चौबीस घंटे से अधिक बीते मगर पुलिस कमिश्नर ने नहीं दिया उत्तर तो नाराज दिखे शंकराचार्य पुलिस  आयुक्त को भेजेंगे रिमाइंडर 

वाराणसी। परामाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामि श्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘1008’ द्वारा ज्ञानवापी स्थित मूल विश्वनाथ मंदिर की परिक्रमा के संबंध में पुलिस आयुक्त वाराणसी को दिए गए पत्र का उत्तर चौबीस घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नहीं दिया गया है

चौबीस घंटे से अधिक बीते मगर पुलिस कमिश्नर ने नहीं दिया उत्तर तो नाराज दिखे शंकराचार्य पुलिस  आयुक्त को भेजेंगे रिमाइंडर 

चौबीस घंटे से अधिक बीते मगर पुलिस कमिश्नर ने नहीं दिया उत्तर तो नाराज दिखे शंकराचार्य पोल्स आयुक्त 

वाराणसी। परामाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामि श्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘1008’ द्वारा ज्ञानवापी स्थित मूल विश्वनाथ मंदिर की परिक्रमा के संबंध में पुलिस आयुक्त वाराणसी को दिए गए पत्र का उत्तर चौबीस घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नहीं दिया गया है। शंकराचार्य महाराज की ओर से रिमाइंड कराने के लिए एक और पत्र 31 जनवरी को पुलिस आयुक्त को प्रेषित किया जाएगा।

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 यह पत्र गत सोमवार को दोपहर सवा तीन बजे तब दिया गया था जब पुलिस ने ज्ञानवापी की परिक्रमा को नई परंपरा बता कर स्वामिश्री: को शंकराचार्य घाट स्थित श्रीविद्या मठ में ही रोक दिया गया था। तब पुलिस ने यह कहा था कि आप को वहां जाने की अनुमति नहीं है। पुलिस द्वारा बिना किसी आधार के ज्ञानवापी स्थित मूल विश्वनाथ मंदिर की परिक्रमा को प्रतिबंधित बताए जाने के बाद शंकराचार्य महाराज के शिष्य पं. गिरीश तिवारी द्वारा दिए गए पत्र में स्पष्ट किया गया था कि ज्ञानवापी की परिक्रमा कोई नई शुरुआत नहीं है अपितु यह अनादिकाल से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है। उस पत्र में प्रमाण के तौर पर न्यायिक प्रक्रिया में दर्ज उदाहरण भी प्रस्तुत किए गए थे। श्री तिवारी द्वारा दिए गए पत्र में पुलिस आयुक्त को बताया गया था कि ज्ञानवापी की परिक्रमा की पुष्टि पूर्व में ही टाईटल-सूट संख्या 610 सन् 1991 में की गई है। इसकी पुन: पुष्टि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा याचिका संख्या 3562वर्ष 2021में अनुच्छेद 227 के अंतर्गत भारतीय संविधान में विधित: पुष्ट किया गया है। उक्त निर्णय में यह भी कहा गया है कि किसी भी परिस्थिति में विवादित परिसर का दोहरा चरित्र नहीं हो सकता। विवादित परिसर या तो मंदिर होगा या तो मस्जिद होगा जिसकी पुष्टि साक्ष्योपरांत ही हो सकती है और साक्ष्य लेना अभी तय है। इस दौरान इस आधार पर कि विवादित स्थल मस्जिद है,परिक्रमा को रोका नहीं जा सकता। विवादित स्थल का स्वरूप तय करने का कार्य न्यायालय का है न कि पुलिस-प्रशासन का और किसी भी स्थिति में परिक्रमा रोके जाने का अर्थ यह होगा कि विवादित स्थल का स्वरूप मस्जिद मानते हुए रोका जा रहा है।


श्री तिवारी द्वारा दिए गए पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिस जगह स्वामिश्री: परिक्रमा करना चाहते हैं वह क्षेत्र विवादित नहीं है। जबकि प्रशासन द्वारा कहा जा रहा है कि धारा 144 दंड प्रक्रिया संहिता विश्वनाथ मंदिर परिसर में लगाया गया है जिसके कारण बिना अनुमति प्रवेश नहीं दिया जा सकता। यदि धारा 144 लागू है तो ऐसी स्थिति में मर्यादा की दृष्टि से सिर्फ स्वामिश्री: और ब्रह्मचारी मुकुंदानंद: ही परिक्रमा के लिए जाएंगे। बावजूद इसके पुलिस कमिश्नर की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया उक्त पत्र के संबंध में नहीं दी गई है।



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