नेक्स्ट जनरेशन जेनेटिक्स के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में होगा शुमार , BHU में NGS वर्कशॉप का हुआ शुभारंभ

नेक्स्ट जनरेशन जेनेटिक्स के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में होगा शुमार , BHU में NGS वर्कशॉप का हुआ शुभारंभ

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जूलाजी डिपार्टमेंट में NGS यानी कि नेक्स्ट जनरेशन सिक्वेंसिंग पर वर्कशॉप का शुभारंभ हुआ। जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एसके त्रिगुण ने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माला-फूल अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित किया। उन्होंने 50 सेलेक्टेड रिसर्चरों और देश भर के वैज्ञानिकों से संवाद भी किया। कहा कि यहां पर आपको तीन दिन तक जीनोम सिक्वेंसिंग के बारे में कई व्यवहारिक जानकारियां दी जाएंगी। जंतु विज्ञान विभाग, विज्ञान के सभी क्षेत्रों में देश भर में अग्रणी रहा। उसी को जारी रखते हुए आज यहां पर कार्यशाला हो रही है। इसमें शामिल सभी PhD स्कॉलर्स और वैज्ञानिक देश को नेक्स्ट जनरेशन जेनेटिक्स के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में लेकर जाएंगे।

कार्यक्रम के बारे जानकारी देते हुए आयोजक मंडल से प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और डॉ. राघव मिश्रा ने कहा कि कार्यक्रम में रिसर्चरों ने डेटा को मैप करते हुए म्यूटेशन का पता लगाना सीखा। म्यूटेशन स्कोरिंग से होने वाली समस्याओं के बारे में जानकारियां दी गईं। 

रेडक्लिफ जेनेटिक्स के CEO डॉ. आशीष दुबे ने जीन आधारित रोग और निदानों के बारे में बारीकी से बताया। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के पहले तक सैंगर सिक्वेंसिंग से जीनोम के कुछ ही भाग की जानकारी पता चलती थी। मगर, अब NGS के द्वारा हम पूरे जीनोम (3.2 बिलियन बेस पेयर) के बारे में जानकारी हासिल कर पा रहे हैं। यह जीन क्रांति का युग है। हम अब हर तरह के जन्मजात बीमारियों का समय रहते पता लगा सकते हैं। 

जीन एक्सपर्ट डॉ. सुयश अग्रवाल ने ट्रेनिंग के दौरान छात्रों को जीन बेस्ड डिजीज पर जानकारियां दी। कहा कि जीनोम सीक्वेंसिंग से जो डेटा मिलता है वह 5 GB से भी ज्यादा होता है। इसको किसी भी कम्प्यूटर से एनालिसिस करने में कॉम्प्यूटेशनल सिम्युलेशंस की जरूरत होती है। यदि डाटा ठीक हो तो सिमुलेशन भी सटीक रिजल्ट देता है। उन्होंने क्लासरूम में दिखाया कि कैसे सही बेसकॉलिंग से किसी भी रोग के लिए जिम्मेदार जीन को इफेक्टिव तरीके से चिन्हित किया जा सकता है। आगे चलकर इन डेटा को लेकर मेडिकल साइंस रोगों के इलाज में उपयोग कर सकता है। 

इस वर्कशॉप में BHU के विज्ञान संस्थान और चिकित्सा विज्ञान संस्थान के विभिन्न विभागों से 50 रिसर्चरों को सेलेक्ट किया गया है। वहीं, वर्कशॉप में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के पेलियो डीएनए प्रोफेसर डॉ. मानसा राघवन, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज डॉ. नीरज राय, मैक्स डेलबर्क सेंटर जर्मनी से डॉ. मानवेंद्र सिंह शोधार्थियों के जीनोमिक सवालों और दुविधाओं का समाधान करेंगे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow