ज्ञानवापी मस्जिद का पिछला हिस्सा बता रहा शिव मंदिर की कहानी

varanasi लाइव यूपी। शिव की नगरी काशी के बारे में हमारे इतिहास और पुराण श्रीकाशी विश्वनाथ की गवाही दे रहे हैं। यह भी इतिहास में ही दर्ज है कि इस मंदिर को कई बार तोड़ा और लूटा गया। राजा हरिश्चंद्र ने 11 वीं सदी में इस मंदिर का जिर्णोद्धार कराया।

ज्ञानवापी मस्जिद का पिछला हिस्सा बता रहा शिव मंदिर की कहानी
ज्ञानवापी मस्जिद का पिछला हिस्सा बता रहा शिव मंदिर की कहानी

ज्ञानवापी मस्जिद का पिछला हिस्सा बता रहा शिव मंदिर की कहानी


varanasi लाइव यूपी। शिव की नगरी काशी के बारे में हमारे इतिहास और पुराण श्रीकाशी विश्वनाथ की गवाही दे रहे हैं। यह भी इतिहास में ही दर्ज है कि इस मंदिर को कई बार तोड़ा और लूटा गया। राजा हरिश्चंद्र ने 11 वीं सदी में इस मंदिर का जिर्णोद्धार कराया।

इसके बाद भी जिर्णोद्धार कराये गये उनकी कहानी बाद में बताता हूं। इधर, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर और शृंगार गौरी मामले को लेकर उठे विवाद के मामले मुस्लिम पक्षकार सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 1991 के कानून का हवाला देकर यथास्थिति बरकार रखने की बात कह रहा है। इधर, हिन्दु पक्षकार भी पौराणिक ग्रंथों और इतिहास के पन्नों के साथ विश्वनाथ मंदिर प्रकरण में अंग्रेजों के जमाने में कोर्ट में 1937 के फैसले को लेकर खड़ा है। ऐसे में श्रीकाशी विश्वनाथ, माता शृंगार गौरी मंदिरों के इतिहास को खंगालने के लिए देश की तमाम मीडिया काशाी में डटी हुई है। हर मीडिया में ’एक्सक्लूसिव’ की होड़ है।

तमाम आततायियों के हिंदू धर्म की आस्था और संस्कृति पर चोट करने, उन्हें नष्ट करने की कोशिशों की कहानियों से इतिहास भरे पड़े है। वैसे फैसला तो अब सुप्रीम कोर्ट को करना है। पिछले दिनों हुए सर्वे की रिपोर्ट पर वाराणसी की स्थानीय अदालत को फैसला करना था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। अब देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की ओर लगी हैं।


लेकिन हिंदू जनमानस में कई सवाल उमड़-घुमड़ रहे हैं। इस देश में काशी में गंगा-जमुनी तहजीब की मिशाल दी जाती थी। वह अब भी कायम है लेकिन खटास दिखने लगी है। बनारस की जनता दो भागों में बंटती नजर आ रही है। जबकि सेक्युलरिज्म, अमन, शांति की बात करनेवाली एक ऐसी जमात भी है जो विपक्षी दलों या उनसे सम्बद्ध संगठनों के लोग दिखाई दे रहे हैं। लेकिन सवाल पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल यह है कि भगवान राम, कृष्ण और शिव के बिना हिंदू या सनातन धर्म की कल्पना ही नही की जा सकती। काशी शिव की नगरी रही है और यह मान्यता आज भी कायम है। काशी शिव का आनंदकानन वन था।

काशी के बारे में महाभारत काल से लगायत मुगलकाल तक किसी मस्जिद का उल्लेख नही है। वैसे भी श्रीकाशी विश्वनाथ और मस्जिद का क्या नाता है और दोनों का इतिहास समकालीन है? यही नहीं काशी में शिव पहले से हैं और वहां जो भी हुआ वह बाद में हुआ।

शिव का स्थान काशी में नही होगा तो कहा होगा और वहां कोई हिंदू मस्जिद क्यों बनवाने देगा। इसका मतलब उसकी कही विवशत झलक रही है। शृगार गौरी मंदिर की तरफ मस्जिद के पिछले भाग में घंटा, सूर्य आदि के पत्थर पर बने प्रतीक चिन्ह क्या बता रहे हैं? यदि हिंदू मंदिर के अवशेष उस मस्जिद के पिछले हिस्से में दिख रहे हैं तो कोई भी सामान्य व्यक्ति इसे समझ सकता है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई गई है। अभी अंदर के अन्य साक्ष आने बाकी हैं। अभी तो हिंदू पक्ष वहा और भी सर्वे कराने की मांग कर रहा है। 
विश्व के पुराने शहर काशी में मंदिरों का संकुल था विश्वनाथ मंदिर

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