ज्ञानवापी(gyanvapi ) कथित मस्जिद के नीचे मिले आदि विशेश्वर महादेव के शिवलिंग की पूजा अर्चना को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और जिला प्रशासन आमने-सामने
varanasi जिला प्रशासन नो एंट्री का बोर्ड लगाया तो स्वामी असरानी अंजन छोड़ शुरू किया सत्याग्रह ज्ञानवापी (gyanvapi ) प्रकरण में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग को लेकर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार अपने केदार घाट स्थित विद्या मठ से ज्ञानवापी परिसर जाने का प्रयास किया तो पुलिस दीवाल के रूप में बीच में खड़ी हो गई
और
प्रशासनिक दबाव में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को अपने घर में देख कर आना पड़ा और पुलिस ने उन्हें उनके मठ में ही नजरबंद करते हुए मटको छावनी के रूप में परिवर्तित कर दिया है
जिसके कारण स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कई बार जिला प्रशासन पर नाराज भी हुए उनका स्पष्ट कहना था कि जब तक बाबा विश्वनाथ प्रकट नहीं हुए थे
तब तक तो सब कुछ जैसे चल रहा था तहसील चल रहा था चुकी बाबा विश्वनाथ प्रकट हो चुके हैं तो उनका नियमित पूजन अर्चन भोग प्रसाद लगना चाहिए अगर जिला प्रशासन हमको यह अनुमति न दे तो वह स्वयं प्रामाणिकता के साथ बाबा विश्वेश्वर की पूजा अर्चना शुरू करें अभी संविधान का नूर और यायालय को मानते हैं
इसलिए सिर्फ अकेले ही बाबा का दर्शन पूजन कर उन्हें स्नान ध्यान कराने के बाद भू प्रसाद लगाकर मैं वापस मत में आ जाता लेकिन जिस प्रकार से जिला प्रशासन ने ज्ञानवापी परिसर को सील कर बाबा का दर्शन पूजन बंद किए हुए हैं
वह निंदनीय है
दरअसल स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार मर से निकलकर ज्ञानवापी परिषद जाने कि जैसे ही कोशिश की पुलिस के जवानों ने एक दीवाल बनाकर उनके बाहर निकलने से मना कर दिया
और उन्हें उनके मठ में ही नजरबंद कर दिया है बाहर पुलिस और अंदर बाबा अब तो सर आनंद आंदोलनरत हो गए हैं उन्होंने कहा है कि वह अन्य जल त्याग कर बाबा का दर्शन पूजन करेंगे या अपना जीवन त्याग देंगे