प्रधानमंत्री ने किया काशी तमिल संगमम के दूसरे चरण का शुभारंभ
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने काशी तमिल संगमम के दूसरे चरण का रविवार को शुभारंभ किया। नमो घाट पर आयोजित भव्य समारोह में प्रधानमंत्री ने 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की परिकल्पना को साकार करने और भारत की एकता और विविधता का जिक्र करते हुए समागम को ऐतिहासिक बताया।
प्रधानमंत्री ने किया काशी तमिल संगमम के दूसरे चरण का शुभारंभ
काशी तमिल संगमम ने एक नई विरासत को जीवंत कर दिया- श्री धर्मेन्द्र प्रधान
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने काशी तमिल संगमम के दूसरे चरण का रविवार को शुभारंभ किया। नमो घाट पर आयोजित भव्य समारोह में प्रधानमंत्री ने 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की परिकल्पना को साकार करने और भारत की एकता और विविधता का जिक्र करते हुए समागम को ऐतिहासिक बताया।
इस दौरान केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान; उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री एल मुरुगन,पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री पोन राधाकृष्णन सहित कई गणमान्य हस्तियां मौजूद थी।
अपने संबोधन में केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, काशी तमिल संगमम के माध्यम से एक नई विरासत को जीवंत कर दिया है। साथ ही एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार कर रहा है। श्री धमेंद्र प्रधान के कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने हमारे सांस्कृतिक विरासत एवं धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार सभी के आत्माओं एवं आकांक्षाओं को फिर से जीवंत कर दिया है।
वर्ष 2014 के बाद से इतिहास को बड़े पैमाने पर पुनर्जीवित किया गया है। यह हर दिन नए स्वरूप में हमारे सामने आ रहा है एक भारत श्रेष्ठ भारत के साथ पिछले साल हमने काशी तमिल संगम के पहले संस्करण को किया था। आज काशी के नमो घाट पर द्वितीय संस्करण काशी तमिल संगम का शुभारंभ हो रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी का उद्देश्य है कि सभी देश की भाषा हमारी राष्ट्रीय भाषा है मंच से उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ ने कहा , कि विशेश्वर की पावन धरा पर रामेश्वरम से पधारे तमिलनाडु के अपने सभी सम्मानित अतिथियों का मैं हृदय से स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा तमिल कार्तिक माह में कई तमिल संगमम का यह आयोजन प्रधानमंत्री के विजन का परिणाम है। इससे दक्षिण से उत्तर का अद्भुत संगम हो रहा है। इस आयोजन की परिकल्पना माध्यम से एक भारत श्रेष्ठ भारत की चेतन को जागृत करते हुए प्रधानमंत्री ने जी एक बड़े अभियान को आगे बढ़ाया है
हम सब इसके प्रति आभारी हैं।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने कहा कि हम आपका धन्यवाद देना चाहते हैं तमिल बहुत पुराना भाषा है। उन्होंने कहा कि आपने इस समाज के लिए बहुत बड़ा आवास दिया है। उन्होंने कहा कि तमिल को बढ़ाने के लिए एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना के साथ अपने काशी तमिल संगम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि इस शुरुआत के लिए तमिल के तरफ से हम आपका धन्यवाद करते हैं।
काशी तमिल संगमम का दूसरा चरण 30 दिसंबर 2023 तक चलेगा। इससे पहले विगत वर्ष 16 नवंबर से 16 दिसंबर 2022 तक काशी तमिल संगमम के पहले चरण का आयोजन किया गया था। तमिल पंचांग के अनुसार मार्गली (मार्गशीर्ष) महीने में आयोजित काशी तमिल संगमम-2 में तमिलनाडु और पुडुचेरी के लगभग 1500 लोग आठ दिन की यात्रा करेंगे। काशी के साथ ही वे अयोध्या और प्रयागराज भी जाएंगे। इसके लिए सात समूहों में 200 लोगों को शामिल किया गया है।
इसमें छात्र, शिक्षक, किसान व कारीगर, व्यापारी व व्यवसायी, लेखक और पेशेवर शामिल होंगे। प्रत्येक समूह का नाम एक पवित्र नदी (गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी और कावेरी) के नाम पर रखा जाएगा। शिक्षा मंत्रालय इस कार्यक्रम के लिए नोडल मंत्रालय है। तमिलनाडु और काशी की कला और संस्कृति, हथकरघा, हस्तशिल्प, व्यंजन और अन्य विशेष उत्पादों का प्रदर्शन करने वाले स्टॉल इस समागम को जीवंत बना रहे हैं। समागम के दौरान होने वाले सांस्कृतिक महोत्सव से दो संस्कृतियों का मिलन होगा।
गौरतलब है कि काशी तमिल संगमम के दूसरे चरण में कुछ सात समूहों के 1400 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। सम्मेलन में शामिल होने के लिए 8 दिसंबर तक कुल 42,000 रजिस्ट्रेशन हुए थे जिसमें चयन समिति की ओर से प्रत्येक समूह के लिए 205 लोगों का चयन किया गया। इस भव्य आयोजन में शिक्षा मंत्रालय के अलावा आईआरसीटीसी, रेलवे, पर्यटन, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण (ओडीओपी), एमएसएमई, सूचना और प्रसारण, एसडी एंड ई और उत्तर प्रदेश सरकार के संबंधित विभागों सहित संस्कृति मंत्रालय की भागीदारी है। पहले चरण से मिली सीख का लाभ उठाने और अनुसंधान के लिए उनकी प्रतिष्ठा को देखते हुए, आईआईटी मद्रास तमिलनाडु और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में काम करेगा।
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