सबूत न होने के अभाव के कोर्ट ने अरुण पाठक का नाम इस केस से हटाने की बात सरकार से कही है.
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