राजभर विरादरी को अनुसूचित जनजाति में शनिउल कराने के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ मिलेंगे राजभर समाज के लोग
वाराणसी :- जागो राजभर जागो के बैनर तले राजभर समाज अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा है, जिसके लिए वह कानूनी लड़ाई भी रहा है इस संबंध में राजभर समाज के नेतृत्व नेताओं पर भी समाज विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए राजभर समाज के मुखिया होने एचडी में शामिल कराने के लिए इसी के तहत समाज के लोगों उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका पहली लड़ाई जीत ली है
राजभर विरादरी को अनुसूचित जनजाति में शनिउल कराने के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ मिलेंगे राजभर समाज के लोग
वाराणसी :- जागो राजभर जागो के बैनर तले राजभर समाज अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा है, जिसके लिए वह कानूनी लड़ाई भी रहा है इस संबंध में राजभर समाज के नेतृत्व नेताओं पर भी समाज विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए राजभर समाज के मुखिया होने एचडी में शामिल कराने के लिए इसी के तहत समाज के लोगों उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका पहली लड़ाई जीत ली है
लेकिन केंद्र सुरप्रदेश की सरकार से मिल रही उपेक्षा के कारण अब तक राजभर समाज अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का नोटिफिकेशन केंद्र और प्रदेश सरकार ना जारी करने राजभर समाज के लोग नाराज दिख रहे हैं पूर्व में राजभर समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर अपनी समस्याओं को रखते हुए नोटिफिकेशन जारी करने का जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए नोटिफिकेशन जारी करने का आश्वासन दिया गया था
लेकिन अभी तक नोटिफिकेशन जारी न करने के कारण राजभर पूर्व मुख्यमंत्री से मिलकर उनके वादे को याद दिलाने का काम करेगी और उसके बाद भी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया जाता है तो 31 अगस्त से राजभर समाज सड़क से लेकर संसद तक की लड़ाई शुरू करेगा
इस विषय पर विस्तृत जानकारी देतेहुएजकगो राजभारत जागो के नेता महेंद्र राजभर ने बताया किया है की
प्रेस विज्ञप्ति
विनय याचिका सं० 2341/2022 (सी / एन जागो राजभर जानो समिति और एनर यनान यूनियन ऑफ इण्डिया और 4 अदर्स) में पारित आदेश दिनांक 11.03.2022 के अनुपालन में :- महोदय, ST आरक्षण का प्रस्ताव मुख्यमंत्री जी से मिलकर भेजवाने के संदर्भ में
याची समिति, जोकि राजभर जाति से सम्बद्ध है, ने यहाका
राजभर जाति को अनुनातिका केन्द्रीय सूची में शामिल ने पोषित किया
याचिका में निम्न प्रार्थना की गई है
(1) Issue a writ, order or direction in the nature of MANDAMUS commanding the state of Uttar Pradesh to submit recommendation for inclusion of "Bhar/Rajbhar" Community of the State of Utme Pradesh to the Government of India In the list of Schedule Tribes under Article 342 of the Constitution of India.
