दिव्य कला मेला मैदान वाराणसी में हुआ हिंदी का शंखनाद।
वाराणसी, के टाउन हॉल पार्क में चल रहे दस दिवसीय दिव्य कला मेले में 11.00 बजे हिंदी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में हिंदी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उमेश कुमार सिंह ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। डॉ. सिंह ने राजभाषा हिंदी तथा भारतीय भाषाओं के बीच आपसी समन्वय की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज ऑक्सफोर्ड शब्दकोश में 700 से अधिक भारतीय शब्द शामिल हो चुके हैं। आज हमें अंग्रेजी के अख़बारों में चटनी, जंगल धरना, घेराव, भेलपुरी, बदमाश, झुग्गी, हवाला, चमचा जैसे शब्द सहज रूप से देखने को मिलते हैं।
दिव्य कला मेला मैदान वाराणसी में हुआ हिंदी का शंखनाद।
हिंदी के साथ साथ सभी भारतीय भाषाओं को भी साथ लेकर चलना है : नवीन शाह
बेस्ट सेल तथा बेस्ट परचेज के लिए पुरस्कार दिया जाएगा।
वाराणसी में पहली बार हुआ ‘दिव्यांगजन का महाकुंभ’
वाराणसी, 16.09.2023
वाराणसी, के टाउन हॉल पार्क में चल रहे दस दिवसीय दिव्य कला मेले में 11.00 बजे हिंदी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में हिंदी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उमेश कुमार सिंह ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
डॉ. सिंह ने राजभाषा हिंदी तथा भारतीय भाषाओं के बीच आपसी समन्वय की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज ऑक्सफोर्ड शब्दकोश में 700 से अधिक भारतीय शब्द शामिल हो चुके हैं। आज हमें अंग्रेजी के अख़बारों में चटनी, जंगल धरना, घेराव, भेलपुरी, बदमाश, झुग्गी, हवाला, चमचा जैसे शब्द सहज रूप से देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि आज 25 लाख भारतीय शब्द हमारे पास हैं, जिनमें से 8 लाख हिंदी शब्द इंटरनेट पर मौजूद हैं यह हिंदी, संस्कृत और भारतीय भाषाओँ की ऊर्जा और क्षमता है।
उन्होंने बताया कि बड़ौदा नरेश की आज्ञा से 'सयाजी शासन कल्पतरु' शीर्षक से प्रशासनिक शब्दकोष तैयार किया गया था। उन्होंने एनडीएफडीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक की प्रशंसा करते हुए कहा कि उच्च अधिकारी जिस प्रकार से दिव्यांगजन के विकास कार्यक्रमों के साथ भाषा को भी महत्व दे रहे हैं यह वाकई हर्ष का विषय है। भारत में यदि किसी उत्पाद को बेचना है तो हिंदी के बिना उसका विपणन संभव ही नहीं है।
यही वजह थी कि कोका कोला, पेप्सी या अन्य बहुराष्ट्रीय विदेशी कंपनियों को भी भारत में अंग्रेजी का मोह छोड़कर हिंदी में अपने विज्ञापन चलाने पड़े। उन्होंने राजभाषा की संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जब हम गुलाम मानसिकता को छोड़कर अपनी संस्कृति और भाषाओं को महत्व देंगे तभी हम विकसित देश बन सकते हैं।
इस अवसर पर दिल्ली से पधारे आयुर्वेदाचार्य डॉ. दयांनंद शर्मा ने मेले में उपस्थित दिव्यांगजन, विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के अधिकारियों को स्वस्थ रहने के टिप्स बताए।
उन्होंने दिव्यांगजन को होने वाली शारीरिक तथा मानसिक समस्याओं को दूर करने के लिए कई सरल उपाय बताए। उन्होंने ‘मित भुक’ अर्थात् भूख से कम खाना, ‘हित भुक’ अर्थात हितकारी सात्विक खाना और ‘ऋत भुक’ अर्थात् ऋतु के अनुसार न्यायोपार्जित खाना खाने तथा रोगों से बचने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए आह्वान किया। कार्यक्रम की रोचकता की वजह से दिव्यांगजन तथा विभिन्न अधिकारी माहौल के साथ बढ़ती तपिश के बावजूद खुले मंच पर जुटे रहे।
दिव्यांगजन को कोई असुविधा न हो इसके लिए मेला स्थल पर बनाए गए वीआईपी रूप में हिंदी निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस मौके पर नेशनल दिव्यांगजन फाइनेंस एंड डिवैल्पमेंट कार्पोरेशन(एनडीएफडीसी) के मुख्य प्रबंधक श्री अरुण कुमार ने बताया कि अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के अनुमोदन से निगम में 1 सितंबर, 2023 से 30 सितंबर, 2023 तक राजभाषा माह मनाया जा रहा है। निगम के दिल्ली स्थित कार्यालय के अलावा दिव्य कला मेला, वाराणसी में भी कई हिंदी प्रतियोगिताएं आयोजित की गई हैं।
एनडीएफडीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री नवीन शाह ने बैठक में उपस्थित दिव्यांगजन से संवाद करते हुए बताया कि दिव्य कला मेले में आकर सामान खरीदने वाले ग्राहकों को पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि समापन समारोह में डेली बेस्ट सेल तथा बेस्ट परचेज के अलावा टोटल बेस्ट सेल तथा बेस्ट परचेज के लिए पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने मेले में आने वाले आगंतुकों से अनुरोध किया
कि वे दिव्यांग उद्यमियों, शिल्पकारों, कलाकारों का हौंसला बढ़ाने के लिए अपने परिजनों के साथ आएं तथा इस विशेष मेले में आए दिव्यांगजन के यूनिक प्रोडक्ट्स की अधिक से अधिक खरीददारी करें। उन्होंने दिव्यांगजन की समस्याओं का तत्काल निराकरण भी किया। दिव्यांगजन से आगामी मेलों के बारे में सुझाव भी मांगे गए। गौरतलब है कि यह मेला देश भर में आयोजित किए जा रहे दिव्य कला मेलों की शृंखला का सातवाँ मेला है।
एनडीएफडीसी के महाप्रबन्धक डॉ. विनीत राणा ने बताया कि एनएचएफडीसी फाउंडेशन ने दिव्यांगजन के प्रॉडक्ट्स की मार्केटिंग के लिए एक वेबसाइट बनाई है जिसके माध्यम से दिव्यांगजन के उत्पादों का प्रदर्शन तथा बिक्री की जा रही है। मेले में दिव्यांगजन के प्रॉडक्ट्स की फोटोग्राफी करते हुए कैटेलॉग बनाई जा रही है। मेले में चल रही गतिविधियों को आम जनता तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया अभियान का सहारा भी लिया जा रहा है।
उन्होंने एनडीएफडीसी के सोशल मीडिया हैंडल्स (@ndfdcindia) को लाइक शेयर तथा कमेंट्स के ज़रिए आगे बढ़ाने की अपील भी की। उन्होंने बताया कि आज शाम को नृत्य गायन के विभिन्न कार्यक्रमों के अलावा डांस इण्डिया डांस से फेमस हुए दिव्यांग आर्टिस्ट कमलेश पटेल द्वारा मंच पर परफॉर्म किया जाएगा।
यह मेला दिव्यांगजन सश्क्तिकरण विभाग, भारत सरकार द्वारा आयोजित किया गया है। एनडीएफडीसी इस मेले की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है।
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