महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में खुलेगा देश का पहला म्यूजिक थेरैपी लैब
वाराणसी:- दौर में लोगों की जीवन पद्धति बदलती जा रही है। भाग दौड़ व विभिन्न कारणों से लोगों का तनाव बढ़ता जा रहा है। इसके चलते उन्हें विभिन्न बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इसे देखते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने मनोविज्ञान विभाग में म्यूजिक थेरैपी लैब एंड रिसर्च सेंटर खोलने का निर्णय लिया है। अब तक किसी विश्वविद्यालय में म्यूजिक थेरैपी लैब नहीं हैं। ऐसे इसे देश का पहला म्यूजिक थेरैपी लैब बताया जा रहा है।सेंटर आफ एक्सीलेंस योजना के तहत शासन ने मनोविज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. दुर्गेश कुमार उपाध्याय के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। यही नहीं इसके लिए शासन ने 5.40 लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी दे दी है। वहीं म्यूजिक थेरैपी लैब की महत्ता को समझते हुए कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी के पहल पर वित्त समिति ने भी मनोविज्ञान विभाग को पांच लाख रुपये दिया है।विश्वविद्यालय ने जनवरी-2023 तक म्यूजिक थिरैपी लैब एंड रिसर्च सेंटर शुरू करने का निर्णय लिया है। इस क्रम में एक्टिव म्यूजिक थिरैपी, रिसप्टिव म्यूजिक थिरैपी चैंबर का भी निर्माण हो चुका है। गिटार, सिंथेसाइजर, हारमोनियम, तबला, कांगो, बांसुरी, माउथ आर्गन, परकसन बाद्य यंत्र, रेकी क्रिस्टल, घंटी सहित म्यूजिक के अन्य उपकरण भी क्रय किए जा चुके हैं। इसीजी, ब्लड प्रेशर, आक्सीमीटर व हार्ट रेट सहित अन्य उपकरण मंगाने की प्रक्रिया जारी है।
म्यूजिक थेरैपी क्या है
म्यूजिक थेरैपी एक ऐसी थेरैपी होती है जिसमें मानसिक और शारीरिक रोगों को म्यूजिक यानि संगीत के ऊंचे, मध्यम और धीमे स्वर के जरिए ठीक करने की कोशिश की जाती है। इस थेरैपी का प्रयोग आमतौर पर पेशेंट की बीमारी से जुड़ी दवाईयों के साथ जल्दी आराम देने के लिए किया जाता है।
‘‘संगीत का प्रभाव बहुत गहरा होता है। यह नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल सकता है और ‘म्यूजिक थेरैपी’अर्थात ‘संगीत थेरेपी’ का आधार भी यही है। भारत में ‘म्यूजिक थेरैपी’ का ज्यादा प्रचलित नहीं है। जबकि म्यूजिक थेरैपी के तहत व्यक्ति के स्वभाव, उसकी समस्या और आसपास की परिस्थितियों के मुताबिक संगीत सुना कर उसका इलाज किया जाता है।
-डा. दुर्गेश कुमार उपाध्याय, समन्वयक म्यूजिक थिरैपी लैब
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