) issue a writ, order or direction in the nature of MANDAMUS commanding the respondents to consider the case of "Bhar/Rajbhar" Community of the State of Uttar Pradesh for its inclusion in the Schedule Tribes and to issue necessary modification/notification in the Constitution (Schedule Tribes) (Uttar Pradesh ) Order, 1967,
(iii) Issue a writ, order or direction in the nature of MANDAMUS commanding the respondents to complete all formalities and submit necessary bill for consideration of the Parliament for inclusion of "Bhar/Rajbhar" Community in the list of Schedule Tribes of the State of Uttar Pradesh. केस का तथ्य इस प्रकार से है।
1. भर/ राजभर जाति उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों (आजमगढ़ वाराणसी फैजाबाद.. जौनपुर, गोरखपुर, मऊ, महराजगंज, सोनभद्र, गाजीपुर चंदौली सुलतानपुर बलिया)। इत्यादि जिलों में प्रमुखता से पाई जाती है।
राजभर जाति का उल्लेख Consus of India, 1931 Vol-1 India Part 1-Report by | H Hutton 479 Exterior Caste Bhar (Excluding Rajbhar) का उल्लेख किया गया तथा दि सिमिल इस एक्ट कमेटी (आधार कोटी) में Bhar को वेस्ट बंगाल एस बनारस और उत्तर प्रदेश के धार जनपदों में अपराधिक जनजाति के रूप में दर्शाया गया है।
उक्त के अलावा The Tilbes and Castes of the North Western Provinces and Dudh by W. Crook Volume-11 में भर जाति की उत्पत्ति तथा भर जाति के अन्य नामो, परम्पराओं, ऐतिहासिक विवरण सामाजिक संरचना, प्रथाओं इत्यादि का उल्लेख है। उक्त पृष्ठ पर भर के संबंध में The Tribes has given rise to much wild speculation का उदाहरण मिलता है। जिसका हिन्दी रूपान्तरण निम्न है इस
जनजाति ने जंगली अटकलों को जन्म दिया। सन 1950 से पूर्व भर / राजभर जाति जो अगरिया, गोड, खरवार, चेस, पहाड़िया, भुईया इत्यादि जातियों के साथ Exterior Caste के रूप में रखा गया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सन् 1950 में राजनितिक कारणों से भर/राजभर जाति की छोड़ते हुये उपरोक्त सभी जातियों को अनु० जाति में शामिल कर लिया, जबकि भर/ राजभर जाति को न तो अनु० जाति में शामिल किया और न हो अनु0 जनजाति में शामिल किया गया।
इसके पश्चात से ही भर / राजभर जाति द्वारा समय समय पर अपनी जाति को अनु
जनजाति में सम्मिलित किये जाने की प्रार्थना की जाती रही है।
इस सन्दर्भ में प्रथम पिछडा वर्ग आयोग ने भी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अनु जनजातियों की निर्धारण को दोषपूर्ण बताया था और भर / राजभर जाति को गोड समूह की उपजाति माना था जैसा की मध्य प्रदेश में गोड समूह की 40 उपजातियाँ मानी गई है जिसमे से भर/ राजभर भी सम्मिलित है।
सन् 1956 में प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुसा के आधार पर राजपर साहि
को मध्य प्रदेश महराष्ट्रा में भर/ राजभर जाति को गोड़ जनजाति को मानने
अनुज दिया गया।
भर/ राजभर जाति ने लोगो के लिए उत्तरप्रदेशको पत्रिका एक भी कीमत मे सरकार का यह निर्देशित किया कि भर राजभर जाति का केन्द्र की समुद्र जनजाति सूची में सम्मिलित करने के लिए सिफारिश कर दी जाये किन्तुका समिति के निर्देशों के विपरीत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राजनितिक कारणों से जाकर
भर/ राजभर को अनु० जाति में सम्मिलित करने की सिफारिश कर दी जाती है। 10 चूंकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जान पर भर राजभर जाति को जाति में सम्मिलित करने का प्रस्ताव भेजा जाता रहा है तो महापंजीयक भारत सरकार द्वारा बार बार यह कहते हुये खारिज कर दिया जाता है कि भर/ राजभर जाति के सम्बन्ध में उचित प्रस्ताव भेजा जाये। क्योंकि भर / राजभर जाति में अश्यपस्यता (अछूत) का तत्व नहीं पाया जाता है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 23 फरवरी 1991 को गोड समूह की उपजातियों जिसमें भूरिया, नायक ओझा, पठारी राजगोड को अनु0 जनजाति में सूचिबद्ध करने का प्रस्ताव
