नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा के दरबार उमड़ा भक्तों का जनसैलाब,जाने क्या है मंदिर की मान्यता

वाराणसी:- गुरुवार आज नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-पाठ होती है। वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित विश्व प्रसिद्ध और सबसे प्राचीन मंदिरों मे से एक मां कुष्मांडा के दरबार में भक्तों का तांता लगा हुआ है। भक्तजन सुबह के चार बजे से ही कतार में लगकर मां की एक झलक पाने को लालायित हैं। इस मंदिर का उल्लेख काशी खंड में भी आता है। यहां पर इस मंदिर की मान्यता है कि नवरात्रि के पूरे 9 दिन इस मंदिर में मां के दर्शन-पूजन के लिए एकसमान भीड़ उमड़ती है। नौ देवियों की अलग-अलग पूजा होती है

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा के दरबार उमड़ा भक्तों का जनसैलाब,जाने क्या है मंदिर की मान्यता

वाराणसी:- गुरुवार आज नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-पाठ होती है। वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित विश्व प्रसिद्ध और सबसे प्राचीन मंदिरों मे से एक मां कुष्मांडा के दरबार में भक्तों का तांता लगा हुआ है। भक्तजन सुबह के चार बजे से ही कतार में लगकर मां की एक झलक पाने को लालायित हैं। इस मंदिर का उल्लेख काशी खंड में भी आता है।

यहां पर इस मंदिर की मान्यता है कि नवरात्रि के पूरे 9 दिन इस मंदिर में मां के दर्शन-पूजन के लिए एकसमान भीड़ उमड़ती है। नौ देवियों की अलग-अलग पूजा होती है, मगर इस मंदिर में हर 9 देवियों को पूजने वाले श्रद्धालु आते हैं। मां का दर्शन करने से शत्रुओं का विनाश होता है। सुख शांति और धन एवं वैभव की प्राप्ति होती है। भक्त गण मां को बेल पत्र, नारियल और चुनरी चढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।
मान्यता है कि इस मंदिर में पूरे 9 दिन तक सारे देवों की शक्तियां विचरण करती रहती हैं। हर व्यक्ति अपने पत्नी, मां और बच्चों को लेकर आता है। यहां पर संतानोपत्ति का भी आशीर्वाद मिलता है। कुष्मांडा का अर्थ है सुबह की कुषा का समान जो निर्मल और स्वच्छ हो। मंदिर के पीछे कुंड है और यहां पर स्नान करते हैं। अपनी मन्नते पूरी करते हैं। मां कुष्मांडा सिर्फ अड़हुल की कली से ही प्रसन्न हो जाती हैं।

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