सावधान एसिडिटी से हो सकता है कैंसर ,एसिडिटी की समस्या बढ़ी: उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्यों में से एक के रूप में उभरा,

वाराणसी;- भारतीयों को प्रभावित करने वाली सबसे सामान्य स्थितियों में से एक के रूप में सामने आती है। शहरी भारतीयों के पाचन स्वास्थ्य को समझने के लिए इंडियन डायटेटिक एसोसिएशन, मुंबई के साथ साझेदारी में कंट्री डिलाइट द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि प्रत्येक लोग पाचन तंत्र से संबंधित किसी न किसी 7 में से 10 समस्या से जूझ रहे है इस सूची में एसिडिटी सबसे ऊपर है।

 सावधान एसिडिटी से हो सकता है कैंसर, एसिडिटी की समस्या बढ़ी: उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्यों में से एक के रूप में उभरा,

 10-30 प्रतिशत भारतीय वाराणसी अगस्त 16, 2023 स्वस्थ्य पाचन तंत्र पीढ़ियों से एक प्रमुख स्वास्थ्य चिंता रही है. जो आबादी के एक बड़े प्रभावित भाग को प्रभावित करती है। विभिन्न स्वास्थ्य सरोकारों के बीच, गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिसीज (जीईआरडी)



भारतीयों को प्रभावित करने वाली सबसे सामान्य स्थितियों में से एक के रूप में सामने आती है। शहरी भारतीयों के पाचन स्वास्थ्य को समझने के लिए इंडियन डायटेटिक एसोसिएशन, मुंबई के साथ साझेदारी में कंट्री डिलाइट द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि प्रत्येक लोग पाचन तंत्र से संबंधित किसी न किसी 7 में से 10 समस्या से जूझ रहे है इस सूची में एसिडिटी सबसे ऊपर है। उत्तर प्रदेश के गांवों में 4इसी तरह के किए गए एक एक सर्वेक्षण में यह तथ्य उमरकर आया है कि 10 प्रतिशत लोगों को जीईआरडी है। 7 वाराणसी में हील फाउंडेशन ने "एसिडिटी करोड़ो लोगों की समस्या के सुरक्षित समाधान" शीर्षक से एक मीडिया जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में, आईएमएस बीएचयू में नेफ्रोलॉजी के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. शिवेंद्र सिंह तथा आईएमएस बीएचयू में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवेश प्रकाश यादव जैसे विशेषज्ञ

एसिडिटी से संबंधित विकारों की उत्पति, प्रभाव और व्यवहार्य समाधान सहीसमाधानपरप्रकाशडालनेकेलिए एक साथ आए।

Acidity

डॉशिवेंद्र सिंह एक प्रतिष्ठित नेफ्रोलोजिस्ट, प्रोफेसर और नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख, आईएमएस बीएचयू वाराणसी ने रेखांकित किया, "हाइपरएसिडिटी जैसी बीमारी भारत में व्यापक रूप से फैली हुई है,देश की 10 प्रति 30शत आबादी इससे करोड़ो लोगों की Problem ke Safe Solutions ! प्रभावित है जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। आहार संबंधी आदतें, नींद की गड़बड़ी और तनाव इसमें सबसे प्रमुख भूमिका निभाते हैं। चिंताजनक बात यह है कि हर दो में से एक पीड़ित या तो अपनी मर्जी से ही कोई दवाई खा लेता है या दवाई की दुकान पर जाकर दुकानदार के कहने पर किसी दवाई का इस्तेमाल करता है।जटिलताओं को रोकने के लिए पेशेवर मार्गदर्शन प्राप्त करने के महत्व पर जोर देना महत्वपूर्ण है।"

डॉ सिंह ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा. विवेकपूर्ण तरीके से एसिडिटी के प्रबंधन का अपना ही महत्व है। दवा का चयन महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुछ दवाएं महत्वपूर्ण एसिड के उत्पादन को रोक सकती हैं, जिससे संभवतः नुकसान हो सकता है। एसिड से संबंधित विकारों के लिए डॉक्टररैनिटिडिन जैसी दवाएं लेने की सलाह दे सकते हैं जो एक भरोसेमंद दवा है। जिसका चार दशक का प्रतिष्ठित इतिहास है और इसे दवाई की दुकान से आसानी से ले सकते हैं।"

बाजार में रैनिटिडिन की बिक्री 1981 से शुरू हुई और तब से यह एसिडिटी से संबंधित स्थितियों के लिए सबसे भरोसेमंद दवाओं में से एक रही है और पूरे भारत में लाखों मरीजों के उपचार के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा

डॉदेवेश प्रकाश यादव गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और एसोसिएट प्रोफेसर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग आईएमएस बीएचयू वाराणसी ने एसिडिटी के प्रबंधन में संतुलित दृष्टिकोण के महत्व पर जोर देते हुए कहा, 'एक स्वस्थ जीवन शैली और नियमित शारीरिक क्रिया-कलाप को अपनाने के साथसाथ, हमें दवा का चयन विवेकपूर्ण ढंग से करने की आवश्यकता है। ऐसे बहुत से उदाहरण है जहां व्यक्ति अनजाने में एसिड का उत्पादन रोकने वाली दवाओं का सहारा लेते हैं, जो संभावित रूप से हानिकारक होती हैं। उन्होंने प्राथमिक उपचार के रूप में रेनिटिडिनलेने की सलाह दीजो एसिडिटी से संबंधित समस्याओं से निपटने में अपनी चार दशक की विरासत के लिए जानी जाती है। यह सरल लेकिन प्रभावी उपचार है। दवाई की दुकान पर आसानी से उपलब्ध यह दवा पेट में एसिड को संरक्षित करते हुए एसिडिटी के लक्षणों से त्वरित राहत प्रदान करती है।"

पाचन के शुरुआती स्तर में पेट का एसिड मुख्य भूमिका

एसिडिटी का समाधान: अंतर्दृष्टि और उपचार

निभाता है। इससे आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, वि टामिनबी12 जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का का सामना करना पड़ता है, जिसमें एसिडिटी एक प्रमुख अवशोषण आसान हो जाता है। पेट में एसिड की चिंता का विषय है। कमी पौषक तत्वोंकी कमी और जीवाणु संक्रमण की बढ़ती संवेदनशीलता का पर्याय है।



• प्रति 70शत शहरी भारतीयों को पाचन स्वास्थ्य चुनौतियों

विशेषज्ञ रैनिटिडिन का समर्थन करते हैं, यह पाचन तंत्र को प्रभावित किए बिना एसिडिटी से राहत देती है

यह व्यापक अध्ययन एसिडिटी से संबंधित विकारों की गंभीरता और भारत में उनके व्यापक प्रसार को रेखांकित करता है। लोगों को रैनिटिडिन जैसे उपयुक्त उपचारों के बारे में शिक्षित करके और दवाईयों के प्रति सतर्क दृष्टिकोण को बढ़ावा देकर स्वास्थ्य पेशेवरों का लक्ष्य आबादी पर इन स्वास्थ्य स्थितियों उपायों को अपनाना। के बोझ को कम करना है।

रैनिटिडिन की विरासत 4 दशकों से अधिक की है, जो इसकी विश्वसनीयता सुनिश्चित करती हैं। * नियमित व्यायाम, मसालेदार और जंक फूड से परहेज और शरीर में जल का पर्याप्त स्तर बनाए रखना जैसे निवारक

अगरतुलना करतो, जैसे पेरासिटामोल बुखार के लिए है, रैनिटिडिन एसिडिटी के लिए हैं।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें:

दिनेश सिंह, मुख्य मीडिया समन्वयक, हील फाउंडेशन

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