जिले की छह एफआरयू पर ‘सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक’ का आयोजन
varanasi liveupweb 25 अप्रैल 2022 - प्रथम संदर्भन इकाई (एफ़आरयू) सीएचसी चोलापुर पहुंची गड़सरा निवासी राजश्री (24) की महिला डॉक्टर ने सभी प्रसव पूर्व जांच की। हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम पाये जाने पर
varanasi liveupweb 25 अप्रैल 2022 - प्रथम संदर्भन इकाई (एफ़आरयू) सीएचसी चोलापुर पहुंची गड़सरा निवासी राजश्री (24) की महिला डॉक्टर ने सभी प्रसव पूर्व जांच की। हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम पाये जाने पर डॉक्टर ने हरी साग सब्जियाँ, मौसमी फल, दूध, गुड़ आदि खाने की सलाह दी। इसके साथ ही नियमित लाल आयरन की गोली खाने की सलाह भी दी। वहीं रूबी (22) ने बताया कि पहली बार माँ बनने जा रही हैं इसलिए सभी सावधानी बरत रही हैं। हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने से डॉक्टर ने उन्हें पौष्टिक आहार शामिल करने की सलाह दी। उन्होने कहा कि वह डॉक्टर और क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता से नियमित सलाह लेती रहती हैं।
यह मौका था जनपद में सोमवार को छह स्वास्थ्य इकाइयों (एफ़आरयू) पर ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक’ दिवस के आयोजन का । इसके तहत कुल 558 गर्भवती की निःशुल्क प्रसव पूर्व जाँच (एएनसी) की गई। इसके साथ ही गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों के बारे में बताया गया । मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि महीने में अब दो बार “प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) दिवस” का आयोजन होगा। हर माह की नौ तारीख को पहले से पीएमएसएमए दिवस मनाया जा रहा है। अब सभी एफ़आरयू पर हर माह की 24 तारीख को ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक’ के रूप में पीएमएसएमए प्लस दिवस मनाया जाएगा।
सीएमओ ने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए नौ तारीख को जनपद की स्वास्थ्य इकाइयों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस का आयोजन पहले से ही हो रहा है। इससे वंचित गर्भवती के प्रसव पूर्व जाँच के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को महीने में दो दिवस पर आयोजित करने का निर्णय लिया है। अभियान को सफल बनाने के लिए सभी प्रथम संदर्भन इकाइयों (एफआरयू) यथा जिला महिला चिकित्सालय कबीरचौरा, डीडीयू चिकित्सालय स्थित एमसीएच विंग, एलबीएस चिकित्सालय रामनगर, सीएचसी चोलापुर, सीएचसी आराजीलाइन एवं सीएचसी गंगापुर पर आयोजन किया जाएगा।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ एके मौर्य ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र पर नियमित जांच व उच्च जोखिम युक्त गर्भवस्था से चिह्नित लाभार्थी को प्रसव पूर्व जाँच (एएनसी) कर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। गर्भवती की नियमित नि:शुल्क जांच एवं प्रसव पश्चात उचित देखभाल की सुविधा देने के लिए आयोजन का विस्तार किया गया है। इस दौरान गर्भवती के ब्लड ग्रुप, हीमोग्लोबिन, यूरिन, शुगर, सिफलिस, एचआईवी आदि की जांच की जाती है। जांच के दौरान ही उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) वाली महिलाएं चिह्नित की जाती हैं और उनके सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था कराई जाती है। इसके लिए उन्हें प्रसव के दौरान उच्च चिकित्सा इकाइयों में रेफर भी किया जाता है। उच्च जोखिम वाली महिलाओं को गंभीर रक्त अल्पता, उच्च रक्तचाप, कम वजन, डायबिटीज, एचआईवी पाजिटिव तथा 35 साल से अधिक की उम्र में गर्भधारण आदि श्रेणियों में पहचान की जाती है।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) संतोष सिंह ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य गर्भवती की प्रसव पूर्व विधिवत जांच विशेषज्ञ व महिला डॉक्टर की निगरानी में हो सके। मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता पूनम गुप्ता ने बताया कि इस दिवस पर जिले में करीब 558 गर्भवती की जांच हुई, जिसमें लगभग 40 एचआरपी की श्रेणी में चिह्नित की गईं।
यह सेवाएँ निःशुल्क दी गईं - इस दिवस पर समस्त गर्भवती की प्रसव पूर्व जाँचे (एएनसी) जैसे हीमोग्लोबिन, शुगर, यूरिन जांच, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, सिफ़लिस, वजन, ब्लड प्रेशर एवं अन्य जाँचों की निःशुल्क सुविधा दी गईं। इसके साथ ही टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका, आयरन, कैल्शियम, एलबेंडाजॉल एवं आवश्यक दवाएं मुफ्त दी गईं। एचआरपी युक्त महिलाओं की पहचान, प्रबंधन एवं सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया गया। इसके अलावा पोषण, परिवार नियोजन तथा प्रसव स्थान के चयन के बारे में भी उचित सलाह दी गई।
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