जमीनी स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहित करना : सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का युग

जमीनी स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहित करना : सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का युग

जमीनी स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहित करना : सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का युग

--सुश्री शोभा करंदलाजे,केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम तथा श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री

वर्तमान समय में, विश्व तीव्र गति से एक ऐसे तकनीकी भविष्य की ओर बढ़ रहा है, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता वैश्विक आख्यान का केंद्र बिंदु बन गया है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित विकसित भारत का लक्ष्य हमारे युवाओं, विशेष रूप से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से आने वाले समुदायों, महिलाओं, दिव्यांगजनों, पूर्व सैनिकों और आर्थिक रूप से वंचित नागरिकों जैसे पारंपरिक रूप से कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों से उद्यमिता को एक व्यवहार्य कैरियर मार्ग के रूप में लेने के लिए प्रेरित करना है।
उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रम का विजन केवल कारोबार के सृजन तक ही नहीं, बल्कि इससे आगे तक जाता है। यह बेरोजगारी को संबोधित करने के साथ-साथ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और जमीनी स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसके साथ ही, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर में ऋण गारंटी योजना की घोषणा से प्रसन्नता की लहर है, जो मशीनरी के लिए 100 करोड़ रुपये तक के जमानत-मुक्त ऋण उपलब्ध कराती है और यह सीधे तौर पर किफायती ऋण तक पहुंच की महत्वपूर्ण चुनौती को संबोधित करती है तथा कारोबारियों को अपने व्यवसाय में उन्नत प्रौद्योगिकी में निवेश करने और उनकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए सशक्त बनाती है। ऋण के इस प्रजातंत्रीकरण से बहुत सारे छोटे और उभरते हुए व्यवसायों को लाभ पहुंचना तय है। यही कारोबार जमीनी स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देंगे और इससे धन-संपत्ति का जो सृजन होगा, वह समाज के सभी वर्गों तक तेज़ी तक पहुंचेगा।
इस वर्ष के केंद्रीय बजट में संकट की अवधि के दौरान ऋण सहायता प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण व्यवस्था को शुरू किया गया है, जो सरकार-गारंटीड निधि द्वारा समर्थित है और ये व्यवसायों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति बनने से रोकने में मदद करता है और समग्र आर्थिक स्थिरता बनाए रखता है। 'तरुण' श्रेणी के तहत उद्यमियों के लिए मुद्रा ऋण को दोगुना करके 20 लाख रुपये करना एक काफी बड़ा प्रोत्साहन है, जो व्यवसायों को बड़े पैमाने पर बढ़ाने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने में सक्षम बनाता है। कम टर्नओवर सीमा और विस्तारित पात्रता के साथ व्यापार प्राप्य छूट प्रणाली में सुधार एमएसएमई के लिए तरलता और वित्तीय प्रबंधन को बेहतर बनाता है। तीन वर्षों के भीतर सभी प्रमुख एमएसएमई समूहों में सिडबी शाखाओं का नियोजित विस्तार अधिक सुलभ वित्तीय सेवाओं का आश्वासन देती है, जिससे स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, 50 बहु-उत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयों और 100 एनएबीएल-मान्यता प्राप्त खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार होगा और नए बाजार के अवसर खुलेंगे।
पीपीपी मोड में ई-वाणिज्य निर्यात केंद्र का निर्माण एक और दूरदर्शी पहल है, जो एमएसएमई और पारंपरिक कारीगरों को वैश्विक बाजारों तक अधिक आसानी से पहुंचने और डिजिटल बदलाव तथा अंतर्राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने में सक्षम बनाता है। “फर्स्ट टाइमर्स” योजना से, जो औपचारिक रोजगार क्षेत्रों में नए लोगों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के रूप में 15,000 रुपये तक एक महीने का वेतन प्रदान करती है, जो लगभग 210 लाख युवा कामगारों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, विनिर्माण क्षेत्र में नए कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए प्रोत्साहन, पहले चार वर्षों के दौरान नियोक्ता और कर्मचारियों दोनों के लिए ईपीएफओ योगदान को कवर करता है, जिससे 30 लाख व्यक्तियों को लाभ पहुंचता है। सरकार सुरक्षा उपायों को संस्थागत बना रही है और युवाओं को उनकी अपार क्षमता के साथ भारत की प्रगति के इंजन को चलाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके साथ ही, नियोक्ता के कल्याण का भी ध्यान रखा जा रहा है, इस योजना के तहत नियोक्ताओं को एक लाख रुपये प्रति माह तक कमाने वाले प्रत्येक अतिरिक्त कर्मी के लिए दो वर्ष के लिए 3,000 रुपये मासिक तक की प्रतिपूर्ति की जाती है, जिसका लक्ष्य 50 लाख नए कामगारों को रोजगार देना है। सरकार कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास और क्रेश स्थापित करने के लिए उद्योगों के साथ भागीदारी करके एक ठोस कदम उठा रही है, साथ ही विशेष कौशल विकास कार्यक्रम और महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) उद्यमों के लिए बाजार तक पहुंच उपलब्ध करा रही है। इसका आदर्श वाक्य है समावेशिता।
समावेशी आर्थिक विकास की तलाश में, उद्योग और शिक्षाजगत के बीच सहयोग एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभरा है, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास में। इस महत्व को पहचानते हुए, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने एमएसएमई चैंपियंस योजना के तहत एमएसएमई नवप्रवर्तनकारी योजना को लागू किया है, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों और एमएसएमई क्षेत्र के बीच औ र मजबूत संबंध बनाना है।


