कोहरे की चादर में लिपटा शहर, ठिठुरते हुए स्कूल पहुंचे बच्चे
वाराणसी।* दिसंबर माह का पहला पखवारा बीतते ही ठंड ने अपना कहर ढहाना शुरू कर दिया है। सोमवार से ही जनपद में कोहरे और ठंड से गलन बढ़ जाने से आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो चला है। बुधवार को तो जहां पर रोड पर सुबह से ही मोटर गाड़ियों का आना जाना शुरू हो जाता था वहीं पर घने कोहरे के कारण अब बहुत कम संख्या में दिखाई देने लगी और जहां फर्राटे भरती हुई गाड़ियां हाईवे पर दिखाई पड़ती थी वहीं पर अब रेंगती हुई दिखाई पड़ रही है घने कोहरे के कारण अब लोग घर में दुबकना भी शुरू कर दिए हैं ,जहां पर लोग सुबह से ही मॉर्निंग वॉक सहित अपने रोजगार के कामों पर जुट जाते थे वहीं पर ठंड ,गलन तथा कोहरे के कारण उनकी दिनचर्या भी लेट लेटलतीफी का शिकार हो गई है।
*होम मेकर व स्कूली बच्चों की हालत खस्ता*
ठंड और कोहरे से सबसे ज्यादा घर की महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिनके सामने सुबह से ही घरेलू कामकाज के अलावा स्कूल जाते बच्चों के लिए टिफिन तैयार करना तथा अपने परिवारीजन के आफिस जाने के लिए भोजन तैयार करना भी शामिल है यह सारे काम इसी गलन और ठंड के बीच करना पड़ा है और यही नही ठंड से ठिठुरते बच्चे स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं और जहां पर घर के लोग रजाई के अंदर रहते हैं वहीं पर ठीक 8:00 बजे स्कूल के वाहन फर्राटा भरते हुए बच्चों को ले जाने के लिए हार्न बजाते हुए गलियों और सड़कों पर जाते दिखे।
*घरों में जलने लगे अलाव, गर्म कपड़ों की मांग बढ़ी*
घरों में अलाव का जलना भी शुरू हो गया है और बाजारों में भी ऊनी कपड़ों कंबल रजाई तथा ठंड से बचने के उपाय के लिए लोग खरीदारी भी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। यही नहीं ठंड से जानवरों और पक्षियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और देर रात तक किसानों द्वारा अपने खेतों की सिंचाई करने से उन्हें भी ठंड लगने की संभावना भी बलवती हो चुकी है।
*फॉग से जनजीवन अस्तव्यस्त, विजबिल्टी हुई शून्य*
इस तरह से जनपद में ठंड का कहर ढा रहा है और उस पर कोहरे की चादर ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ा है छोटे बच्चे किशोर ,युवा ,बुजुर्ग सभी लोगों के लिए यह सर्दी अब काफी दिक्कतें पैदा करने के लिए दिखाई देने लगी है। कोहरे के आलम यह कि पांच मीटर की दूरी भी ठीक से नहीं दिख रही। फॉग के चलते विजबिल्टी जीरो रही। वाहनों की लाइट भी बहुत पास आने पर ही सुझाई दे रही थी। वाहनों के लाइट न जलते तो कई जगहों पर सड़क दुर्घटनाएं होने की प्रबल संभावना थी। फिलहाल मात्र दो दिन की ही कोहरे और सर्दी ने लोगों को ठंड से बचने के लिए उपाय ढूंढने के लिए मजबूर कर दी है।
*'चाइल्डहुड' से 'यंगस्टर' हो रहा 'जाड़ा'*
लोगों का अनुमान है कि दिसंबर के खत्म होते माह से लेकर जनवरी माह तक की ठंडी अपने युवावस्था में रहती है जिसके लिए लोगों को अपनी सुरक्षा के सारे इंतजाम करने के लिए तैयार भी रहना चाहिए और अनुमान है कि ठंड और कोहरा आने वाले दिनों में और भी मुश्किले बढ़ा सकते हैं ।
*वेस्टर्न डिस्टर्ब और नॉर्थ एयर ने बढ़ाया ठिठुरन व कोहरा*
पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के
चलते पूरे उत्तरी भारत में कोहरे की चादर ने अपने पैर पसार लिए हैं। इसी के साथ तापमान में भी भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। मंगलवार को अधिकतम तापमान 21 डिग्री और न्यूनतम तापमान छह डिग्री दर्ज किया गया। बुधवार की सुबह घने कोहरे के बीच सड़कों पर वाहन अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़त दिखाई दिए। वहीं शिक्षा विभाग द्वारा सभी स्कूलों में अवकाश या प्रथम पाली के समय में बदलाव की घोषणा अभी तक नहीं हुई है, जबकि अब ठंड अपने चरम पर पहुंच रही है। इसके बावजूद स्कूलों के वाहनों में बच्चे स्कूल की ओर ठिठुरती ठंड में जाने पर मजबूर दिखे। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी जानकर भी अनजान बने हुए हैं, कई अभिभावकों ने ठिठुरती ठंड में बच्चों को स्कूल बुलाए जाने पर एतराज भी जताया है, मगर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शायद अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया है।
*दिनभर चलती रही सूर्य और कोहरे की आंख मिचौनी*
सुबह घने कोहरे की वजह से आम जनजीवन भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ वहीं इसका असर रेलों के आवागमन पर भी पड़ा। दोपहर को कोहरे की चादर थोड़ी छंटी तो सूर्य देव के भी चंद मिनटों के लिए दर्शन हुए और इसके बाद फिर से आसमान में कोहरे के बादल छा गए। दिनभर सूर्य और बादलों के बीच आंख मिचौनी का खेल चलता रहा। मौसम विभाग के विशेषज्ञों की मानें तो अगले कुछ दिनों तक कोहरे के साथ ही ठंड और ठिठुरन में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी। जनवरी के शुरुआती दिनों में तो आंशिक बादल के साथ साथ कहीं कहीं पर बूंदाबांदी के आसार भी जताए हैं।
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