फाइलेरिया उन्मूलन : नियमित देखभाल, साफ-सफाई व व्यायाम से होगी दिव्यांगता रोकथाम
रुग्णता प्रबंधन व दिव्यांगता रोकथाम पर जनपद स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण संपन्न
प्रशिक्षण में फाइलेरिया प्रभावित अंगों की समुचित देखभाल के प्रति किया जागरूक
अब सीएचओ, स्वास्थ्यकर्मियों और आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे प्रशिक्षक
वाराणसी, 02 दिसंबर 2023 - मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय स्थित ट्रेनिंग सेंटर पर शनिवार को सीएमओ डॉ संदीप चौधरी के निर्देशन में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता रोकथाम (एमएमडीपी) के लिए जनपद स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण संपन्न हुआ। इस दौरान समस्त ब्लॉक व नगरीय स्वास्थ्य इकाइयों के चिकित्सा अधिकारी, मलेरिया निरीक्षक, हेल्थ सुपरवाइज़र और स्टाफ नर्स को नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया, जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरत चंद पाण्डेय, फाइलेरिया नियंत्रक इकाई के प्रभारी व बायोलोजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह एवं पाथ संस्था के आरएनटीडीओ डॉ सरीन कुमार ने दिया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य – डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि फाइलेरिया रोगियों की दृष्टि से वाराणसी एक संवेदनशील जनपद है। लिम्फोडिमा (हाथ, पैरों व स्तन में सूजन) रोगियों को इसके प्रबंधन का प्रशिक्षण अति आवश्यक होता है जिसमेंउनको सामान्य शारीरिक व्यायाम, सूजन, घाव, संक्रमण प्रबंधन तथा मच्छर आदि से बचाव के बारे में विधिवत प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रशिक्षक अब अन्य स्वास्थ्यकर्मियों जैसे आशा, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ), एएनएमआदि को प्रशिक्षण देंगे। इसके साथ ही ब्लॉक व नगरीय स्तर पर लगाए जाने वाले एमएमडीपी कैंप में मरीजों को भी जानकारी उपलब्ध कराएंगे।
फाइलेरिया को जानें - प्रशिक्षण में डीएमओ एससी पाण्डेय ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर जनित लाइलाज रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसे लिम्फोडिमा और हाथी पांव भी कहा जाता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में स्तन में सूजन की समस्या आती है। यह बीमारी न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है बल्कि इस वजह से मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। शुरू में डॉक्टर की सलाह पर दवा का सेवन किया जाए तो बीमारी को बढ़ने से रोक सकते हैं।
बायोलोजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह तथा पाथ के डॉ सरीन कुमार ने प्रशिक्षण के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों को फाइलेरिया ग्रसित व रोगी सहायता समूह (पीएसजी) की सदस्य बृजबाला (55) के प्रभावित दाहिने पैर के रुग्णता प्रबंधन व साफ-सफाई का अभ्यास कराया। वह बताती हैं कि उन्हें करीब 25 साल से हाथीपांव बीमारी है। कई जगह उपचार कराया लेकिन आराम नहीं मिला। लेकिन समूह के साथ जुड़ने और डॉक्टर द्वारा दिये जा परामर्श से वह प्रभावित अंग की अच्छी तरह से साफ-सफाई करती है ताकि किसी भी प्रकार का संक्रमण न हो। साथ ही बैठे-बैठे व्यायाम भी करती हैं। इससे उनके पैरों की सूजन, दर्द व लालिमा धीरे-धीरे कम हो रही है।
प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके सीनियर मलेरिया निरीक्षक अजय कुमार ने बताया कि फाइलेरिया के बारे में मिली विस्तार से जानकारी को अब सीएचओ, स्वास्थ्यकर्मियों और आशा कार्यकार्यताओं को दी जाएगी जिससे वह भी फाइलेरिया संभावित रोगियों की स्पष्ट पहचान कर सकें। मलेरिया निरीक्षक ओम प्रकाश ने बताया कि प्रशिक्षण में फाइलेरिया के बारे में विस्तार से जानकारी मिली, जिसे वह सभी स्वास्थ्यकर्मियों के साथ साझा कर उन्हें प्रशिक्षित करेंगे।
कार्यशाला में अधीक्षक सहित कुल 35 स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान एसीएमओ डॉ एसएस कनौजिया, डीएमओ एससी पाण्डेय, बायोलोजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह, पाथ के आरएनटीडीओ डॉ सरीन कुमार, सीफार संस्था के प्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे।
इन्सेट
एक नजर जनपद के आंकड़ों पर – जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2021 में संचालित गए आईडीए/एमडीए अभियान में कुल 1203 फाइलेरिया रोगी खोजे गए थे। इसमें लिम्फोडेमा के 997 रोगी और हाइड्रोसिल के 206 रोगी मिले। हाइड्रोसिल के सभी रोगियों का इलाज हो चुका है जबकि लिम्फोडेमा के रोगियों का उपचार जारी है। पिछले दो वर्षों में करीब 848 एमएमडीपी किट वितरित की जा चुकी हैं।