BHU में भारतीय कला , साहित्य एवं परम्परा में राम " पुस्तक का हुआ विमोचन

भारत अध्ययन केन्द्र काशी हिन्दू विश्वविद्यालय , वाराणसी " भारतीय कला , साहित्य एवं परम्परा में राम " पुस्तक लोकार्पण समारोह दिनांक 10 अप्रैल , 2022 प्रेस विज्ञप्ति रामनवमी के शुभ अवसर पर दिनाक 10 अप्रैल 2022 को

BHU में  भारतीय कला , साहित्य एवं परम्परा में राम " पुस्तक का हुआ विमोचन

BHU में  भारतीय कला , साहित्य एवं परम्परा में राम " पुस्तक का हुआ विमोचन भारत अध्ययन केन्द्र काशी हिन्दू विश्वविद्यालय , वाराणसी " भारतीय कला , साहित्य एवं परम्परा में राम " पुस्तक लोकार्पण समारोह दिनांक 10 अप्रैल , 2022 प्रेस 

रामनवमी के शुभ अवसर पर दिनाक 10 अप्रैल 2022 को भारत अध्ययन केन्द्र , काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सभागार में डॉ ० आभा मिश्रा पाठक ( एसोसिएट प्रो ० म ० म ० वि ० , का ० हि ० वि ० ) द्वारा संपादित भारतीय कला , साहित्य एवं परम्परा में राम पुस्तक का विमोचन मुख्य अतिथि माननीय पदमश्री पं ० राजेश्वराचार्य जी के करकमलों द्वारा किया गया जिसमें अध्यक्षीय उद्बोधन प्रो ० मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी द्वारा किया गया ।

विशिष्ट अतिथि प्रो ० विजयशंकर शुक्ला तथा प्रो ० सदाशिव द्विवेदी ने अपने विचार रख । प्रस्तुत पुस्तक में पुरातत्व साहित्य तथा परम्परा के मानक प्रमाणों में सामने रखते हुये " राम " उदात्त चरित रामसेतु रामायण के वैज्ञानिक अनुसंधान की आवश्यकता पर चर्चा की गयी है । कला इतिहास , पुरातत्व तथा साहित्य के प्रमुख विद्वानों के आलेख इस पुस्तक में समाहित है इनमें प्रो . दीनबन्धु पाण्डेय , प्रो . मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी , प्रो . सदाशिय द्विवेदी , प्रो . ईश्वरशरण विश्वकर्मा , प्रो . विजयशंकर शुक्ला , प्रो . आर . पी . पाण्डेय , डॉ . उषा शुक्ला आदि के नाम उल्लेखनीय है ।

लोकार्पण समारोह में मुख्यातिथि डॉ . राजेश्वराचार्य ने कहा कि राम भारतीय जनमानस के कण - कण में उपस्थित है । जीवन का प्रत्येक पक्ष भगवान राम के जीवनचरित से भरा है । राम के अस्तित्व पर प्रश्न उठाना सबसे बड़ी बेइमानी होगी । श्री अरुण कुमार बागला ने रामचरितमानस के अनुसार रामजन्म के महत्त्व का प्रकाशन किया । श्रीराम भी गुरुकृपा के महत्व को शिरोधार्य करते हैं । माता की आज्ञा उनके लिए सर्वोपरि रही । प्रो . विजय शंकर शुक्ल ने भगवान राम के अस्तित्व पर ज्योतिष की दृष्टि से विचार किया वाल्मीकि रामायण में त्रेतायुग में रामजन्म के समय की ग्रहस्थिति राम के समय को निश्चित करती है ।

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो . मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी ने मर्यादापुरुषोत्तम के रूप में भगवान राम की लोक में प्रतिष्ठा को उकेरा । डॉ . आभा मिश्रा पाठक ने लोकार्पित ग्रन्थ का परिचय प्रदान किया तथा अभ्यागत अतिथियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की अभ्यागतों का स्वागत भारत अध्ययन केन्द्र के समन्वयक प्रो . सदाशिव कुमार द्विवेदी ने तथा संचालन डॉ . ज्ञानेन्द्र नारायण राय ने किया । लोकार्पण समारोह में विश्वविद्यालय के अनेक प्राध्यापक , छात्र तथा छात्राएँ उपस्थित रहे ।

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