श्रद्धा के साथ आजीविका का भी माध्यम बना श्री काशी विश्वनाथ धाम

राणसी ,28 फरवरी। अर्धनारीश्वर भगवान शिव आधी आबादी को सशक्त और आत्मनिर्भर बना रहे है। बाबा विश्वनाथ का नव्य भव्य धाम महिला सशक्तिकरण को भी बल दे रहा हैं। वाराणसी की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बाबा विश्वनाथ को चढ़ाने वाला प्रसाद बना रही है। कुछ किलो बिकने वाला प्रसाद दर्शनर्थियो की संख्या बढ़ने से क्विंटल में पहुंच गया है। जिससे महिलओं के घर की अर्थव्यवस्था ने भी रफ़्तार पकड़ ली है। इससे ये महिलाएं घर की जिम्मेदारियों में भी।आर्थिक रूप से बढ़-चढ़ कर सहयोग कर रही हैं।

श्रद्धा के साथ आजीविका का भी माध्यम बना श्री काशी विश्वनाथ धाम

श्रद्धा के साथ आजीविका का भी माध्यम बना श्री काशी विश्वनाथ धाम

-नव्य-भव्य धाम महिला सशक्तिकरण को भी दे रहा बल

-वाराणसी की स्वयं सहायता समूह महिलाएं बना रही बाबा विश्वनाथ को चढ़ने वाला महाप्रसादम 

- कुछ किलो बिकने वाला प्रसाद दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ने से पंहुचा क्विंटल मे

- गोपालक, डेयरी, देशी घी, ड्राई फ्रूट जैसे व्यवसायियों को भी मिल रहा प्रोत्साहन

वाराणसी ,28 फरवरी। अर्धनारीश्वर भगवान शिव आधी आबादी को सशक्त और आत्मनिर्भर बना रहे है। बाबा विश्वनाथ का नव्य भव्य धाम महिला सशक्तिकरण को भी बल दे रहा हैं। वाराणसी की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बाबा विश्वनाथ को चढ़ाने वाला प्रसाद बना रही है। कुछ किलो बिकने वाला प्रसाद दर्शनर्थियो की संख्या बढ़ने से क्विंटल में पहुंच गया है। जिससे महिलओं के घर की अर्थव्यवस्था ने भी रफ़्तार पकड़ ली है। इससे ये महिलाएं घर की जिम्मेदारियों में भी।आर्थिक रूप से बढ़-चढ़ कर सहयोग कर रही हैं। 

व्यापार में आया बड़ा उछाल
सनातन धर्म की आस्था का केंद्र श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रधानमंत्री द्वारा लोकार्पण के बाद बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका का साधन भी बन रहा है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के विस्तारित होने के बाद जब योगी आदित्यनाथ ने धाम के संचालन का खाका तैयार किया तो लोगों के जीवन को नया आयाम मिलने लगा। लोगों को आजीविका के नए साधन मिलने लगे हैं तो किसी के व्यापार में बढ़ोतरी हुई है। बनारस की एक ऐसी ही स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बाबा का महाप्रसाद बनाने की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। समूह की मुखिया सुनीता जायसवाल ने बताया कि शुरुआत में 10 महिलाएं जुड़ी थी। लेकिन मंदिर के विस्तारित होने के बाद हम लोगों के काम में भी विस्तार आया और अब समूह में 21 महिलाएं काम कर रही है। उन्होंने बताया कि लोकार्पण के पहले 2019 में कुछ किलो तक ही लड्डू की मांग थी। लेकिन प्रधानमंत्री जी ने जब से मंदिर का लोकार्पण किया है, बाबा के प्रसाद की मांग प्रतिदिन एक क्विंटल तक पहुंच गई है। छुट्टियों में या शनिवार और रविवार को बाबा को चढ़ाने वाले लड्डू की मांग 100 किलो से भी अधिक हो जाती है। बीते सावन में करीब 125 किलो और शिवरात्रि में बाबा के प्रसाद की मांग 400 किलो तक पहुंच गई थी। 

जरूरतमंद महिलाएं हुईं आत्मनिर्भर
स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष ने बताया कि पंडित दीनदयाल ग्रामीण आजीविका मिशन से कई महिलाओं के जीवन में बदलाव आया है। जिनके पति काम नहीं कर पा रहे थे, कोरोना में जिनकी नौकरी चली गई थी, विधवा समेत कई जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार मिला है और वह आत्मनिर्भर बन रही है। बाबा का महाप्रसाद बनाने वाली महिलाएं अपने को सौभाग्यसाली मानती है। उन्होंने बताया कि बाबा का प्रसाद बनाने में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। महिलाओं ने बताया कि बाबा का प्रसाद बनाने में गौरव की अनुभूति होती है। साथ ही देश -विदेश के भक्त जब प्रसाद की तारीफ करते है तो आत्मीय सुकून मिलता है। समूह की  महिलाएं सिर्फ प्रसाद बनाती ही नहीं है, बल्कि धाम में काउंटर लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसादम की बिक्री भी करती है। 

अन्य व्यवसायों को भी मिला बल
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए महाप्रसाद बनाने वाली महिलाओं के समूह के साथ ही गोपालक, डेयरी, आटा, सूजी, देशी घी, बादाम, काजू, चीनी, गुलाब की पंखुडिया, डिब्बे आदि का व्यवसाय करने वालो को भी बड़े तादाद में व्यवसाय मिल रहा है।

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