नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी ने वाराणसी में एक दिलकश नुक्कड़ नाटक के जरिए बांझपन के बारे में जागरूकता पैदा की

वाराणसी : भारत की अग्रणी फर्टिलिटी और आईवीएफ श्रृंखलाओं में से एक, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी (एनआईएफ) ने वाराणसी के अस्सी घाट में बांझपन और इससे जुड़ी वर्जनाओं को चित्रित करने वाले एक अनोखे नाटक का आयोजन किया। बांझपन सिर्फ एक चिकित्सा स्थिति है और इससे जुड़ी बदनामी को कम करने तथा इस ओर ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से, नुक्कड़ नाटक को स्थानीय लोगों के बीच जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली।

नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी ने वाराणसी में एक दिलकश नुक्कड़ नाटक के जरिए बांझपन के बारे में जागरूकता पैदा की

वाराणसी : भारत की अग्रणी फर्टिलिटी और आईवीएफ श्रृंखलाओं में से एक, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी (एनआईएफ) ने वाराणसी के अस्सी घाट में बांझपन और इससे जुड़ी वर्जनाओं को चित्रित करने वाले एक अनोखे नाटक का आयोजन किया। बांझपन सिर्फ एक चिकित्सा स्थिति है और इससे जुड़ी बदनामी को कम करने तथा इस ओर ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से, नुक्कड़ नाटक को स्थानीय लोगों के बीच जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली।
नुक्कड़ नाटक का उद्देश्य बांझपन के मुद्दों पर जागरूकता पैदा करना था और यह बताना था कि यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए या दोनों की वजह से होता है तथा इसे ठीक करने के लिए चिकित्सा की आवश्यकता होती है। समय पर हस्तक्षेप और परिवार से समर्थन से, बांझपन की समस्या से जूझ रहे जोड़े बच्चा प्राप्त कर सकते हैं। नाटक ने सामाजिक दबाव और उस आघात को भी संबोधित किया जिसका सामना बांझपन की समस्या से जूझ रहे जोड़ों को करना पड़ता है। फर्टिलिटी उपचार को सामान्य बनाना समय की मांग है और समाज को इनफर्टिलिटी से जुड़े पूर्वग्रहों को तोड़ना चाहिए। ऐसी समस्या का सामना कर रहे जोड़े को फर्टिलिटी कंसलटैंट के पास जाना चाहिए और बच्चा पाने के सपने को पूरा करने के लिए उनकी मदद लेनी चाहिए।
इस पहल के बारे में बताते हुए नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी वाराणसी में फर्टिलिटी कंसलटैंट डॉ. प्रतिभा सिंह ने कहा, “इनफर्टिलिटी के बारे में जागरूकता पैदा करने की सख्त जरूरत है, दुख की बात है कि अभी भी यह बदनामी और गलत धारणाओं का कारण बनता है। ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से लोगों को गर्भ धारण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इनमें जीवन शैली के जुड़े मुद्दे जैसे तनावपूर्ण और व्यस्त दिनचर्या देर से विवाह, और धूम्रपान आदतें कुछ कारणों में हैं। बांझपन का सामना महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से करना पड़ता है। पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम), अंडे की खराब गुणवत्ता, प्रजनन प्रणाली में संक्रमण, देर से शादी जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से महिला प्रजनन क्षमता में बाधा आ सकती है। पुरुषों को अपने शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता को लेकर समस्या हो सकती है। आनुवंशिक समस्याएं भी पुरुष बांझपन का कारण बन सकती हैं। यह महत्वपूर्ण है कि दंपत्ति संकोच न करें और फर्टिलिटी टेस्ट के लिए आगे आएं। मेरा सुझाव है कि जोड़ों को समय पर फर्टिलिटी कंसलटैंट से मदद लेनी चाहिए ताकि हम जल्द से जल्द निदान कर सकें और जल्द से जल्द सही उपचार की पेशकश कर सकें। ।”


फर्टिलिटी उपचार को लेकर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकताओं के बारे में बोलते हुए , नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी वाराणसी में कंसलटैंट डॉ. रश्मि अग्रवाल ने कहा, “ऐसे फर्टिलिटी केंद्रों की आवश्यकता बढ़ रही है जो बांझपन की अक्सर जटिल यात्रा से जूझने वाले लोगों को उत्कृष्ट और अधिक महत्वपूर्ण नैतिक उपचार प्रदान करते हैं। अधिकांश जोड़े समझते हैं कि सहायक प्रजनन में आईवीएफ उपचार का एकमात्र उपलब्ध रूप है। लेकिन ऐसे कई विकल्प हैं जिन्हें बांझपन से निपटने वाले जोड़ों के लिए आजमाया जा सकता है और यदि अन्य सभी विफल हो जाते हैं तो आईवीएफ की पेशकश की जा सकती है। मैं जोड़ों को प्रजनन विशेषज्ञ की सलाह लेने की जोरदार सलाह देता हूं और आगे आने में हिचक नहीं रखने तथा चुपचाप पीड़ा सहना रोकने के लिए कहता हूं।”
लोग अभी भी ऐसे कई कारकों से अनजान हैं जो उनकी प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। बांझपन समाज में बदनामी का कारण भी है। अक्सर बांझपन से जूझ रहे जोड़े सामाजिक समारोहों में नहीं जाते हैं, क्योंकि वे बहुत दबाव का सामना करते हैं और अलग-थलग महसूस करते हैं और खुद से लड़ाई लड़ते हैं। समाज को इस तथ्य को समझना होगा कि बांझपन किसी भी अन्य बीमारी की तरह सिर्फ एक चिकित्सा स्थिति है और बांझपन से जूझ रहे जोड़ों का समर्थन और मार्गदर्शन करना और उन्हें माता-पिता बनने के लिए प्रजनन विशेषज्ञ के पास भेजना करना है । समाज को इस सकारात्मक संदेश के साथ नुक्कड़ नाटक का समापन सकारात्मक नोट पर हुआ।

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