MLC 2022 चुनावः भाजपा के ही पाले में है वाराणसी की सीट
VARANASI NEWS वाराणसी। एमएलसी चुनाव में भी भाजपा ने प्रदेश में परचम लहरा दिया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी VARANASI से भाजपा प्रत्याशी डा. सुदामा पटेल की करारी हार हो गई।
MLC 2022 चुनावः भाजपा के ही पाले में है वाराणसी की सीट
VARANASI NEWS वाराणसी। एमएलसी चुनाव में भी भाजपा ने प्रदेश में परचम लहरा दिया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी VARANASI से भाजपा प्रत्याशी डा. सुदामा पटेल की करारी हार हो गई।
वाराणसी के केंद्रीय कारागार में लम्बे समय से बंद पूर्व एमएलसी व बाहुबलीमाफिया डॉन बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह ने बड़े अंतर से एतिहासिक जीत हासिल कर ली। इस हिसाब से कुछ मीडिया की खबरें बनीं कि पीएम के संसदीय क्षेत्र से भाजपा की करारी हार हो गई। लेकिन क्या यह सही है? तो जवाब ना में ही मिलेगा।
क्योंकि अन्नपूर्णा सिंह इससे पहले भी एमएलसी रह चुकी हैं और उनके पति भी। लोग यह भी जानते हैं कि दोनों को भाजपा का अघोषित समर्थन रहा है।
इस चुनाव में भी वही होता लेकिन बात ओमप्रकाश राजभर के खुलेआम बयान से बिगड़ गई। दरअसल विधानसभा के नामांकन की जब प्रक्रिया चल रही थी उसी दौरान विधानपरिषद चुनाव की भी प्रक्रिया चालू हो गई। हालांकि बाद में विधानपरिषद चुनाव टाल दिया गया। उसी दौर में ओमप्रकाश राजभर मुख्तार अंसारी का खुलकर समर्थन कर रहे थे। कचहरी में बेटे का नामांकन कराने आए सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर से मीडिया ने सवाल कर दिया कि आप माफिया मुख्तार अंसारी का समर्थन कर रहे हैं? तो जवाब मिला कि भाजपा बृजेश सिंह के साथ तो हम मुख्तार के साथ हैं। इसमें क्या हर्ज है। इसके अलावा ओमप्रकाश राजभर ने तमाम टीवी चैनलों पर डिवेट में भी इसे दोहराया था। बृजेश सिंह या उनकी पत्नी को चुनाव मैदान में उतरना था यह तो तय था।
लेकिन इस बार घोषित व अघोषित समर्थन की वजाय भाजपा ने प्रत्याशी उतार दिया। इससे किसी दबंग या बाहुबली को समर्थन की बात से पिंड छूट गया। लेकिन जानकारों को यह पता था कि जीत किसे मिलनी है और परिणाम भी अपेक्षा के अनुरूप रहा।
लोगों को यह भी पता है कि गाजीपुर निवासी और मऊ के बाहुबली विधायक रहे मुख्तार अंसारी और धौरहरा के मूल निवासी बृजेश सिंह की अदावत दशकों पुरानी है। दोनों के बीच कई बार गैंगवार की घटनाएं हुईं। अखबारों की फाईलें और पुलिस की रिकार्ड में यह दर्ज है। शासन ने अब मुख्तार अंसारी व उनके गुर्गों पर जबर्दस्त शिकंजा कस दिया है।
शिंकजा ऐसा कि मुख्तार व उनके परिवार के अलावा उनके गुर्गों की बदजुबानियां बंद हो गई हैं। मुख्तार गैंग का लेफ्टिनेंट मुन्ना बजंरगी, पश्चिमी यूपी का माफिया संजीव जीवा समेत कई शूटरों की लम्बी फेहरिश्त थीं। हालांकि धीरे-धीरे सब निपट गए। पुरानी कहावत है-जरायम जगत में चलाई गई गोली एक दिन लौटकर आती जरूर है। बात तो कड़वी है लेकिन आज मुख्तार अंसारी और उनके परिवार की सम्पत्तियां कुर्क हो रही हैं। बुलडोजर चल रहे हैं और पिछले दिनों एमपीएमएलए कोर्ट में पेशी के लिए ले जाते समय बहुतों की बीपी बढ़ गई थी। दूसरी ओर सपा-बसपा के शासन में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती रही। तब बृजेश सिंह व उनके परिवार पर काफी दबाव था। शासन के दुलरूआ बने मुख्तार की वजह से ही बृजेश सिंह को 20 साल फरारी काटनी पड़ी थी। अब हालात बदल चुके हैं। कभी नाव गाड़ी पर तक कभी गाड़ी नाव पर। वही मुख्तार का खुलेआम समर्थन करनेवाले और डिप्टी सीएम बनने का सपना संजोए ओमप्रकाश राजभर क्या सोचते होंगे यह वही जानते होंगे। खैर बात भाजपा के जीत-हार की तो बनारस की सीट एक तरह से भाजपा के ही पास है।
