महादेव पीजी कॉलेज के फर्जीवाड़े का मामला आया सामने, बोधिसत्व फाउंडेशन ने कार्यवाही की की मांग
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महादेव पीजी कॉलेज पर लगा फर्जीवाड़े का मामला आया सामने, बोधिसत्व फाउंडेशन ने कार्यवाही की की मांग
वाराणसी के पराड़कर भवन में आज बोधिसत्व फाउंडेशनद्वारा प्रेस वार्ता के माध्यम से महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से संबद्ध महादेव महाविद्यालय के मान्यता, कूटरचित दस्तावेजों के आधार किये गये फर्ज़ीवाड़ा पर पीड़ित संतोष सिंह, संदीप कुमार सिंह, प्रवीण कुमार सिंह, राहुल सिंह और बोधिसत्व फाउंडेशन की महासचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार श्वेता रश्मि ने महादेव के फर्जीवाड़े से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेजों को मीडिया के सामने रिलीज़ किया।
प्रेस वार्ता में स्वेता रश्मि ने बताया कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मान्यता लेकर चलने वाले महादेव महाविद्यालय के द्वारा कुटरचित दस्तावेजों पर विश्वविद्यालय से NOC और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) से फ़र्ज़ी दस्तावेजों पर मान्यता ली है, जिसे NCTE के द्वारा चिन्हित करते हुये फाइनल SCN जारी किया गया है 17 सितंबर 2021 से। NCTE से मान्यता लेकर बीएड चलाने के लिए जमीन के रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट चाहिए जो महादेव महाविद्यालय के पास नहीं है।
काशी विद्यापीठ को भी बीएड की NOC देने के लिये रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट चाहिए जो विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध नहीं है। अतः ऐसे में बीएड के लिए दी गई NOC राजभवन के रूल रेगुलेशन के मुताबिक रद्द होनी चाहिए। क्योंकि बिना रजिस्टर्ड लैंड डॉक्यूमेंट और विवादास्पद जमीन पर बीएड नहीं चल सकता है। और कॉलेज की मान्यता लेने के लिए राजभवन के कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया है जो RTI में साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध करवाये गये है।
जिसे 2022 में काशी विद्यापीठ की रजिस्ट्रार सुनीता पांडेय ने जारी किया है पड़ताल करने पर ये दस्तावेज भी कूटरचित पाये गये है। जिस जमीन का विवाद है उस जमीन पर आज भी उसके वास्तविक मालिकों के नाम राज्य के राजस्व विभाग की सूची में देख सकते है। महादेव महाविद्यालय के पास आज भी जमीन नहीं कॉलेज चलाने के लिए 2018 से इसके मालिकों के द्वारा इस फर्जीवाड़े पर कारवाई के साथ न्याय की लड़ाई लड़ी जा रही है।
जाली दस्तावेज और कूटरचित के आधार पर बीएड की मान्यता दिल्ली NCTE से ली गई है NCTE के द्वारा जांच में महाविद्यालय के द्वारा मान्यता लेने के लिए जाली दस्तावेजों की पहचान की गई। NCTE ने काशी विद्यापीठ को NOC रद्द करने को था जिसपर आजतक कोई कारवाई नहीं कि गई और सैकड़ों बच्चों के भविष्य पर तलवार लटकी हुई है। इतना ही नहीं जिनकी जमीनों पर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है उनके परिवार के बेटे की हत्या हो चुकी है जिसपर CBCID जांच बैठी हुई है।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ लगातार इसपर चुप्पी लगा कर बैठी है जबकि रजिस्टार सुनीता पांडेय को फाउंडेशन की तरफ से 2020 से लगातार शिकायते और पत्र सौंपे जा रहे है। तहसील के स्तर पर लेखपाल और कानूनगों और SDM इस फर्जीवाड़े को लगातार प्रोत्साहन दे रहे है।
स्वेता ने योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर के साथ जिला अध्यक्ष और नए MLC हँसराज विश्वकर्मा पर आरोप लगते हुआ यह भी कहा कि आरोपी महादेव पीजी कालेज के के प्रबंधक के अजय सिंह को संरक्षण प्राप्त है। अजय सिंह ना केवल भू माफिया है बल्कि एक शातिर अपराधी भी है शिक्षा माफियाओं में उसका नाम शहर के चर्चित रहा है व शिक्षा माफियाओं के साथ है।
योगी और मोदी सरकार के 9 वर्ष की उपलब्धि ये है कि तमाम वादे और कानून व्यवस्था के होते हुये इस भू माफिया और शिक्षा माफिया पर नकेल कसने की जगह योगी के मंत्री इसको बचाने में लगे है ।
साथ ही उन्होंने योगी सरकार से यह भी मांग की उपरोजकत प्रकरण में निष्पक्ष तथा स्वतंत्र जाँच एजेंसी से जाँच कर भी कार्यवाही की जा सकती है उन्होंने अपने आरोपों के संबंध में तमा अभिलेखीय साक्ष्य भी प्रस्तुत किया है
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