सिंगापुर और स्पेन में श्रीकृष्ण भक्तों को खूब भा रही काशी की काष्ठ कला
वाराणसी, 17 अगस्त। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनायी जाएगी। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में इन दिनों जन्माष्टमी की धूम है। अहम बात यह है कि कृष्ण भक्ति में ओत-प्रोत विदेशी आस्थावान भी जन्माष्टमी की झांकी सजाने के लिए बनारस के लकड़ी के खिलौनों की डिमांड कर रहे हैं। इससे जहां एक ओर काशी के लकडी के खिलौना उद्योग को बल मिला है, वहीं रोजगार के नये अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
सिंगापुर और स्पेन में श्रीकृष्ण भक्तों को खूब भा रही काशी की काष्ठ कला
- जन्माष्टमी की झांकी के रूप में धूम मचा रही बनारस की काष्ठ कला
- विदेशों में भी बढ़ी जीआई टैग और ओडीओपी उत्पाद की मांग
- लकड़ी पर उकेरी गई 45 पीस की जन्माष्टमी की झांकी को किया जा रहा काफी पसंद
- विदेशों से आ रही डिमांड पूरी करने के लिये 3 महीने से जुटे हैं 80 से ज्यादा शिल्पी
वाराणसी, 17 अगस्त। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनायी जाएगी। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में इन दिनों जन्माष्टमी की धूम है। अहम बात यह है कि कृष्ण भक्ति में ओत-प्रोत विदेशी आस्थावान भी जन्माष्टमी की झांकी सजाने के लिए बनारस के लकड़ी के खिलौनों की डिमांड कर रहे हैं। इससे जहां एक ओर काशी के लकडी के खिलौना उद्योग को बल मिला है, वहीं रोजगार के नये अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
शिव की नगरी वाराणसी दुनियाभर में अपने लकड़ी के उत्पादों के लिये चर्चा में है। जन्माष्टमी पर सजायी जाने वाली झांकी के लिये लकडी के उत्पादों को देश ही नहीं विदेशों में भी खूब पसंद किया जा रहा है। सच ये है कि जीआई टैग और ओडीओपी उत्पाद की श्रेणी में आने के बाद बनारस के लकड़ी के खिलौना उद्योग को नई उड़ान मिल रही है। इस उद्योग से जुडी महिलाओं को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिल रहा है।
बनारस का लकड़ी का खिलौना उद्योग दिनोंदिन बड़ा होता जा रहा है। यहां के काष्ठ शिल्पियों की हुनर का ही कमाल है कि जन्मष्टमी पर झांकी सजाने के लिये लकड़ी पर उकेरी गई 45 पीस की पूरी सामग्री आपको एक साथ मिल जाएगी। लकड़ी के लड्डू गोपाल भी खूब पसंद किये जा रहे हैं, जो हस्तशिल्पियों के हुनर का बेजोड़ नमूना है। इससे आप जन्माष्टमी की पूरी झांकी सजा सकते हैं। इसे प्राकृतिक रंगों से रंग कर और भी खूबसूरत बनाया गया है।
गुजरात, पुणे, बेंगलुरु, मुंबई सहित तमाम प्रदेशों और यहां तक कि सिंगापुर और स्पेन समेत कई देशों से इसके लिये ऑर्डर आ रहे हैं। पिछले तीन महीनों से इसकी मांग पूरी करने में 80 से अधिक शिल्पी जुटे हुए हैं, जिसमें अधिकतर महिलाएं हैं।
लकड़ी के खिलौना उद्योग से जुड़े बिहारी लाल अग्रवाल बताते हैं कि लगभग ख़त्म हो चुके लकड़ी के खिलौना उद्योग को पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से नया मुक़ाम मिला है। इसकी मांग देश और विदेशों में भी बढ़ी है, जिससे इस कला को और इससे जुड़े शिल्पियों को नया जीवन मिला है।
वाराणसी के संयुक्त आयुक्त उद्योग उमेश सिंह ने बताया कि पीएम और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से वाराणसी के लकड़ी खिलौना उद्योग का बाजार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा है। सरकार पैकिजिंग और मार्केटिंग के लिए बड़े पैमाने पर समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही है, साथ ही राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियां लगाकर नये बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
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