सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, बी.एन.जॉन के खिलाफ सभी आपराधिक मामले रद्द, खिल उठे चेहरे

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, बी.एन.जॉन के खिलाफ सभी आपराधिक मामले रद्द,  खिल उठे चेहरे 

छात्रावास प्रबंधक पर लगे झूठे आरोपों का हुआ पर्दाफाश, न्याय की हुई जीत

वाराणसी। कैंटोनमेंट स्थित बंगला नंबर 12 के निवासी बी.एन.जॉन और उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक जीत हासिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ लंबित सभी आपराधिक मामलों को खारिज करते हुए न्याय का नया अध्याय लिखा। पत्रकारवार्ता में बी.एन.जॉन ने बताया कि वह एक छात्रावास के स्वामी और प्रबंधक हैं, जिसे एक गैर-सरकारी संगठन 'संपूर्ण डेवलपमेंट इंडिया' के माध्यम से संचालित किया जाता है।

यह संगठन वंचित बच्चों को आवास, शिक्षा, और अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने का कार्य करता है।
उन्होंने खुलासा किया कि सैम अब्राहम और के.वी. अब्राहम ने व्यक्तिगत स्वार्थ और जमीन हड़पने की नीयत से उनके खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराए। इन मुकदमों में से चार में उन्हें पहले ही बरी किया जा चुका है।

छापेमारी और आरोपों की हकीकत

3 जून 2015 को सैम अब्राहम के आवेदन पर अधिकारियों ने छात्रावास पर छापा मारा। आरोप लगाया कि छात्रावास किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के प्रावधानों का पालन नहीं कर रहा है और बच्चों को अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग की। इसके बाद बी.एन.जॉन पर अधिकारियों पर हमले का झूठा आरोप लगाकर धारा 353 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया।

20 जून 2015 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, वाराणसी की अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया। लेकिन बी.एन.जॉन ने इसे उच्च न्यायालय और बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। न्यायमूर्ति बी.वी.नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन.कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सभी आपराधिक कार्यवाहियों को रद्द करने का निर्देश दिया। फैसले के बाद बी.एन.जॉन ने कहा कि यह न्यायपालिका में हमारे अटूट विश्वास की जीत है। हमने लंबे समय तक झूठे आरोपों का सामना किया, लेकिन सत्य की हमेशा जीत होती है।

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