सोनभद्र :-झोलाछाप डॉक्टर बना मौत डाक्टर और ले ली जच्चा बच्चा की जान cmo सो रहे

मामला यूपी के सोनभद्र जिले में सुकृत चौकी अंतर्गत मधुपुर का है जहां एक झोलाछाप डॉक्टर ने जच्चा और बच्चा दोनों की जान अपनी गलत इलाज से ले ली परिजनों का आरोप है डॉक्टर की पत्नी के द्वारा लगाए गए इंजेक्शन से हालत बिगड़ गई और काफी गंभीर हो गई जिसके वजह से मृतिका और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की जान चली गई।

मामला यूपी के सोनभद्र जिले में सुकृत चौकी अंतर्गत मधुपुर का है जहां एक झोलाछाप डॉक्टर ने जच्चा और बच्चा दोनों की जान अपनी गलत इलाज से ले ली परिजनों का आरोप है डॉक्टर की पत्नी के द्वारा लगाए गए इंजेक्शन से हालत बिगड़ गई और काफी गंभीर हो गई जिसके वजह से मृतिका और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की जान चली गई।

        मृतिका के पति रिशु मौर्य के अनुसार पत्नी 4. महीने की गर्भवती थी 16 सितंबर की शाम पत्नी की तबीयत थोड़ी खराब थी पेट में हल्का दर्द था तो गांव के पास में ही एक डॉक्टर के यहां दिखाया तो डॉक्टर ने दवाइयां और इंजेक्शन लगाने की बात कही जिस पर डॉक्टर की पत्नी ने इंजेक्शन लगाया और अगले दिन अल्ट्रासाउंड कराने की बात कही लेकिन इंजेक्शन और दवाई के बाद रात में ही पत्नी की हालत बिगड़ने लगी। हालत बिगड़ता देख अगली सुबह फिर से उसी डॉक्टर की क्लीनिक पर दिखाया लेकिन पत्नी की हालत गंभीर होता देख और अपनी लापरवाही का भेद खुल ना जाए इसके लिए झोलाछाप डॉक्टर अपना क्लीनिक छोड़ फरार हो गया । बिगड़ती हालत देख पत्नी को बनारस के हॉस्पिटल में भर्ती कराया जिसमें पहले से ही गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई थी और पत्नी की हालत लगातार बिगड़ने लगी डॉक्टर ने कहा कि मरीज की हालत सीरियस हो गई है उसके दोनों किडनी काम नहीं कर रही हैं किडनी फेल हो गई है इसके वजह से यूरिन पास नहीं हो पा रहा है और मरीज को रक्त चढ़ाना पड़ेगा । रक्त चढ़ाने के बावजूद भी पत्नी की हालत लगातार बिगड़ती गई और आज 22 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई। पत्नी के शव को लेकर परिजन और ग्रामीणों ने झोलाछाप डॉक्टर के क्लीनिक को घेर लिया और वही पर शव को रख प्रशासन से न्याय की गुहार लगाने लगे। इस बाबत परिजनों के द्वारा संबंधित जिले के पुलिस कप्तान को दूरभाष के माध्यम से सूचित किया गया जिस पर सुकृत चौकी इंचार्ज ने मौके पर पहुंचकर परिजनों व ग्रामीणों को समझाया बुझाया अनावश्यक रूप से भीड़ ना लगाने को कहा गया जिसके बाद परिजन शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए तैयार नहीं हुए और शव को लेकर अपने घर चले गए।
ज्ञात हो कि उक्त मामले में झोलाछाप डॉक्टर के पास ना तो कोई डिग्री है ना ही क्लीनिक चलाने का किसी तरीके का कोई रजिस्ट्रेशन सूत्रों की माने तो इसी डॉक्टर के क्लीनिक पर कुछ महीनों पहले भी ऐसा ही एक प्रकरण सुनने में आया था।

      सवाल कई हैं जवाब कोई नहीं

      ऐसे में सवाल यह उठता है कि लाखों रुपए कीमत की दवाइयों से भरा क्लीनिक बिना किसी रजिस्ट्रेशन और बिना किसी डिग्री के किसकी मेहरबानी से बेधड़क चलाया जा रहा है ।
संबंधित जिले के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारी आखिर खबरों को क्यों नहीं संज्ञान में लेते हैं। खैर कोई ताज्जुब की बात नहीं है जिले में कई ऐसे क्लीनिक हॉस्पिटल और पैथोलॉजी अवैध तरीके से बिना रजिस्ट्रेशन बिना डिग्री के धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं जिसका खामियाजा आम जनमानस को भुगतना पड़ रहा है और संबंधित जिले के चीफ मेडिकल अफसर अपने कानों और आंखों में तेल डाल कर कुंभकरणी  नींद सो रहे हैं ।

पत्नी और बच्चे के मृत्यु के बाद पति और परिजन एकदम से टूट गए 7 साल पहले हुई शादी में पत्नी का अपने पीछे तीन मासूम बच्चियों मैं एक 9 महीने की दूध मुहें बच्ची  को छोड़ झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से स्वर्गवास हो जाना पति और परिवार वालों के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं ।

संबंधित जिले के जिम्मेदार अधिकारी जब तक ऐसे अस्पतालों पर मेहरबान रहेंगे तब तलक मौतों का यह सिलसिला जारी रहेगा । ऐसे में क्षेत्र की जनता अपने चुने हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर आस लगाकर कार्रवाई की उम्मीद करती है।

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