केन्द्र सरकार को भेजा गया था लेकिन गाँड समूह की भर/राजभर जाति को छोड़, दिया गया था। जिसके कारण यह जाति सन् 2003 में अनु0 जनजाति की सूची में सम्मिलित होने से वंचित रह गई, और इसके पश्चात् भर / राजभर जाति को उत्तर प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 के अन्तर्गत अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में सम्मिलित कर दिया गया है। जोकि असगत, अतार्कीक व भर/ राजभर जाति के साथ अन्याय है। भारत सरकार के जनजातिय कार्य मंत्रालय के अनुसार किसी भी जाति को अनु० जनजाति में सम्मिलित करने के लिए निम्न मानक निर्धारित किये गये है।
12
"Indication of primitive traits, distinctive culture, geographical isolation, shyness of contact with the community at large and backwardness" और भर राजभर जाति में उपरोक्त मानक प्रारम्भ से पाये जाते हैं।
13 जहाँ तक किसी भी जाति को भारत सरकार की अनु0 जनजाति में सम्मिलित करने की बात है तभी की जा सकती है जब इस सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा समुचित प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाये दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अनु जनजाति की सूची में शामिल कराने के लिए प्रारम्भिक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिया जाना है न की भकार द्वारा जैसा का भारत सरकार के जनजाति कार्य
मंत्रालय द्वारा बताया गया है। चूंकि यह तथ्य प्रमाणित है कि भर/जनजाति गोड़ जनजाति को उपजाति है. के
सम्बन्ध में किसी अन्वेषण की आवश्यकता नहीं है अपितु केवल प्रस्ताव भेजा जाता है। जैसा कि भारत सरकार के जनजाति मंत्रालय द्वारा 16 अगस्त 2017 को जारी सरकुलर में बताया गया है।
15
उक्त के सन्दर्भ में भर / राजभर जाति के प्रतिनिधि श्री राम अचल राजभर द्वारा अपने पत्र दिनांक 07.8.2021 के द्वारा भारत सरकार के जनजाति मंत्रालय को भर / राजभर जाति को अनु0 जनजाति में सम्मिलित करने के लिये निवेदन किया गया है। उपरोक्त पत्र के सन्दर्भ में भारत सरकार ने अपने पत्र दिनाक 11 अक्टूबर 2021 के द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार से यह अपेक्षा की है कि भर / राजभर जाति यो सन्दर्भ में अनु0 जनजाति हेतु प्रस्ताव भेजा जाये।"
उपरोक्त पत्र दिनांक 11 अक्टूबर 2021 का अनुपालन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नहीं
किया जा रहा है।
उपरोक्त परिस्थियों में मा0 उच्च न्यायालय ने याचिका में की गई प्रार्थना, तथ्यों व परिस्थितियों के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित किया है कि भर / राजभर जाति से सम्बन्धित प्रस्ताव अनु0 जनजाति के रूप में भारत सरकार को दो माह के
अन्दर भेजा जाये।
अतः आपसे निवेदन है कि मा० उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में भर / राजभर जाति को केन्द्र की अनु० जानजाति की सूची में सम्मिलित करने के लिए
जागो राजभर जागो के सचिव महेंद्र राजभर जी प्रवक्ता राजू राजभर एवं राज्य सभा सांसद श्री सकलदीप राजभर जी मिले माननीय मुख्यमंत्री जी ने उच्च न्यायालय के आदेश उपरांत नृजाति
प्रस्ताव भेजने की कृपा करें। उपरोक्त के संदर्भ में माननीय मुख्यमंत्री जी से सर्वेक्षण की रिपोर्ट और शोध संस्थान के रिपोर्ट बन 'जाने के बाद अग्रीम कार्रवाई का भरोसा दिया है यदि प्रस्ताव जल्द से जल्द नहीं जाता है तो जागो राजभर जागो समिति हक़ अधिकार के लिए आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी और समाज के हर घर हर द्वार तक हक़ की आवाज़ को पहुंचाने के लिए पदयात्रा करेगी
महेंद्र राजभर सचिव जागो राजभर जागो
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