शहरी इलाकों में स्वास्थ्य विभाग ने तीन सालों में बढ़ाई 250 आशाएं

वाराणसी, 20 अगस्त 2022 – राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) नगर के लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर तरीके से पहुंचाने के लिए लगातार प्रयासरत है। नगर की आशा कार्यकर्ता के जरिये घनी व मलिन बस्तियों में चिकित्सीय एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।

शहरी इलाकों में स्वास्थ्य विभाग ने तीन सालों में बढ़ाई 250 आशाएं

शहरी इलाकों में स्वास्थ्य विभाग ने तीन सालों में बढ़ाई 250 आशाएं 

मलिन बस्तियों में भी पहुँच रहीं चिकित्सीय एवं स्वास्थ्य सुविधाएं

आशा स्वास्थ्य विभाग की मजबूत कड़ी, निभा रहीं महत्वपूर्ण भूमिका : सीएमओ

वाराणसी, 20 अगस्त 2022 – राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) नगर के लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर तरीके से पहुंचाने के लिए लगातार प्रयासरत है। नगर की आशा कार्यकर्ता के जरिये घनी व मलिन बस्तियों में चिकित्सीय एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। 


 मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि एनयूएचएम के तहत नगर की मलिन बस्तियों में लगातार चिकित्सीय एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है। आशा को नियमित प्रशिक्षित किया जा रहा है और आशा खासकर ग्रामीण क्षेत्र और मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं। उन्होने कहा कि अगस्त 2019 में करीब 285 शहरी आशा कार्यकर्ता तैनात थीं। वर्तमान में 535 आशा नगर के विभिन्न स्थानों पर अपनी सेवा प्रदान कर रही हैं। 165 नई आशा कार्यकर्ताओं के नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है।
 एनयूएचएम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ एके मौर्य ने बताया कि भारत सरकार के निर्देशों के क्रम में शहरी आशाओं को उनके द्वारा किए जाने वाले नियमित गतिविधियों के लिए कार्य आधारित प्रतिपूर्ति राशि के रूप में हर माह कम से कम 4000 रुपये और अधिकतम 10,000 रुपये दिये जाने का प्रावधान किया गया है। प्रतिपूर्ति राशियों में ससमय भुगतान किए जाने से आशाओं के उत्साह, मनोबल एवं कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी होती है तथा समुदाय में गुणवत्तापरक सेवाएँ प्रदान करने की प्रेरणा मिलती है। 


शहरी आशा की भूमिका और उत्तरदायित्व - डॉ मौर्य ने बताया कि आशा, शहरी आबादी के वंचित वर्गों विशेषतयः महिलाओं एवं बच्चों को समस्त प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी प्रदान करती है तथा समुदाय में स्वास्थ्यकर्मियों के मध्य संपर्क सूत्र का कार्य करती हैं। 
 गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व व पश्चात देखभाल, सुरक्षित प्रसव का महत्व, स्तनपान, सम्पूरक आहार, टीकाकरण के संबंध में महिलाओं को परामर्श देना । 
 गर्भवती या बच्चे के उपचार हेतु नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सा इकाई पर साथ ले जाना या रेफर करना । 
 प्रशिक्षण पश्चात गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल (एचबीएनसी) कार्यक्रम के तहत जन्म से 42 दिन तक 6 से 7 बार गृह भ्रमण ।
 परिवार नियोजन साधन व अन्य सामग्री जैसे ओआरएस, आयरन की गोलियां, गर्भनिरोधक गोलियां, कंडोम एवं आपातकालीन गर्भ निरोधक गोलियां प्रदान करना। 
 स्वच्छता अभियान, क्षय उन्मूलन, संचारी व गैर संचारी रोगों का नियंत्रण, सामान्य रोगों जैसे दस्त, बुखार, हल्की चोटों के लिए प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने एवं जानकारी पहुंचाने के लिए।

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