रंगभरी एकादशी पर निकली मां गौरा की पालकी
वाराणसी, 20 मार्चः रंगभरी एकादशी पर बुधवार को कांजीवरम साड़ी पहनी मां गौरा, बाबा विश्वनाथ के परंपरागत राजसी परिधान खादी, शिव व गौरा के शीश पर बंगीय देवकिरीट और अयोध्या व मथुरा के गुलाल के रंग में रंगी मां गौरा के गौने की पालकी निकली। काशी की गलियां हर हर महादेव के उद्घोष और डमरुओं की गर्जना से गुंजायमान हो उठीं। भोलेनाथ के भक्तों के कंधे पर रजत पालकी में बाबा के साथ माता पार्वती काशी विश्वनाथ धाम अपने ससुराल पहुंचीं। बाबा को ग़ुलाल अर्पित करके भक्तों ने महादेव से होली खेलने की अनुमति मांगी। इसके बाद काशी की गलियों में ग़ुलाल उड़ता दिखा और पूरी काशी की फिजा में होली का रंग घुल गया। श्री काशी विश्वनाथ धाम में मां पार्वती के स्वागत के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ।
रंगभरी एकादशी पर निकली मां गौरा की पालकी
अयोध्या व मथुरा के गुलाल के रंग में रंगी मां गौरा, काशी की फिजा में घुला होली का रंग
बाबा को ग़ुलाल अर्पित कर भक्तों ने महादेव से होली खेलने की मां
गी अनुमति
मां गौरा ने पहनी थी कांजीवरम साड़ी और परंपरागत राजसी परिधान खादी पहने थे बाबा विश्वनाथ
शिव व गौरा के शीश पर बंगीय देवकिरीट से सजी थी पालकी
भोलेनाथ के भक्तों के कंधे पर रजत पालकी में बाबा के साथ माता पार्वती काशी विश्वनाथ धाम स्थित ससुराल पहुंचीं
हर हर महादेव के उद्घोष और डमरू की गर्जना से गुंजायमान हुईं काशी की गलियां
वाराणसी, 20 मार्चः रंगभरी एकादशी पर बुधवार को कांजीवरम साड़ी पहनी मां गौरा, बाबा विश्वनाथ के परंपरागत राजसी परिधान खादी, शिव व गौरा के शीश पर बंगीय देवकिरीट और अयोध्या व मथुरा के गुलाल के रंग में रंगी मां गौरा के गौने की पालकी निकली। काशी की गलियां हर हर महादेव के उद्घोष और डमरुओं की गर्जना से गुंजायमान हो उठीं। भोलेनाथ के भक्तों के कंधे पर रजत पालकी में बाबा के साथ माता पार्वती काशी विश्वनाथ धाम अपने ससुराल पहुंचीं। बाबा को ग़ुलाल अर्पित करके भक्तों ने महादेव से होली खेलने की अनुमति मांगी। इसके बाद काशी की गलियों में ग़ुलाल उड़ता दिखा और पूरी काशी की फिजा में होली का रंग घुल गया। श्री काशी विश्वनाथ धाम में मां पार्वती के स्वागत के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ।
बाबा को अर्पित किया गया गुलाल व अबीर
रंगभरी एकादशी से ही काशी होलियाना मूड में आ जाती है। बाबा विश्वनाथ व माता पार्वती के गौना से ही बनारस होली के रंग में डूब जाती है। अयोध्या से आया गुलाल व मथुरा के जेल में कैदियों द्वारा तैयार की गई खास हर्बल अबीर भी बाबा को अर्पित की जाती है। रजत पालकी पर बाबा और मां पार्वती के साथ पुत्र गणेश भी विराजमान थे। भक्त इस अद्भुत क्षण के दर्शन कर निहाल दिखे। काशी अपनी परंपराओं की जड़ों को हमेशा सींचती रहती है। सदियों पुरानी संस्कृति का जीवंत रूप काशी में रंगभरी एकादशी पर तब देखने को मिलता है, जब पूर्व महंत आवास (गौरा सदनिका) से श्रद्धालु पालकी में अपने कंधे पर लेकर माँ पार्वती का गौना लेकर कैलाश यानी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचते हैं। इस लौकिक परंपरा के लोकाचार्य की शुरुआत कई दिनों से पूर्व महंत के आवास टेढ़ी नीम पर निभाई जाती है। जहां से काशीवासी बाबा के संग मां पार्वती की विदाई कराते हैं।
शहनाई बजी, सांस्कृतिक संध्या का किया गया आयोजन
रंगभरी एकादशी पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा महादेव एवं मां गौरा की शोभायात्रा मंदिर परिसर में धूमधाम से निकाली गई। मां के ससुराल आगमन की ख़ुशी में श्री काशी विश्वनाथ धाम में भी शहनाई बजी। पद्म श्री सुश्री सोमा घोष सहित अन्य ख्यातिलब्ध प्रतिष्ठित कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक संध्या में शिवार्चनम प्रस्तुतियां की गई। बाबा के शयन आरती तक भजन, गीत, संगीत की सरिता में भक्त सराबोर दिखे। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि संपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग धाम के यूट्यूब चैनल तथा फेसबुक लाइव से की गई। इसके साथ ही मंदिर प्रशासन की ओर से सोशल मीडिया पर भी बाबा व मां गौरा से जुड़े कार्यक्रमों का लाइव प्रसारण किया।
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