करपात्र प्राकट्योत्सव - चौदहवाँ दिन-भक्ति प्रभु की प्रियतमा -मुरलीधर जी महाराज

वाराणसी 29 जुलाई। जोधपुर, राजस्थान से पधारे प्रख्यात कथावाचक संत मुरलीधर जी महाराज ने कहा की ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सांसारिक वस्तुओं की आवश्यकता नही है, ईश्वर को प्राप्त करना है तो सिर्फ भक्ति के जरिये ही यह संभव है। 115 वें करपात्र प्राकट्योत्सव के उपलक्ष्य में दुर्गाकुण्ड स्थित मणि मंदिर, धर्मसंघ में चल रहे 27 दिवसीय श्री राम कथा के चौदहवें दिन शुक्रवार को कथा रसपान कराते हुए मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि भक्ति प्रभु की प्रियतमा है, संसार से,मन, क्रम, वचन से श्रद्धा समर्पित करने से प्रभु को सदैव सदैव के लिए प्राप्त कर सकते हैं। भगवान राम व सीता जी की जोड़ी संसार की श्रेष्ठ व आदर्श दम्पति है। भारतीय सभ्यता व संस्कृति में विवाह को सात जन्मों का बंधन कहा गया है।

करपात्र प्राकट्योत्सव - चौदहवाँ दिन-भक्ति प्रभु की प्रियतमा -मुरलीधर जी महाराज

करपात्र प्राकट्योत्सव - चौदहवाँ दिन-भक्ति प्रभु की प्रियतमा -मुरलीधर जी महाराज
वाराणसी 29 जुलाई।  जोधपुर, राजस्थान से पधारे प्रख्यात कथावाचक संत मुरलीधर जी महाराज ने कहा की ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सांसारिक वस्तुओं की आवश्यकता नही है, ईश्वर को प्राप्त करना है तो सिर्फ भक्ति के जरिये ही  यह संभव है। 115 वें करपात्र प्राकट्योत्सव के उपलक्ष्य में दुर्गाकुण्ड स्थित मणि मंदिर, धर्मसंघ में चल रहे 27 दिवसीय श्री राम कथा के चौदहवें दिन शुक्रवार को कथा रसपान कराते हुए मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि भक्ति प्रभु की प्रियतमा है, संसार से,मन, क्रम, वचन से श्रद्धा समर्पित करने से प्रभु को सदैव सदैव के लिए प्राप्त कर सकते हैं। भगवान राम व सीता जी की जोड़ी संसार की श्रेष्ठ व आदर्श दम्पति है। भारतीय सभ्यता व संस्कृति में विवाह को सात जन्मों का बंधन कहा गया है।


उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज द्वारा रचित श्री राम चरित मानस के बालकाण्ड में वर्णित धनुष भंग प्रसंग के बाद मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम व जगत जननी मां सीता जी के विवाह प्रसंग का बड़ा ही सुंदर व जीवंत वर्णन किया।
     धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज के पावन सानिध्य में आयोजित कथा का शुभारंभ यजमान श्री मती यशोदा देवी राजपुरोहित ने श्री राम चरित मानस व व्यास पीठ पूजन कर किया।


      इस अवसर पर पंडित जगजीतन पाण्डेय, राजगोपालानन्द जी महाराज, विजय मोदी, राजमंगल पाण्डेय सहित कथा में देश के विभिन क्षेत्रों से पधारे सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण किया।

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