नवजात के स्वास्थ्य से हारिये मत, तय करिये एसएनसीयू का रास्ता

नवजात के स्वास्थ्य से हारिये मत, तय करिये एसएनसीयू का रास्ता

नवजात के स्वास्थ्य से हारिये मत, तय करिये एसएनसीयू का रास्ता 
एसएनसीयू में नवजात शिशुओं की सेहत का विशेष इलाज 

• अभिभावकों को बच्चों की सेहत के प्रति विशेष ध्यान देने को किया जाता है जागरूक
• एसएनसीयू के साथ ही एमएनसीयू तथा एलएमएनयू वार्ड की भी है व्यवस्था 
• सितम्बर माह में 73 तथा अक्टूबर में 55 नवजात शिशु हुये लाभान्वित 

वाराणसी, 26 नवम्बर 2024 

विगत 20 नवम्बर को एक कम वजन 2160 ग्राम का लावारिश नवजात शिशु बडागांव में पाया गया था| जिसे एशियन संस्था बाबतपुर के माध्यम से एसएनसीयू में भर्ती कराया गया, कम वजन के साथ शिशु को साँस लेने में भी तकलीफ थी| अस्पताल के बेहतर इलाज के कारण बच्चा आज स्वस्थ है, संस्था की केयर टेकर रेखा भारती ने बताया कि बच्चा अच्छे से अब दूघ पी रहा है और उसे साँस लेने में तकलीफ भी नहीं है| अस्पताल की अच्छी व्यवस्था, 24 घंटे डाक्टर की उपलब्धता और स्टाफ का सहयोग बहुत ही अच्चा रहा| यहाँ पूरा इलाज नि:शुल्क  हुआ है, यह व्यवस्था सभी अस्पतालों में होनी चाहिए|


  
दूसरी लाभार्थी रामपुर ढाब, रमचंदीपुर निवासी अमृता देवी ने बताया कि 19 नवम्बर को सीएचसी चोलापुर में लड़की पैदा हुई थी, डाक्टर ने बताया कि प्रसव के दौरान बच्ची ने गन्दा पानी (मेकोनियम) पी लिया था, जिससे इसे साँस लेने में तकलीफ हो रही थी, तो डाक्टर ने जिला महिला अस्पताल रेफ़र कर दिया था| यहाँ के अच्छे इलाज और व्यवस्था के कारण आज हमारी बच्ची स्वस्थ है, बच्ची अच्छे से दूघ पी रही है और इसे साँस लेने में भी कोई तकलीफ नहीं है, निःशुल्क इलाज के लिए सरकार और अस्पताल के पूरे स्टाफ का बहुत-बहुत धन्यबाद|


जिला महिला अस्पताल की अधीक्षक डॉ मनीषा सिंह सेंगर ने बताया कि जो बच्चे 0 से 28 दिन (नवजात) के होते हैं अगर उन्हें साँस लेने में तकलीफ हो, बच्चा जन्म के समय रोया नहीं, बच्चे का शुगर लेवल कम हो गया हो, उसे झटके आते हों, बच्चा दूध नहीं पी पा रहा हो, उसे इन्फेक्शन, पीलिया, नाल पकना, ठंढा पड़ना (हाइपोथर्मिया), बुखार आना, वजन कम होना, कैल्सियम लेवल कम होने जैसे बीमारियाँ हैं तो इस तरह की सभी बीमारियों का इलाज एसएनसीयू में किया जाता है| 

डॉ सेंगर ने बताया कि यहाँ पर नवजात शिशुओं के सेहत की निगरानी के लिए विशेष पहल की गई है। यहां जिला महिला अस्पताल कबीरचौरा एसएनसीयू (सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट) में भर्ती बच्चों के डिस्चार्ज होने के बाद उनके सेहत का हाल अभिभावकों को फोन कर पूछा जा रहा है। इसमें अभिभावकों को शिशुओं की सेहत के प्रति विशेष ध्यान देने के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है।

जिला महिला अस्पताल में एसएनसीयू प्रभारी एवं वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जेपी सिंह ने बताया कि नवजात शिशुओं को एसएनसीयू में भर्ती करने के लिए 12 बेड की व्यवस्था है। यहाँ बिहार, सोनभद्र, मिर्जापुर से आये हुये बच्चे जिन्हें न्यूनटोलाजी केयर की आवश्यकता होती है, उनका पूरा इलाज एसएनसीयू में किया जाता है|

उन्होंने बताया कि यहाँ सितम्बर माह में 73 तथा अक्टूबर में 55 नवजात शिशु लाभान्वित हुये हैं| एसएनसीयू से डिस्चार्ज होने वाले हर बच्चे के स्वास्थ्य और उसके विकास पर पूरे एक वर्ष तक नजर रखना और उन्हें चिकित्सकीय सलाह देना हमारी जिम्मेदारी है। इसके तहत ही एसएनसीयू से बच्चों के अभिभावकों को कॉल कर सेहत के बारे में पूछताछ की जाती है। इतना ही नहीं एसएनसीयू में रोस्टर के अनुसार बुलवाकर नवजात बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण भी किया जाता है।

यहाँ दो बेड का एमएनसीयू वार्ड भी है, जहाँ माँ अपने बच्चे को केएमसी कराती हैं, साथ ही स्टाफ नर्स केएमसी,फीडिंग, काउन्सलिंग के साथ-साथ बच्चे की देखरेख भी करती हैं, साथ ही यहाँ पर दो बेड का एलएमएनयू वार्ड (मिल्क बैंक) भी है जहाँ धात्री मां अपने दूघ को निकालकर स्टोर करती हैं और स्टाफ नर्स आवश्यकतानुसार बच्चे को दूध पिला देती हैं|

एसएनसीयू में आधुनिक मशीनों की व्यवस्था है, जहाँ उनकी निगरानी के लिए डॉ संजय मोहन गुप्ता,डॉ डीवी सिंह, डॉ रंगनाथ दुबे, डॉ आमिर रियाज सहित 12 अन्य स्टाफ अपनी सेवायें अनवरत दे रहे हैं|

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow