जाने ये PFI का खास जिहादी - शहाद्रुत मारक दस्ता क्या है

वाराणसी :- हॉलीवुड फिल्म द अनटचेबल , 1987 में प्रदर्शित हुआ था । इस फिल्म में नायक जो कि कानूनी संस्था का अधिकारी केविन कोन्सटर एक टीम बनाता है जिसे द अनटचेबल नाम दिया गया । इसे बिना प्रोटोकॉल का पालन अपने सहयोगी से गुप्त रखता है । 35 साल बीतने पर भी यह फिल्म ने पूरे दुनिया में सनसनी फैला दिया है । फिल्म में प्रयोग किए गए कार्यप्रणाली फिर से एक बार चर्चा में है

जाने ये PFI  का खास  जिहादी - शहाद्रुत मारक दस्ता क्या है

और पढ़े जाने ये PFI  का खास  जिहादी - शहाद्रुत मारक दस्ता क्या है वाराणसी :- हॉलीवुड फिल्म द अनटचेबल , 1987 में प्रदर्शित हुआ था । इस फिल्म में नायक जो कि कानूनी संस्था का अधिकारी केविन कोन्सटर एक टीम बनाता है जिसे द अनटचेबल नाम दिया गया । इसे बिना प्रोटोकॉल का पालन अपने सहयोगी से गुप्त रखता है ।

35 साल बीतने पर भी यह फिल्म ने पूरे दुनिया में सनसनी फैला दिया है । फिल्म में प्रयोग किए गए कार्यप्रणाली फिर से एक बार चर्चा में है और सभी गलत कारणों के बाद इस बार भारत में हाल ही में पी . एफ.आई के शस्त्र प्रशिक्षण शिविरों की खोज के बाद पी . एफ.आई जिसे पॉपुलर फंट ऑफ इंडिया के नाम से जानते हैं वो यही कार्य प्रणाली का नकल किया है ।

जिसके दुश्मनों के खात्मा के लिए काम के आधार पर टीम का गठन किया जाता है और कार्य पूरा हो जाने पर उस टीम को समाप्त कर दिया जाता है । द अनटचेबल समाज से द्वेष समाप्त करने और आम लोगों को एक समृद्ध समाज में जीवन बिताने के लिए काम कर रहा था ।

इसके विपरीत पी . एफ.आई के मारक दस्ते विरोधियों को निशाना बनाने राजनीतिक हत्या बदले आदि के लिए बनाया गया है । जो कि किसी भी परिस्थिति में समाज के कल्याण के लिए योगदान नहीं किया है ।

' मारक दस्ते का अस्तित्व नेशनल डोमेस्टिक फ्रंट पी.एफ.आई की पूर्ववर्ती संस्था जिसे जिहादी शहादत के नाम से जाना जाता था जिसका मतलब पवित्र लड़ाई का शहीद होता है । इन दस्तों में सदस्यों का चयन सावधानी पूर्वक किया जाता है और उन्हें हथियार और विस्फोटक का प्रशिक्षण दिया जाता है । इन दस्तों का गठन 1990 के दौरान एन.डी.एफ को संरक्षित करने के लिए बनाया गया जिसे आर.एस.एस का तथाकथित दुश्मन माना जाता है ।

उसी रणनीति के तहत हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया । दस्ते के सदस्यों का चयन उनके संगठन के प्रति अत्याधिक वफादारी और उनके शारीरिक योग्यता के आधार पर ही किया जाता था । समूह में अन्य सदस्यों का चयन उनके आपराधिक इतिहास पर किया जाता था । जिहादी शहादत की अवधारणा पी . एफ.आई की आत्मा एवं उनके चिट्ठी में दिखती थी ।

कार्य पर इसकी तीव्रता अधिक थी । एन.एस.जी कमांडों शेखर राढौड़ , रामलिंगम एवं रूद्रेश कुमार की हत्या सभी पी . एफ.आई के मारक दस्ता द्वारा किया गया थां पी.एफ.आई का मारक दस्ता का गठन कार्य के जरूरत के अनुसार किया जाता था और कार्य समाप्त होते ही इस दस्ते का विघटन कर दिया जाता था । इन दस्ते को पी . एफ.आई के शब्दावली में ऑपरेशनल दस्ते के नाम से भी जाना जाता है । एक अधिकारी जो कि शेखर राढौड़ के हत्या के मामले की जॉच कर रहे थे

