एक बार फिर काशी तमिल समागम की तैयारियों हेतु जुटी भारत सरकार की अध्यक्षता में सचिव शिक्षा मंत्रालय

तमिल समागम का आयोजन आगामी 17 दिसंबर से 30 दिसंबर तक होना है। इसका ध्येय क्षेत्र विशेष के ज्ञान का आदान-प्रदान करना तथा एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के उद्देश्य के लिए लोगों में परस्पर जुड़ाव को बढावा देना है ।

एक बार फिर काशी तमिल समागम की तैयारियों हेतु जुटी भारत सरकार की अध्यक्षता में सचिव शिक्षा मंत्रालय

वाराणसी। पिछले वर्ष की भांति पुनः तमिल समागम का आयोजन आगामी 17 दिसंबर से वाराणसी में किया जाना प्रस्तावित है जिसके संबंध में कमिश्नरी सभागार में सुश्री नीता प्रसाद, संयुक्त सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। इस बार तमिल समागम का आयोजन 17 दिसंबर से होना है जिसमें मेहमानों का प्रस्थान 15 दिसंबर को तमिलनाडु से ट्रेन के माध्य

म से होगा। जिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि अब तक लगभग तीस हजार पंजीकरण हुआ है जिसमें से 1500 लोगों को चुना जाना है जिनका आगमन सात विभिन्न शिफ्टों में होना है। मेहमानों को इस बार दो दिन बनारस भ्रमण कराने के उपरांत प्रयागराज तथा अयोध्या जाना है। 

मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा द्वारा पर्यटन, पुलिस तथा अग्निशमन की संयुक्त टीम बनाकर उनके ठहरने हेतु चिन्हित होटल, हाइजीन, खाने की गुणवत्ता तथा सुरक्षा व्यवस्था हेतु सभी तैयारियों की समीक्षा का निर्देश दिया। उन्होंने नगर निगम व स्मार्ट सिटी को संयुक्त रूप से नमो घाट पर टॉयलेट आदि के संबंध में उचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया। मंडलायुक्त ने अतिथियों के स्वागत हेतु अंगवस्त्रम तथा मोमेंटो खरीदने हेतु निर्देशित भी किया। मंडलायुक्त ने सभी स्टाल को 15 दिसंबर तक पूरी तरह चालू करने हेतु निर्देशित करते हुए कहा ताकि 16 दिसंबर को रिहर्सल हो सके। 

जिलाधिकारी एस राजलिंगम द्वारा बताया गया कि अतिथि 15 दिसंबर को चलकर 17 दिसंबर को पहुंचेंगे उसके उपरांत वो लोग विश्वनाथ मंदिर, विशालाक्षी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, काल भैरव मंदिर में दर्शन-पूजन में भाग लेंगे। अगले दिन सभी अतिथि हनुमान घाट पर गंगा स्नान के उपरांत मंदिर में दर्शन पूजन करेंगे तथा सुब्रह्मण्यम भारती जी के घर जायेंगे। तत्पश्चात सभी लोग नमो घाट जायेंगे जहां लंच के उपरांत स्टॉल भ्रमण करेंगे तथा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेंगे। सभी लोग क्रूज से गंगा आरती देखने के बाद आयोजित डिनर में भाग लेंगे। उसके बाद अतिथियों को प्रयागराज ले जाया जायेगा। वहाँ घूमने के बाद सभी लोग अयोध्या दर्शन हेतु प्रस्थान करेंगे। वहाँ से पुनः सभी लोग बनारस आयेंगे तथा यहां से वो लोग ट्रेन से तमिलनाडु को प्रस्थान करेंगे। स्टेशन पर उनके स्वागत करने को प्रशासन अपनी पूरी तैयारी करेगा। जिलाधिकारी ने नमो घाट पर बैरिकेडिंग हेतु भी निर्देशित किया ताकि भीड़ से अतिथियों को अलग रखा जा सके। जिलाधिकारी द्वारा अतिथियों को ठंड से बचाव हेतु ऊनी वस्त्रों की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चत करने को कहा गया। उन्होंने सभी स्टालों पर वाराणसी व तमिलनाडु की वस्तुओं को रखने हेतु निर्देशित किया। 

