सहकार से विकसित होगा पूर्वांचल, में दूध संचालन: किसानों के लिए एक नई आशा की किरण बनेगा
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री श्री अमित शाह जी की प्रेरणा तथा बनास डेयरी के चेयरमैन श्री शंकर भाई साहब के नेतृत्व में पूर्वांचल में दूध के व्यवसाय में विकास हो रहा है।
सहकार से विकसित होगा पूर्वांचल, पूर्वांचल में दूध संचालन: किसानों के लिए एक नई आशा की किरण बनेगा
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री श्री अमित शाह जी की प्रेरणा तथा बनास डेयरी के चेयरमैन श्री शंकर भाई साहब के नेतृत्व में पूर्वांचल में दूध के व्यवसाय में विकास हो रहा है।
पूर्वांचल में श्वेत क्रांति का श्रीगणेश हो चुका है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी के मत क्षेत्र में निर्मित बनास काशी संकुल सहकारिता का नया अध्याय बनाएगा। 23 फरवरी को नवनिर्मित बनास काशी संकुल का लोकार्पण पूर्वांचल में सहकारिता की नीव के पत्थर के सामान साबित होगा। पिछले दो वर्षों से बनास डेरी पूर्वांचल के क्षेत्र में पशुपालन एवं डेरी उद्योग की वैज्ञानिक पद्धति की तालीम किसानों को दे रही है, जिससे पूर्वांचल के डेरी उद्योग के साथ पशुपालन क्षेत्र में भी बदलाव आया है। पूर्वांचल में हो रहा सहकारिता का ये नया मॉडल पूर्वांचल के किसानों की समृद्धि बढ़ाएगा।
वर्तमान में यूपी में बनास डेरी का दूध का कारोबार 48 जिलों (7 पूर्वांचल में) के लगभग 4,600 गांवों में फैला हुआ है। अगले साल तक दूध की आवक का विस्तार 70 जिलों के 7,000 गांवों तक पहुंच जाएगा, जिसमें पूर्वांचल में 15 नए जिलों का विस्तार भी शामिल है। पूर्वांचल में 1,300 से ज्यादा दूध समितियां लगभग बन चुकी हैं जिनमें से 600 से ज्यादा दूध समितियां तो चालू हैं। इस वर्ष के अंत तक दूध समितियों की संख्या बढ़कर 2,600 हो जाएगी। बनास डेरी मौजूदा समय में यूपी में 3.5 लाख दूध उत्पादकों के साथ काम कर रही है। इनमें से लगभग 40 हजार दूध उत्पादक पूर्वांचल एवं 18 हजार दूध उत्पादक वाराणसी के हैं। आने वाले समय में गांवों में किसानों के साथ जुड़कर व्यापक काम करते हुए, बनास डेरी यूपी में 2 लाख अतिरिक्त दुग्ध उत्पादक परिवारों को जोड़ेगी, जिनमें से 30 हजार वाराणसी से और 70 हजार पूर्वांचल के अन्य जिलों से आएंगे।
पूर्वांचल में अभी ख़ुशीपुर, चोलापुर, मिर्ज़ापुर, ग़ाज़ीपुर और दूबेपुर में 5 चिलिंग सेंटर काम कर रहे हैं और अगले महीने तक 8 और चिलिंग सेंटर चालू हो जाएंगे। यूपी में कुल मिलाकर, 29 चिलिंग सेंटर चालू हैं और इस वर्ष के अंत तक 50 चिलिंग सेंटर चालू हो जाएंगे।
इस बुनियादी ढांचे के माध्यम से वर्तमान में उत्तर प्रदेश से प्रतिदिन 19 लाख लीटर से अधिक दूध एकत्रित किया जा रहा है जिसमें वाराणसी से प्रतिदिन औसतन 1.3 लाख लीटर दूध और पूर्वांचल से लगभग 3 लाख लीटर दूध प्रतिदिन आ रहा है। उत्तर प्रदेश में और विशेषकर पूर्वांचल में दूध संग्रहण में आने वाले वर्ष के अंत तक काफी प्रगति होने वाली है। अभी यूपी का 19 लाख लीटर प्रतिदिन का दूध संग्रहण, मार्च 2025 तक बढ़कर 25 लाख लीटर प्रतिदिन का हो जाएगा। इस 25 लाख लीटर दूध में से 9 लाख लीटर दूध तो प्रतिदिन वाराणसी और पूर्वांचल से ही आएगा।
