8 सौ वर्ष पुरानी बघेल वंश की परंपरा को कसौटा (शंकरगढ) के 34 वें राजा ने आज भी बरकरार रखा
8 सौ वर्ष पुरानी बघेल वंश की परंपरा को कसौटा (शंकरगढ) के 34 वें राजा ने आज भी बरकरार रखा
Anchor----- आठ सौ वर्ष पुरानी बघेल वंश की परंपरा को प्रयागराज जनपद के कसौटा (शंकरगढ) राजघराने के 34 वें राजा महाराव राजा महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा बरकरार रखा गया है, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश से आए सैकड़ों गांव के हजारों जनता ने विजय दशमी दशहरे के दिन नजराना पेश किया जो आठ सौ वर्ष पुरानी परंपरा है जो पुरानी है। यूपी एमपी के बार्डर पर बसा शंकरगढ (कसौटा) राजघराना जहां यूपी एमपी के सैकड़ों गांव की हजारों जनता शंकरगढ राजघराने के 34 वें राजा महाराव राजा महेंद्र प्रताप सिंह आज भी अपना राजा मानती है,जिसका कारण इनका मृदुभाषी स्वभाव,आज भी अपने जनता के सुख दुख में खड़े होते है राजा महेंद्र प्रताप सिंह।
दशहरे के दिन पूरे राजभवन को दुल्हन की तरह सजाया जाता है,सुबह सबसे पहले वर्तमान राजा महेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा अपने कुल देवता और अपने पूर्वजों की पूजा अर्चना की जाती है,जिससे पूरा राजभवन मंत्रोच्चार की गूंज जाता है,इसके पश्चात परंपरा के अनुसार अस्त्र शस्त्र एवं राजगद्दी की पूजा की जाती है।
रीवा रियासत के बाँटवारेदार शंकरगढ राजपरिवार देश का एक मात्र ऐसा राजपरिवार है जिसका आज भी जनता द्वारा दशहरे के दिन नजराना पेश किया जाता है। बघेल वंश के महाराजा ब्याघ्रदेव के पांचवें पुत्र राजा कंधरदेव को कसौटा (शंकरगढ)की विरासत मिली थी,जो 34 पीढ़ी पहले यूपी एमपी बार्डर के टोंस नदी के किनारे देवरा गांव में अपने राज्य की स्थापना किया था। शंकरगढ राजा घराने के 13 वें राजा शंकर सिंह ने शंकरगढ को अपना राज्य बनाकर हर जाति एवं धर्म के लोगों को बसाया। जो आज शंकरगढ नगरपंचायत के रूप में जाना जाता है। बघेल वंश का इतिहास 8 सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराना है,शंकरगढ राजघराने का 1857 के संग्राम में बहुत बड़ा योगदान रहा,शंकरगढ राजघराना में इस वक्त 36 वीं पीढ़ी चल रही है। जिसमे 34 वें पीढ़ी में वर्तमान राजा महेंद्र प्रताप सिंह,35 पीढ़ी युवराज शिवेंद्र प्रताप सिंह,36 पीढ़ी भंवर साहब व्यम्बकेश्वर प्रताप सिंह हैं।
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