डीएसटी-स्तुति योजना के तहत आईआईटी (बीएचयू) में सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईएसएम, धनबाद, झारखंड ने संयुक्त रूप से डीएसटी एवं एसटीयूटीआई (स्तुति) योजना के तत्वावधान में संस्थान स्थित सिविल इंजीनियरिंग विभाग में एडवांस इंस्ट्रूमेंटल टेक्निक्स विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का रविवार को समापन हुआ। यह आईआईटी (आईएसएएम) धनबाद और आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी का एक सहयोगी कार्यक्रम है।
वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईएसएम, धनबाद, झारखंड ने संयुक्त रूप से डीएसटी एवं एसटीयूटीआई (स्तुति) योजना के तत्वावधान में संस्थान स्थित सिविल इंजीनियरिंग विभाग में एडवांस इंस्ट्रूमेंटल टेक्निक्स विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का रविवार को समापन हुआ। यह आईआईटी (आईएसएएम) धनबाद और आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी का एक सहयोगी कार्यक्रम है।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बतौर मुख्य अतिथि अधिष्ठाता रिसर्च एवं डेवलेपमेंट प्रोफेसर विकास कुमार दूबे ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित विभिन्न उपकरणों के मौलिक और व्यावहारिक ज्ञान पर शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए डीएसटी, भारत सरकार द्वारा एक अच्छी पहल है। उन्होंने बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का इरादा वैज्ञानिक और तकनीकी अवसंरचना का उपयोग करने वाले सिनर्जिस्टिक प्रशिक्षण कार्यक्रम (एसटीयूटीआई) के बैनर तले देश भर में खुली पहुंच विज्ञान और प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था करके मानव संसाधन और ज्ञान क्षमता का निर्माण करना है।
समापन समारोह में सम्मानित अतिथि अधिष्ठाता एकेडमिक अफेयर्स प्रोफेसर श्याम बिहारी द्विवेदी ने कहा कि वर्तमान प्रस्तावित कार्यक्रम विभिन्न सिविल इंजीनियरिंग परियोजनाओं में प्रयुक्त कुछ उन्नत वाद्य तकनीकों पर ज्ञान प्रदान करना है। यह मॉड्यूल सक्रिय रूप से अनुसंधान या परामर्श कार्य में लगे शोधकर्ताओं के लिए फायदेमंद है। प्रतिभागियों को कक्षा शिक्षण के साथ-साथ प्रत्येक उपकरण के प्रयोगशाला प्रदर्शन के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया है। इसलिए, व्यावहारिक संचालन प्रक्रियाओं और प्रत्येक वाद्य तकनीक के विश्लेषण परिणामों की व्याख्या पर विस्तार से चर्चा की गई है।
आईआईटी (आईएसएम) धनबाद की ओर से कार्यक्रम समन्वयक की भूमिका प्रो. शरत कुमार दास ने निभाई और आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी की तरफ से डॉ. पवित्र रंजन मैती और डॉ. सुप्रिया मोहंती, सिविल इंजीनियरिंग विभाग कार्यक्रम समन्वयक की भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम में एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेज के रिसर्च स्कॉलर, इंडस्ट्री पर्सन, फैकल्टी मेंबर्स ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर डॉ पवित्र रंजन मैती ने बताया कि एसटीयूटीआई योजना हब और स्पोक मॉडल पर काम करती है जहां आईआईटी (आईएसएम) धनबाद हब के रूप में कार्य करेगा। प्रत्येक प्रशिक्षण सत्र सात (7) दिनों का होता है और तीस (30) प्रतिभागियों को समायोजित किया जा सकता है। शर्तों के अनुसार आईआईटी (आईएसएम) धनबाद कुल 22 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिनमें से 16 कार्यक्रम अन्य विश्वविद्यालयों/संस्थानों में स्पोक मॉडल पर आयोजित किए जाएंगे।
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