सनातन धर्म में विज्ञान के आगे ज्ञान है और ज्ञान के आगे चमत्कार है जो आज चर्चा है

वाराणसी :- गुरु माँ के अनुसार वेदान्त की मूलभूत परिभाषा है कि जो दिखता है वही शून्य है l जगत मिथ्या है। इसी बीच गुरु माँ ने देह दान, अंग दान और नेत्र दान की महत्त्वता पर बल दिया। समय और प्रस्थिति के अनुसार अब हिन्दुओ को बिजली के यंत्रों द्वारा यानी इलेक्ट्रिकल क्रिमेटोरियम द्वारा मृत का संस्कार किया जाना चाहिए क्योकि एक मुर्दा दो पेड़ लकड़ी खा जाता है l सरकार को इस और गम्भीरता से सोचना चाहिए ताकि पर्यावरण संतुलित हो सके। गुरु माँ ने इस विषय पर काशी विश्वनाथ के पुजारी से भी चर्चा की कि साधुओं संतों व ब्राह्मण का कर्तव्य है कि इस और विचार करे।

सनातन धर्म में विज्ञान के आगे ज्ञान है और विज्ञान के आगे चटकर है जो आज चर्चा है  वाराणसी :- गुरु माँ के अनुसार वेदान्त की मूलभूत परिभाषा है कि जो दिखता है वही शून्य है l जगत मिथ्या है। 


इसी बीच गुरु माँ ने देह दान, अंग दान और नेत्रदान की महत्त्वता पर बल दिया। समय और परिस्थिति के अनुसार अब हिन्दुओ को बिजली के यंत्रों द्वारा यानी इलेक्ट्रिकल क्रिमेटोरियम द्वारा मृतक का संस्कार किया जाना चाहिए क्योंकि एक मुर्दा दो पेड़ लकड़ी खा जाता है l सरकार को इस और गंभीरता से सोचना चाहिए ताकि पर्यावरण संतुलित हो सके।

गुरु माँ ने इस विषय पर काशी विश्वनाथ के पुजारी से भी चर्चा की कि साधुओं संतों व ब्राह्मण का कर्तव्य है कि इस और विचार करे। 


शुद्ध आत्मा पर बात करते हुए गुरु माँ ने गीता के माध्यम से कहा “ ये एनम वेती हंतारम यश्चेनम मनयेतम हतम “  द्रष्टा की मौत नहीं होती। 


ओम नमा शिवाय का अर्थ बताते हुए कहा कि ओम रजो तमो सतो गुण के आधार व्यापक स्वरूप को ओम् कहते हैं l नमा नमन को भी कहता है और “न” “ मैं” भी कहते हैं l 


शिव के सिर पर चंद्रमा को आनंद का रूप, शांति का रूप सौम्यता का रूप शीतलता का रूप बताया l


आदि शंकराचार्य ने जो काम पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण अध्यात्म की तारे जोड़ कर किया बह सरहनीय था। उनके अनुसार शंकराचार्य की तरह उपासना करते करते हमे शिवमय होंजाना चाहिए। 


अंत में भस्मसासुर का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारा मन ही भस्मासुर है l मन इच्छा की पूर्ति चाहता है। भस्मासुर ख़ुद ही हमारी ही इच्छा से स्वाहा हो जाता है। 


समापन गीत के माध्यम से किया जिसके बोल थे “ जिसका तुम्हें अभिमान है ये भी न रहेगा “
इसके बाद पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए गुरु मां ने यह भी कहा कि आजकल समाज में यह चालान हो गया है कि जो लोग सनातन धर्म को ना जानते हैं ना मानते हैं फिर भी वह सनातन धर्म के बारे में प्रतिक्रिया देते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए और यह दुर्भाग्यपूर्ण है वहीं दूसरी तरफ आजकल धर्म गुरुओं द्वारा किया जा रहा है चमत्कार पर भी गुरु मां ने अपनी प्रतिक्रिया इशारों इशारों में ही दिया उन्होंने कहा कि विज्ञान के आगे ज्ञान हैं और ज्ञान के बाद चमत्कार है सनातन धर्म में योग और ज्ञान के माध्यम से विज्ञान के आगे की बात सोची जा सकती है और वही लोगों को चमत्कार समझ में आता है सनातन धर्म एक मजबूत धर्म है जिसमें सारी समस्याओं का समाधान है

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