इसे एमएलसी चुनाव में विजयी और हारे प्रत्याशियों के बयान से ही समझ सकते हैं। इस एमएलसी सीट पर बृजेश सिंह व उनके परिवार का 24 साल से दबदबा कायम है। बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह ने इस सीट से ऐतिहासिक जीत हासिल की है। जबकि बीजेपी के सुदामा पटेल को महज 170 वोट ही मिले। भाजपा और सपा अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई। सबसे पहले बृजेश सिंह के बड़े भाई चुलबुल सिंह दो बार इस सीट से एमएलसी रह चुके हैं। उसके बाद 2010 में उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी। अन्नपूर्णा सिंह के बाद 2016 में इस सीट से खुद बाहुबली बृजेश सिंह ने जेल से चुनावी मैदान में ताल ठोका और 3 हज़ार 54 वोट पाकर चुनाव जीते थे। इस चुनाव में भाजपा ने अपना प्रत्याशी नही उतारा था।
खुद भाजपा प्रत्याशी ने ही लगाया था आरोप
वाराणसी नगर निगम के करीब 60 से ज्यादा पार्षद, एक दर्जन विधायक व एमएलसी और आठों ब्लाक में प्रमुख और करीब एक हजार सदस्य होने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी को 170 वोट ही मिले। इससे उलट सपा प्रत्याशी उमेश यादव ने भाजपा प्रत्याशी से दोगुना से ज्यादा मत हासिल किया। चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी ने अपनी पार्टी के पदाधिकारियों पर अन्नपूर्णा सिंह के पक्ष में प्रचार करने का आरोप लगाया था। कहा जा रहा है कि एमएलसी चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हार से शीर्ष प्रबंधन नाराज है।
हालांकि नवनिर्वाचित एमएलसी अन्नपूर्णा सिंह ने भाजपा के प्रति आस्था जताकर इस चिंता को जरूर कम कर दिया है। चुनाव में करारी हार के बाद भी भाजपा प्रत्याशी डा. सुदामा पटेल का दर्द झलक गया। उन्होंने कहा, बृजेश सिंह की पत्नी के साथ भाजपा ने फ्रेंडली फाइट की। उनके दस एजेंट में पांच भाजपा के पदाधिकारी थे। पदाधिकारियों ने चुनाव में किसी तरह की मदद नहीं की। चुनाव प्रबंधन से लेकर एक एक रुपये का खर्च तक मैंने अपने खाते से किया। यह कहते हुए सुदामा पटेल का गला भर आया और कहाकि पार्टी का आदेश था और मैंने पूरी ईमानदारी से चुनाव लड़ा, मगर पार्टी के लोगों ने मेरा साथ नहीं दिया।
लेकिन इस दर्द के साथ उन्हें ईनाम मिलने की भी उम्मीद है। वे कहते हैं कि दिल्ली तक के पदाधिकारी जानते हैं कि मैंने पूरी निष्ठा से चुनाव लड़ा। अब इस हार का क्या ईनाम मुझे मिलेगा, यह शीर्ष प्रबंधन ही जाने। उधर, नवनिर्वाचित एमएलसी अन्नपूर्णा सिंह ने प्रमाण पत्र लेने के बाद कहा कि केंद्र व राज्य सरकार ने वाराणसी में अभूतपूर्व विकास कार्य किए।
उन्होंने पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यों की सराहना की और कहाकि उन्होंने जनता की सेवा और क्षेत्र के विकास के लिए हरसंभव प्रयास किया। मेरे ज्येष्ठ स्व.उदयभान सिंह जनसंघ के समय से ही भाजपा के साथ रहे और हम उन्हीं के आदर्शों को आत्मसात करते हुए सुचिता की राजनीति में विश्वास करते हैं।
What's Your Reaction?