शंकराचार्यजी स्वामी अविमुक्तेश्वरा नन्द सरस्वती ने दिया - कोरोना भागीरथ सम्मान
राणसी:- देश-दुनिया में कोरोना का तांडव कोई भूल नहीं सकता। पूरी दुनिया में ऐसी भयानकता देखी है जिसकी कोई नही कर सक्ताइसी विनाशकाल में लग गए और कोई कुछ कर भी नहीं स एक और कोरोना से लोगों की तड़प तड़प कर मौत हो रही वही और उनके अपने उन का अंतिम दर्शन भी नहीं कर पा रहे थे। लाश पैकेट में आ रही थी और सीधे श्मशान घाट जलने जा रही थी
शंकराचार्यजी स्वामी अविमुक्तेश्वरा नन्द सरस्वती ने दिया - कोरोना भागीरथ सम्मान
वाराणसी:- देश-दुनिया में कोरोना का तांडव कोई भूल नहीं सकता। पूरी दुनिया में ऐसी भयानकता देखी है जिसकी कोई नही कर सक्ताइसी विनाशकाल में लग गए और कोई कुछ कर भी नहीं स एक और कोरोना से लोगों की तड़प तड़प कर मौत हो रही वही और उनके अपने उन का अंतिम दर्शन भी नहीं कर पा रहे थे। लाश पैकेट में आ रही थी और सीधे श्मशान घाट जलने जा रही थी यह विश्व की यह आदी है जो मनुष्य की नहीं ऐसे भवकर कोरोना के लाइन के बीच कुछ लोग देवदूत बनकर लोगों की मदद कर रहे है । कोई खाना खिला रहा था कोई पटल लेकर जा रहा था तो का अंतिम संस्कार कर रहा था। ऐसे वीर योद्धाओं की कोरिया बोलगानीकोरीना में लटट करने वाले वीर योद्धा कहलाए। ऐसा ही अद्भुत अलौकिक दिव्य कार्य उस कोरोना के भयंकर भीत के लिय में छूट गया था या पूर्ण नहीं हो पाया था भरे हुए
विधि-विधान से अंतिम संस्कार उन की आखरी वैदिक विदाई
उस चक्क मरने वालों में से जाने कितनों को ठीक से संस्कारों के हिसाब से चार कंधे मी नसीब नहीं हुए. ना ही उनके अपने उनके अंतिम
कर पाए. नापि दान हुआ, ना ही अस्थिविसर्जन हुआ। कुछ लोगों को तो यह भी विश्वास नहीं है की उन्होंने किसी अपने का
या किसी और का, क्योंकि सब कुछ बहुत आपाधापी में दूर से हुआ।
लोगो के मन में यह टीस आज भी है और अगर शास्त्रों की बात करें तो वैदिक विधिविधान से अंतिम संस्कार बहुत है। आत्माओं को मुक्ति नही मिलती है।
ऐसे ही लोगों को जिन्होंने अपनों को कोरोना में है, उनके अपनी के लिए विश्व की पहली श्रीमद्भागवतमहापुराण का
आयोजन होने जा रहा है वो भी मोक्षदायिनी नगरी बनारस में।
इस कमी को परमाराध्य परमधर्माधी उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगराचार्य स्वामी अतिरानन्द सरस्वती १००८
द्वारा कहा जाएगा।
यह कथा विश्व की पहली ऐसी कया होगी जहाँ ११ हजार पंडित वैदिक परंपरा से कोरोना में दिवंगत आत्माओं के लिए रात की प्रार्थना करेंगे।
यह अतुलनीय कार्य सिर्फ भारत के लोगों के लिए ही नहीं अपितु पूरे विश्नर के मनुष्यों के लिये होगा भले यह किसी भी जाति परस्परा से दो-
इस ही क्रम श्री शंकराचार्यजी महाराज
कोरोना भगीरथ सम्मान की श्रृंखला शुरू कर रहे है- इस क्रम में OTT 56 प्लेटफार्म के डायरेक्टर्स माननीय बिना शर्मा व गौरव तिवारी को यह प्रथम कोरोना भागीरथ सम्मान मिल रहा है।
बिना शर्मा दिल्ली से विश्व के पहले सनातनी OTT56 प्लेटफार्म की डायरेक्टर है व इस कथा की संरक्षक भी गौरव तिवारी
OTT56 प्लेटफार्म के डायरेक्टर है। ये इस विश्व की पहली कोरोना काल में दिवंगत आत्माओं को मुक्ति मिल सके इस सोच के जनक है। इस विचारधारा को सम्मान करने के लिए श्री शंकराचार्यजी महाराज ने प्रथम कोरोना मगरथ सम्मान से बिना शर्मा गौरव तिवारी को
सम्मानित किया है।
शंकराचार्य जी का कहना है कि यह कार्य साधारण मनुष्य नहीं कर सकता क्योंकि जहाँ एक ओर जिंदा मनुष्य एक दूसरे के लिए नहीं सोच रहा है. वहाँ कोई ऐसा कार्य करे जहाँ लाखो मृत आत्माओं को मोटा और मुक्ति मिल सके यह बात है.... कोरोना भगीरथ' सम्मान पूरे विश्वभर में ऐसे लोगों को दिए जाएंगे जो इस कथा के माध्यम से इस नागीरथ प्रयास में अपना योगदान देगा। शंकरचार्य जी स्वयम अपने हाथों से यह सम्मान योग्य पात्री को देंगे.....
इस कथा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक एव तैयार किया गया है। यह रथ व इस जैसे १०० र सम्पूर्ण भारत में घूम-घूम कर का में दिवंगत हुए लोगों का डेटा इकट्टा करेगा। इस डेटा के माध्यम से कम के अंतिम दिन हजारों पडियों के द्वारा उपाय किये जायेंगे। यह सारा कार्य स्वयं श्री शंकराचार्य जी की देख-रेख में पूर्ण होगा इस क्या को पूरा दिन OTTS6 के मध्य मे प्रसारण द्वारा देख पाएगा और सम्मिलित हो पायेगा।
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