पूर्वांचल में दूध संचालन
बनास डेरी पहले से ही पूर्वांचल के 7 जिलों से दूध समितियों के माध्यम से दूध एकत्रित कर रही है। 1,346 समितियां संगठित की जा चुकी हैं जिसमें 618 समितियां अभी चालु हैं। इन समितियों में बनास डेरी ने लगभग 78,000 से अधिक दूध उत्पादक परिवारों को पंजीकृत किया है। पूर्वांचल में अभी बनास डेरी प्रतिदिन 2.93 लाख लीटर दूध एकत्रित कर रही है जो वर्ष का कुल 6.3 करोड लीटर होता है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी के मार्गदर्शन में पूर्वांचल में डेरी सेक्टर के विकास पर जो बल मिला है, आंकड़े उसे बखूबी दर्शाते हैं। 7 जिलों से बढ़कर पूर्वांचल क्षेत्र के 22 जिलों को इस वर्ष के अंत तक दूध संग्रहण के दायरे में शामिल कर लिया जाएगा। यहां 2,600 दुध समितियों का गठन किया जाएगा जो 1 लाख दूध उत्पादक परिवारों को पंजीकृत करेंगी। बनास डेरी कुल 13 दूध शीतलन केंद्र बनाकर पूर्वांचल के गोपालकोँ से प्रतिदिन 7 लाख लीटर दूध की खरीदी करेगी और वार्षिक कुल 31 करोड लीटर दूध संग्रहण की योजना है। ज्ञातव्य हो कि बनास की इस पहल से पूर्वांचल के वार्षिक दूध संग्रहण में लगभग 5 गुना बढ़ोतरी होने वाली है। पूर्वांचल में सहकार से विकास की रफ्तार में अद्भुत तेजी आएगी।
वाराणसी में दूध संचालन
वाराणसी में बनास डेयरी अभी 372 गांवों के 18,000 दूध उत्पादक परिवार जो 192 समितियों में संगठित हैं, के माध्यम से दूध संग्रहित कर रही है। वाराणसी में बनास डेरी ने लगभग 27,600 दुग्ध उत्पादक परिवारों को पंजीकृत कर लिया है। अभी वाराणसी में बनास डेरी प्रतिदिन 1.32 लाख लीटर दूध एकत्रित कर रही है जो वर्ष में कुल 2.3 करोड लीटर होता है। वर्ष के अंत तक बनास डेरी का लक्ष्य 524 गांवों को कवर करना है, जिनमें 30 हजार दूध उत्पादक परिवारों को पंजीकृत किया जायेगा। वाराणसी में बनास डेरी के 3 दूध शीतलन केंद्र होंगे, जिनमें से 2 चालू हो चुके हैं। इससे वाराणसी में प्रति दिन 2 लाख लीटर और वर्ष का कुल 7 करोड लीटर दूध का संग्रहण हो जाऐगा। इस तरह वाराणसी से होने वाले दूध संग्रहण में 3 गुना बढ़ोत्तरी, आने वाले वर्ष में ही होने वाली है।
•उत्तर प्रदेश में 133% दूध उत्पादक परिवारों की संख्या में एवंम 127% कुल दूध संग्रहण में वृद्धि में होगी।
•पूर्वांचल में 162% की दर से बढेगा कवरेज, 320 % की दर से बढेंगी समीतियाँ जिससे 142% की दर से बढेगा दुध उत्पादक परिवार जिससे 388 % की दर से दूध संग्रहण में होगी वृद्धि।
•वाराणसी मे होगी 203 % की दर से दूध संग्रहण में होगी वृद्धि।
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