आईआईटी मद्रास द्वारा 27 नवंबर, 2023 को पंजीकरण पोर्टल के लॉन्च के साथ ही काशी तमिल संगमम के दूसरे चरण का मंच पूरी तरह तैयार हो गया है। इस एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम का दूसरा संस्करण 17 दिसंबर से होना प्रस्तावित है। यह 30 दिसंबर 2023 तक आयोजित पवित्र तमिल मार्गली महीने का पहला दिन है। पहले संस्करण की तरह, यह कार्यक्रम जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के परस्पर जुड़ाव में सहायता प्रदान करके प्राचीन भारत के शिक्षा और संस्कृति के दो महत्वपूर्ण केंद्रों - वाराणसी और तमिलनाडु के बीच जीवंत संबंधों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव करता है। 

काशी तमिल संगमम (केटीएस) के दूसरे चरण में यह प्रस्तावित है कि तमिलनाडु और पुडुचेरी के लगभग 1500 लोग यात्रा में लगने वाले समय सहित 8 दिनों के एक गहन दौरे के लिए ट्रेन से वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा करेंगे। उन्हें 7 समूहों में विभाजित किया जाएगा, जिसमें छात्र, शिक्षक, किसान और कारीगर, व्यापारी और व्यवसायी, धार्मिक व्यक्ति, लेखक और पेशेवर लोग शामिल होंगे। प्रत्येक समूह का नाम एक पवित्र नदी (गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी और कावेरी) के नाम पर रखा जाएगा। 

ये प्रतिनिधि ऐतिहासिक, पर्यटन और धार्मिक रुचि के स्थानों की यात्रा करेंगे और अपने कार्यक्षेत्र  से संबंधित उत्तर प्रदेश के लोगों के साथ बातचीत करेंगे। केटीएस 2.0 जागरूकता सृजन और पहुंच, लोगों में परस्पर जुड़ाव और सांस्कृतिक तन्मयता पर जोर देने वाला एक स्पष्ट प्रारूप होगा। इसमें सर्वोत्तम प्रथाओं में अभिज्ञान प्राप्त करने, शिक्षण को बढ़ावा देने और विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए स्थानीय समकक्षों(बुनकरों, कारीगरों, कलाकारों, उद्यमियों, लेखकों आदि) के साथ अधिक जुड़ाव और बातचीत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। 

शिक्षा मंत्रालय इस कार्यक्रम के लिए नोडल मंत्रालय होगा जिसमें एएसआई, आईआरसीटीसी सहित रेलवे, पर्यटन, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण(ओडीओपी), एमएसएमई, सूचना और प्रसारण, एसडी एंड ई और उत्तर प्रदेश सरकार के संबंधित विभागों सहित संस्कृति मंत्रालय की भागीदारी होगी। पहले चरण से मिली सीख का लाभ उठाने और अनुसंधान के लिए उनकी प्रतिष्ठा को देखते हुए, आईआईटी मद्रास तमिलनाडु और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में काम करेगा। 

प्रतिनिधि यात्रा कार्यक्रम में 2 दिन जाने की यात्रा-2 दिन वापसी यात्रा बनारस की और 1-1 दिन की प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा शामिल होगी। तमिलनाडु और काशी की कला संस्कृति,  हथकरघा, हस्तशिल्प, व्यंजन और अन्य विशेष उत्पादों का प्रदर्शन करने वाले स्टॉल लगाए जाएंगे। वाराणसी के नमो घाट पर तमिलनाडु और काशी की संस्कृतियों के मिश्रण वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। इस अवधि के दौरान ज्ञान के विभिन्न पहलुओं जैसे साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्यापार आदान-प्रदान, एडुटेक और अन्य पीढ़ी की अगली तकनीक और अकादमिक आदान-प्रदान जैसे सेमिनार, चर्चा, व्याख्यान, आदि का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा विशेषज्ञों और विद्वानों,  तमिलनाडु और वाराणसी से उपरोक्त विषयों/व्यवसायों के स्थानीय व्यावहारिक व्यवसायी भी इन आदान-प्रदानों में भाग लेंगे ताकि विभिन्न क्षेत्रों में आपसी शिक्षण से व्यावहारिक ज्ञान/नवाचार का एक समूह उभर सके। 

काशी तमिल संगमम का पहला संस्करण पूरे सरकारी दृष्टिकोण के साथ 16 नवंबर से 16 दिसंबर तक आयोजित किया गया था। जीवन के 12 अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले तमिलनाडु के 2500 से अधिक लोगों ने 8  दिवसीय दौरे पर वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा की थी, जिसके दौरान उन्हें वाराणसी और उसके आसपास जीवन के विभिन्न पहलुओं का गहन अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला था। 

बैठक में नगर आयुक्त अक्षत वर्मा, मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल, रेलवे, पर्यटन, संस्कृति, एमएसएमई समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

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