बैंकिंग सेक्टर में मचा हाहाकार, वित्त मंत्रालय ने पीएसयू बैंकों को दी ये सलाह
सरकार ने पीएसयू बैंकों को कंपनियों के गिरवी शेयरों के बदले प्रावधान करने का निर्देश दिया बैंकों को माइक्रो-क्लस्टर स्तर पर व्यापक तनाव परीक्षण के लिए भी कहा गया
वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निर्देश दिया है कि वे बाजार में उपलब्ध आंकड़े हासिल कर कंपनियों के गिरवी शेयरों की ठीक से निगरानी करें और उन पर प्रावधान करें। साथ ही ऐसी कंपनियों के टोटल एक्सपोजर को मैनेज करने को भी कहा गया है ताकि वे संकट की घड़ी में समय पर कार्रवाई कर सकें। अमरिका से लेकर यूरोप तक इस समय बैंकिंग सेक्टर में हाहाकार मचा हुआ है जिसको लेकर अब वित्त मंत्रालय भी एक्शन मोड में आ गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शनिवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के दौरान ये निर्देश दिए गए। वैश्विक स्तर पर अमेरिका और यूरोप के कई बैंकों के डूबने से पैदा हुए वैश्विक वित्तीय संकट की स्थिति को देखते हुए यह समीक्षा की गई। जिसमें पीएसयू बैंकों के कुछ वित्तीय स्वास्थ्य मानदंडों पर चर्चा की गई। बैठक में मौजूद एक अधिकारी के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने पीएसबी से माइक्रो-क्लस्टर स्तर पर पोर्टफोलियो की व्यापक स्ट्रेस टेस्टिंग करने को कहा है। वर्तमान में 12 पीएसयू बैंकों में से केवल छह बैंक माइक्रो-क्लस्टर स्तर का सीधा परीक्षण कर रहे हैं।
जिसमें उत्पाद-ऋण श्रेणियां, जनसांख्यिकीय विवरण, ऋण विशेषताओं जैसे कारक शामिल थे। हालांकि, किसी पीएसयू बैंक ने अभी तक EASE 5.0 सिफारिशों के आधार पर एक व्यापक परिपक्व सीधे परीक्षण मॉडल नहीं बनाया है। इस तरह का व्यापक तनाव परीक्षण बढ़ती ब्याज दरों की अवधि में बैंकों को जोखिम के लिए तैयार करता है। सिलिकन वैली बैंक के मामले में, इसकी संपत्तियां लंबी अवधि के एचटीएम बांडों में बंधी हुई थीं। जबकि जमा निकासी में वृद्धि से परिसंपत्ति-देयता असंतुलन हुआ। जिससे बैंक में भगदड़ मच गई। वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से थोक और जमा प्रमाणपत्रों के खिलाफ उच्च गुणवत्ता वाले चालू खाता बचत खाते (सीएएसए) पर जोर देने को कहा है।
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