उन्होंने बताया की मुख्य टीम जो कि दस्ते के कोर का निर्माण हत्या करने के लिए बनाएगा उनमें मुख्यतः अच्छी तरह से प्रशिक्षित चार से पाँच पी . एफ.आई कैडर को सम्मिलित किया जाता है । टास्क हत्या को पूरा करने के लिए कोर दस्ते के सपोर्ट दस्ते द्वारा नदद पहुँचाया जाता है जिसमें मुख्य रूप से स्थानीय कैडर का प्रयोग किया जाता है

जिन्हें स्थानीय जानकारी है । मूल्यों को सलवार की दी जाती है क्योंकि आसानी होती है और हत्या को द्वारा अंजाम दिया जाता है और बाइक के पतली गल्ली और सड़कों पर ले जाने में देने के बाद इसे आसानी से पाया जा सकता है ।

इतिहास गवाह है कि मुल्ला सेना के मुकाबले पारंपरिक सेना से लड़ाई करन आसान है जबकि भारत चीन और पाकिस्तान के सीमाओं की रक्षा करने में व्यस्त हैं पीए आई कैडर की हथियार प्रशिक्षण और उनके मारक इस्टों का निर्माण भारत के आंतरिक सुर में गहरा हस्तक्षेप कर सकता है जिसका असर भारत के समूचे सीकत पर पड़ेगा । जैसा पी.एफ.आई के आतंकी एवं हिंसा के मामले में इसका असली यहा दिखाया है , संगी हथियार प्रशिक्षण एवं गुरिल्ला वार को नकारा नहीं जा सकता है ।

आखिरकार भारत कमी एस समूह का सहन नहीं कर सकता जो कि अपने भौगोलिक सीमाओं में माओवादी से खतरनाक हो । पॉपुलर फट ऑफ इंडिया के प्रशिक्षित संवर्ग केरल के प्रधान मथुरा जिला का पदम जंगल , कोल्लम जिला का सस्थाको राजस्थान का सवाई माधोपुर का धन जंगल एवं पुणे का ब्लू वेल स्कूल में एक बात सामान  है कि इन सभी जगहों पर चरमपंथी संगठनों पी.एफआई का प्रशिक्षण स्थल है जैसा कि वरिष्ठ पी.एफ.आई नेता द्वारा बताया गया है ।

पी . एफ.आई अपने संवर्ग के लड़ाई के साथ -साथ  हथियार प्रशिक्षण में भी उतना ही ध्यान देता है जिससे कि जब भी दुश्मन हमला करे तो इसके लिए तैयार रहें ।

पी . एफआई शब्दावली में शत्रु की परिभाषा जानने के लिए यह जाना जरूरी है कि पी.एफ.आई अपने पसंदगों को कैसा प्रशिक्षण देता है । पी . एफ . आई अपने काडरों के चयन और प्रशिक्षण के लिए व्यापक विधि अपनाता सर्वप्रथम नव चयनितों की सांप्रदायिक दंगे का विलाप दिखाया जाता है

उसके उप शारीरिक शिक्षक उनसे मुखातिब होते हैं । यही अभ्यास का पालन अलग - अलग समूहों के किया जाता है । अंततः दस सदस्यों को उस समूह में से मुसलमानों को दुश्मन आर.एस.एस बचाने के लिए प्रयोग किया जाता है । चयनित उम्मीदवारों को बाद में गहन कक्षा दिया ज है जिसमें धार्मिक संहिता का पालन जैसे कि दिन में पाँच पर सालाह करना इत्यादि शिक्षा  दी  है ।

अंतिम रूप से चयनित व्यक्तियों पर यह भी नजर रखी जाती है कि वो सुबह की इबादत  समय से कर रहे हैं या नहीं । इन 10 के समूह को बाद में उनके गृह जिलों के आधार पर दो भाग में बांटा जा है । इसके बाद इन्हें शारीरिक प्रशिक्षण और जिहार पर उचित कक्षाएँ दी जाती है । शारिरिक  प्रशिक्षण 6 महीने तक हफ्ते में दो बार दी जाती है और यदि कोई भी मानसिक शारीरिक अक्षमता दिखाता है तो उन्हें बाहर निकाल दिया जाता है ।   ..............................................    

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