हृदयाघात उपचार परियोजना, हृदय रोग से होने वाली मृत्यु को कम करने में निभाएगा अहम भूमिका – पार्थ सारथी सेन शर्मा
वाराणसी में चल रहा प्रोजेक्ट, प्रदेश के आठ जनपदों में जल्द शुरू होगा स्पोक एंड हब मॉडल, ईसीजी व थ्रंबोलिसिस थेरेपी से बचाएंगे लोगों की जान – प्रमुख सचिव स्वास्थ्य
बीएचयू ट्रामा सेंटर में आयोजित हुई आईसीएमआर स्टेमी केयर प्रोजेक्ट की एक दिवसीय प्रदेश स्तरीय बैठक व प्रशिक्षण कार्यशाला
टीएसयू मेडिकल हेल्थ के कार्यकारी निदेशक समेत आईसीएमआर-आईजीएमसी विशेषज्ञ, आईएमएस बीएचयू के प्रोफेसर ने की चर्चा
विभिन्न जनपदों के सीएमओ व वाराणसी के चिकित्सकों व स्टाफ नर्सों को स्टेमी केयर के बारे में दी गई विस्तृत जानकारी
वाराणसी, 26 मई 2023 – चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग एवं आईएमएस बीएचयू के संयुक्त सहयोग से वाराणसी में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुए आईसीएमआर के हृदयाघात उपचार परियोजना (स्टेमी केयर प्रोजेक्ट) को प्रदेश के आठ अन्य जनपदों में शुरू किया जाएगा। वाराणसी में यह प्रोजेक्ट बीएचयू के हृदयरोग विभाग के प्रोफेसर व स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के प्रधान अन्वेषक डॉ धर्मेन्द्र जैन और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी के नेतृत्व में चल रहा है। वाराणसी के जिला चिकित्सालय व स्वास्थ्य केन्द्रों में ईसीजी और थ्रंबोलिसिस थेरेपी की व्यवस्था की गई है। वाराणसी के इसी मॉडल को प्रदेश के आठ जनपदों कानपुर नगर, गोरखपुर, लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर, झाँसी, अलीगढ़ एवं प्रयागराज में शुरू किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट हृदय रोग से होने वाली मृत्यु में कमी लाने में अहम भूमिका निभाएगा।
उक्त बातें शुक्रवार को बीएचयू ट्रामा सेंटर सभागार में आयोजित हुई आईसीएमआर स्टेमी केयर प्रोजेक्ट पर प्रदेश स्तरीय बैठक व प्रशिक्षण कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहीं। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्देश्य हृदयाघात के मामलों को त्वरित स्वास्थ्य लाभ देने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सक व नर्स को विस्तृत जानकारी देना है। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए स्पोक (जिला चिकित्सालय व स्वास्थ्य केंद्र) एंड हब (मेडिकल कॉलेज) सेंटर को मजबूत करना होगा। सेंटर पर ईसीजी, जांच, निदान, इंजेक्शन, थ्रंबोलिसिस थेरेपी सहित अन्य आवश्यक संसाधनों की शत-प्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित करना होगा। जिला चिकित्सालयों व स्वास्थ्य केन्द्रों पर आने वाले हृदयाघात के मरीजों का सम्पूर्ण उपचार करना सुनिश्चित होना चाहिए। मेडिकल कॉलेजों में हृदय रोग विशेषज्ञ 24 घंटे सातों दिन टेलीमेडिसिन सेवा के माध्यम से जुड़े रहें। इससे किसी भी मरीज को कोई परेशानी न हो सके। इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों, जिला चिकित्सालयों व स्वास्थ्य केन्द्रों में तैनात सभी चिकित्सक, सिस्टर व नर्स को प्रशिक्षित करना बेहद जरूरी है। इस प्रोजेक्ट में किसी भी स्तर पर मानव संसाधनों की कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बीएचयू के प्रो डॉ धर्मेन्द्र जैन और सीएमओ डॉ संदीप चौधरी को वाराणसी में शुरू किए गए प्रोजेक्ट के सफल संचालन के लिए उत्साहवर्धन किया। विभिन्न जनपदों से आए सीएमओ, चिकित्सक व नर्स को यह परियोजना जल्द से जल्द शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर बीएचयू के कुलगीत से किया गया। इस दौरान बीएचयू के कुल सचिव प्रो वीके शुक्ला ने कहा कि प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के सहयोग और मार्गदर्शन से बीएचयू के इस प्रोजेक्ट को पूरे प्रदेश में सम्पूर्ण रूप से सफल बनाया जाएगा। बीएचयू का हृदयरोग विभाग इसके लिए तत्पर है। उन्होंने बीएचयू के प्रोफेसर डॉ धर्मेन्द्र जैन व सीएमओ डॉ संदीप चौधरी को धन्यवाद दिया। शुभारंभ के दौरान आईएमस बीएचयू के निदेशक प्रो डॉ एसके सिंह, आईएमएस बीएचयू के डीन प्रो डॉ अशोक कुमार, बीएचयू ट्रामा सेंटर के प्रो डॉ सौरभ सिंह ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
