जाने ओशो  से क्यों डरता था अमेरिकाऔर यूरोप 

वाराणसी :- ओशो के इसी टिप्पणी के कारण अमेरिका ने देश से निकाल दिया ओशो जब अमेरिका गए तो उन्होंने जीसस की खुलकर आलोचना की और ये साफ साफ कह दिया कि जीसस भगवान या भगवान के बेटे नहीं हो सकते । -ओशो ने कहा कि जीसस मांस खाते थे और शराब पीते थे । जो व्यक्ति मांस खाता है उसमें करुणा नहीं हो सकती इसलिए मांस खाने वाले जीसस ईश्वर या उनके पुत्र नहीं हो सकते ।

जाने ओशो  से क्यों डरता था अमेरिकाऔर यूरोप 

वाराणसी :- ओशो के इसी टिप्पणी के कारण अमेरिका ने देश से निकाल दिया  ओशो जब अमेरिका गए तो उन्होंने जीसस की खुलकर आलोचना की और ये साफ साफ कह दिया कि 
जीसस भगवान या भगवान के बेटे नहीं हो सकते ।


-ओशो ने कहा कि जीसस मांस खाते थे और शराब पीते थे । जो व्यक्ति मांस खाता है उसमें करुणा नहीं हो सकती इसलिए मांस खाने वाले जीसस ईश्वर या उनके पुत्र नहीं हो सकते ।


-ओशो ने कहा कि भारतीय चिंतन में ध्यान की परंपरा है जबकि ईसाइयत में ध्यान की कोई जगह ही नहीं है । भारत का योगी ध्यान के आनंद में रहता है जबकि ईसा मसीह शराब का नशा करते थे और शराब वही पीता है जो आदमी दुखी होत है, तो जो खुद ही दुखी है वो किसी को क्या खुश रखेगा ? क्या ईश्वर के समकक्ष हो सकेगा ?


-ओशो ने कहा कि ईसा मसीह के संबंध में ये दावा किया गया है कि वो पानी पर चल सकते थे। ओशो ने इसे झूठ कहा और ये जोड़ते हुए कहा कि वैसे हमारे देश में योगी पानी में चलने की सिद्धि प्राप्त कर लेता है, लेकिन उसे भगवान के बराबर दर्जा नहीं दिया जाता ।
-ओशो के इन प्रवचनों से अमेरिका में हड़कंप मच गया । लोगों ने चर्च पर आना कम कर दिया और ओशो के सत्संग में जाने लगे । इन घटनाओं से अमेरिका के पोप और पादरियों की जमीन खिसक गईं ।


-ओशो ने इन पोप और पादरियों को भी नहीं बख्शा । ओशो ने कहा कि अगर तुम्हारे जीसस नदी पर चल सकते थे तो 
तुम स्वीमिंग पूल में ही चल कर दिखा दो, नहीं तो कम से कम बाथ टब में ही चल कर दिखा दो । इन टिप्पणियों ने 
अमेरिका के पोप पादरियों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था ।


- ओशो ने ईसाइयों के उस दावे का भी खंडन किया कि जीसस ने एक मुर्दे को जिंदा किया था । ओशो ने सवाल उठाया कि जीसस ने सिर्फ एक ही मुर्दे को जिंदा क्यों किया और वो भी अपने बचपन के दोस्त को ही, क्यों ? ओशो ने ये भी कहा कि क्या जिसको जिंदा किया, वो फिर कभी मरा ही नहीं ?


-ओशो ने कहा कि भारत में पादरी गरीब लोगों को पैसा देकर ईसाई बनाते हैं लेकिन मैंने अमेरिका के प्रतिभावान लोगों जैसे चित्रकार, मूर्तिकार, संगीतकार, लेखक, कवि, वास्तुशिल्पी, वैज्ञानिक, विचारकों को प्रभावित किया और उनकी आंखें खोल दीं इसीलिए अमेरिका की सरकार और पोप पादरी डर गए ।


- ओशो ने उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन को कहा कि मैं व्हाइट हाउस में तुमसे धर्म पर चर्चा करना चाहता हूं । रोनल्ड रीगन एक कट्टरपंथी ईसाई थे लेकिन उनको उस वक्त बहुत बड़ा झटका लगा था जब उन्होंने खुद अपनी पत्नी को ही ओशो की किताब पढ़ते देखा था । इन घटनाओं के बाद रोनल्ड रीगन ने ओशो को अपना दुश्मन ही मान लिया ।


-ओशो ने वेटिकन सिटी के पोप से ये अपील की थी कि मैं तुम्हारे बीच आकर तुमसे धर्म पर चर्चा करना चाहता हूं और बहुत आत्मविश्वास से ये कहना चाहता हूं कि जिसको तुम धर्म मानते हो वो धर्म नहीं है । 


-ओशो की इन बातों ने ईसाई देशों को इतना डरा दिया कि अमेरिका समेत तमाम ईसाई देशों में ओशो की एंट्री पर ही प्रतिबंध लगा दिया गया था।


-और इन्हीं वजहों से आखिरकार ओशो को झूठे मामलों में फंसा कर अमेरिका छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया । 
लेकिन ओशो ने जीसस पर जो टिप्पणियां की और सवाल उठाए उसका कोई जवाब आज भी पश्चिम के पास नहीं है।

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