दूसरी ओर, शैक्षणिक संस्थान ज्ञान और नवाचार के केंद्र हैं, लेकिन कभी-कभी उनमें व्यवहारिक अनुप्रयोग संदर्भों का अभाव पाया जाता है। एमएसएमई नवप्रर्तनकारी योजना इस अंतर को पाटती है और एक पारस्परिक संबंध बनाती है, जो दोनों क्षेत्रों को लाभ पहुंचाती है और इसकी वजह से हमारी अर्थव्यवस्था और व्यापक हो जाती है। इस योजना का दृष्टिकोण बहु-आयामी है। इनक्यूबेशन घटक के तहत मेजबान संस्थानों के रूप में 697 शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी इस योजना के व्यापक रूप से अपनाए जाने और इसके संभावित प्रभाव का सबूत है। इस सहयोग का एक प्रमुख फोकस छात्रों और एमएसएमई कर्मियों के औद्योगिक कौशल को बढ़ाना है। यह कौशल विकास एक ऐसा कार्यबल बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, जो न केवल शैक्षणिक रूप से योग्य हो, बल्कि उद्योग के लिए भी तैयार हो। छात्रों के लिए, यह वास्तविक दुनिया की व्यावसायिक चुनौतियों और अवसरों के लिए मूल्यवान संपर्क मुहैया कराता है। एमएसएमई के लिए, ये नए परिप्रेक्ष्य और नवीनतम शैक्षणिक शोध तक पहुंच प्रदान करता है, जो संभावित रूप से उनकी परिचालन चुनौतियों के लिए नवप्रवर्तनकारी समाधान की ओर ले जाता है। आज तक, हमने पिछले 10 वर्षों में 17 करोड़ नौकरियों की उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी है। अगर हम इस बात को सही परिप्रेक्ष्य में रखें, तो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014-15 में 47.15 करोड़ की तुलना में, वर्ष 2023-24 में देश में रोजगार बढ़कर 64.33 करोड़ हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, हम एक ऐसे भारत की ओर आगे बढ़ रहे हैं, जहां विकास हर घर तक पहुंचे और हर व्यक्ति के जीवन को छुए तथा हमारी सामूहिक ऊर्जा को विश्वगुरु बनने के आदर्श की ओर ले जाए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम महान पुनर्जागरण के युग की ओर बढ़ रहे हैं, जो हमें विकसित भारत के स्वर्णिम युग में ले जाएगा।

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