विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व पर मैत्री, प्रेम की गंगा बही।भूल से अगर "भूल " हो गयी हो तो "भूल " समझ कर "भूल"जाना।

वाराणसी। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में शनिवार को भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक भूमि एवं जैन धर्म की प्रमुख तीर्थं स्थली भेलूपुर में सायंकाल "विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व " का आयोजन किया गया। बैर-विरोध को शांत कर क्षमा, प्रेम और मैत्री भाव गंगा में शत्रु भी इस दिन एक दूसरे को क्षमादान करके मन को शांत और निरबैर बनाने का प्रयत्न करते है। तीर्थंकर पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र भूमि पर पूरे विश्व का यह अनूठा आयोजित हुआ।

विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व पर मैत्री, प्रेम की गंगा बही।भूल से अगर "भूल " हो गयी हो तो "भूल " समझ कर "भूल"जाना।

विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व पर मैत्री, प्रेम की गंगा बही।भूल से अगर "भूल " हो गयी हो तो "भूल " समझ कर "भूल"जाना।


वाराणसी। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में शनिवार को भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक भूमि एवं जैन धर्म की प्रमुख तीर्थं स्थली भेलूपुर में सायंकाल "विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व " का आयोजन किया गया। बैर-विरोध को शांत कर क्षमा, प्रेम और मैत्री भाव गंगा में शत्रु भी इस दिन एक दूसरे को क्षमादान करके मन को शांत और निरबैर बनाने का प्रयत्न करते है। तीर्थंकर पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र भूमि पर पूरे विश्व का यह अनूठा आयोजित हुआ।
क्षमावाणी पर्व पर सभी छोटे-बड़े का भेदभाव मिटाकर महिलाए, पुरूष,बच्चे, बुजुर्ग एक दूसरे से अश्रुपूरित नेत्रो से पाँव पकड़कर गले मिलकर क्षमा मांग रहे थे। इस पर्व पर तन-मन एवं आत्मा की शुद्धि, पर्युषण की महानता, क्षमावाणी की सौजन्यता से विभूषित होकर जैन धर्म सभी के जीवन में उत्तम क्षमा का मंगलमयी सन्देश देता है।

'परस्परोप ग्रहो जीवानाम्' की भावना एक दूसरे के प्रति सभी के ह्रदय में प्रेम गहरा और प्रगाढ रहे।
यही मैत्री के क्षमावाणी पर्व का मुख्य उद्देश्य है। यही सन्देश जैन धर्म इस पर्व पर पूरे विश्व के लिए गुंजायमान करता है। जैन धर्म के प्रमुख विद्वान प्रो: अशोक जैन ने अपने सन्देश में कहां-'क्षमा वीरस्य भूषणम्' क्षमा महान वीरों का आभूषण है।
प्रो: कमलेश जैन ने कंहा- सूरज जैसे अंधेरा दूर करें, पानी जैसे प्यास दूर करें वैसे ही एक दूसरे को क्षमादान करना बहुत ही पुनीत कार्य है। डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - ।।मिच्छामी दुक्कडम।। आया क्षमावाणी पर्व महान, सब मानुष है गुण की खान। अंहकार को दहन करेगें, सहजता का हम प्रमाण देंगे। हम क्षमा याचना करते हैं, हम क्षमा आपको करते है। प्रो: फूल चन्द्र प्रेमी ने कंहा-क्रोध हर जीव का शत्रु है उसे जीतना ही क्षमा धर्म हैं ।पं सुरेंद्र शास्त्री ने कंहा- क्षमा शब्द मानवीय जीवन की आधार शिला है, हम क्षमा से ही महानता को प्राप्त कर सकते है।


राजेश जैन ने कंहा- क्षमा पर्व का पावन दिन है, भव्य भावना का त्योहार, विगत बर्ष की सारी भूलें देना हमारी आप बिसार। ।
जैन धर्मावलम्बीयो ने देश-विदेश में रहने वाले रिश्तेदारो, ईष्ट मित्रो, शुभचिन्तको, गुरुओ एवं सभी वर्ग के लोगो को क्षमावाणी कार्ड, दूरभाष, ईमेल, एस एम एस द्वारा क्षमावाणी का संदेश पहुंचा कर शुभकामनाए दी।
विद्वत जनो में प्रो: अशोक जैन, प्रो: फूल चन्द्र प्रेमी, डां मुन्नी पुष्पा जैन, प्रो:कमलेश जैन, पं सुरेंद्र शास्त्री का सम्मान सभापति दीपक जैन ने किया। दशलक्षण पर्व पर 10 दिनो का व्रत करने वालो में आलोक जैन, श्रीमति मंजू जैन, श्वेता जैन, रजनी जैन, स्नेहलता जैन, निधी जैन, प्रफुल्ल जैन, वरूण जैन, गरिमा जैन (5 दिन) कमल बागडा( 10 दिन एकासना) का सम्मान प्रधान मंत्री अरूण जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन एवं महिला समाज द्वारा किया गया। अपराह्न में क्षमावाणी पूजा, भगवान पार्श्वनाथ जी को रजत पाण्डुक शिला पर विराजमान कराकर प्रक्षाल नमन किया गया।


विश्व शांती के लिए शांती धारा ,तीर्थंकरो की आरती एवं जयमाल किया गया। संचालन उपाध्यक्ष राजेश जैन ने किया। आयोजन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, संजय जैन, विनोद जैन, आर सी जैन, प्रधान मंत्री अरूण जैन, समाज मंत्री तरूण जैन, विनय जैन, सुधीर पोद्दार, गौरव जैन उपस्थित थे। 

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