आईसीएमआर नई दिल्ली की डॉ मीनाक्षी शर्मा ने स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के बारे में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों से यह प्रोजेक्ट देश के नौ आकांछिय जनपदों में पायलट के रूप में चलाया जा रहा है। इसके साथ ही मोबाइल मेडिकल एंबुलेंस कुछ जनपदों में संचालित की जा रही है। स्पोक एंड हब सेंटर सभी नौ आकांछिय जनपदों में संचालित किया जा रहा है, जिसमें वाराणसी जनपद भी शामिल है। इसकी सफलता के बाद यह प्रोजेक्ट विभिन्न राज्यों के कई जनपदों में शुरू किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में यह प्रोजेक्ट प्रथम चरण में आठ जनपदों में शुरू किया जाएगा। इसके बाद अन्य जनपदों में भी इसको शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हृदयाघात के लक्षण, उपचार व बचाव के बारे में समुदाय को जागरूक करने के लिए एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जाएगा। लुधियाना, शिमला में इसी तरह का कार्यक्रम चल रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए मजबूत हेल्थ नेटवर्क का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट मूल्यांकन के उद्देश्य से नहीं बल्कि अनुसंधान के उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है।
मेडिकल हेल्थ उत्तर प्रदेश टीएसयू जे कार्यकारी निदेशक डॉ वसंत कुमार एन ने प्रदेश में स्टेमी केयर प्रोजेक्ट की भविष्य योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में गैर संचारी रोग (एनसीडी) के कारण प्रतिवर्ष लगभग 10 लाख से अधिक मृत्यु हो रही है, जिसमें दिल का दौरा पड़ने (हार्ट अटैक) से होने वाली मृत्यु कि संख्या लगभग दो लाख है। इसी की रोकथाम के लिए यूपी के चिन्हित नौ जनपदों में यह प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। केजीएमयू लखनऊ के प्रो डॉ एसके द्विवेदी ने सीने में होने दर्द एवं उसके निदान के बारे में विस्तृत चर्चा की। आईजीएमसी शिमला के प्रो डॉ पीसी नेगी ने शिमला जनपद में संचालित किए जा रहे स्पोक एंड हब कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा इसी मॉडल को अपनाए जाने पर बल दिया।
कार्यशाला का संचालन कर रहे प्रो डॉ धर्मेंद्र जैन ने स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के स्पोक एंड हब के लिए डाटा एंट्री एप व व्हाट्सएप ग्रुप के बारे में जानकारी दी। इस एप और व्हाट्सएप ग्रुप से आईसीएमआर, आईएमएस के विशेषज्ञ, चिकित्सक सहित सभी चिकित्सा इकाइयों के चिकित्सक व स्टाफ जुड़े रहेंगे। सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने हृदयाघात (स्टेमी) के निदान ईसीजी की भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी। हार्ट इंडिया चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ आलोक कुमार सिंह ने एक्यूट कोरोनारी स्निड्रोम के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सीनियर रिसर्च फैलोशिप डॉ पायल सिंह ने स्टेमी प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन, रोगियों के सहमति पत्र, चेकलिस्ट आदि के विषय में विस्तृत जानकारी दी।
इस मौके पर एनसीडी वैज्ञानिक डॉ रूपा एस, डॉ सुयश त्रिपाठी, प्रो डॉ ओएम शंकर, विभिन्न जनपदों के सीएमओ, नोडल अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा, समस्त डिप्टी सीएमओ व एसीएमओ, डॉ शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी, डॉ अतुल सिंह, डॉ सौरभ सिंह, अधीक्षक, एमओआईसी, स्टाफ नर्स एवं अन्य अधिकारी ने प्रतिभाग किया।