वाराणसी में गंगा ने बदला रंग, 1 साल में तीसरी बार हरा हुआ गंगा का जल
काशी की गंगा में शैवालों ने एक साल में तीसरी बार धावा
बोला है। पांडेय घाट से राजेंद्र प्रसाद घाट तक जल हरा हो गया है।
शुक्रवार आधी रात के बाद शैवाल आरपी से लेकर पांडे घाट तक
भारी मात्रा में उतराए हुए दिखे।
शनिवार सुबह घाट किनारे पहुंचे स्नान के नेमियों को दूर तक गंगा
बिल्कुल हरी दिखाई दीं। उनके लिए असहज स्थित रही। नौकाओं की
आवाजाही से घाट किनारे शैवालों की सघनता कुछ कम जरूर हुई
लेकिन तेज धूप के कारण दिन में नौकाओं का परिचालन न के बराबर
होने से सघनता फिर बढ़ गई। सायं गंगा आरती के दौरान लहरों की
गति में बदलाव से शैवालों का प्रसार भी हुआ।गंगा में शैवालों की मौजूदगी का सीधा दुष्प्रभाव जल में ऑक्सीजन
की कमी के रूप में पड़ता है। इससे पहले मई-22 के अंतिम सप्ताह
में बड़ी मात्रा में शैवालों से गंगा का जल हरा हुआ था। तीन दिन के
अंतराल पर दो बार भारी मात्रा में शैवाल आए थे। तब दशाश्वमेध से
पंचगंगा घाट के बीच सबसे अधिक प्रभाव था। उस समय मिर्जापुर के
एक एसटीपी से निकले शोधित मलजल को जल के हरापन का
कारण बताया गया था।
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