तुलसीघाट पर विश्वप्रसिद्ध नाग नथैया की लीला हुई संपन्न, प्रभु श्री कृष्ण ने किया कालिया नाग का मर्दन

वाराणसी:- जिस कालिया नाग के चलते मथुरा वासियों में भय व्याप्त हो गया था और जिस कालिया नाग के चलते मथुरा में बहने वाली नदी का जल काला हो गया था। उसी कालिया नाग का भगवान मधुसूदन ने अपनी बाल लील के माध्यम से मान मर्दन किया और मथुरा वासियों के साथ साथ यमुना में रहने वाले जीवों को कालिया नाग के भय से मुक्त करते हुए अभय प्रदान किया। इसी लीला का मंचन तुलसी घाट पर काशी की विश्वविख्यात नाग नथैया लीला में हुआ। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला देखने के लिए भक्त दोपहर से ही घाटों की सीढि़यों पर जमे रहे।

तीन बजे से नाग नथैया की लीला का प्रारंभ हुआ जिसमें सबसे पहले घाट पर बनी व्यास चौकी पर व्यास लोगों ने भगवान की चौपाई शुरू की। भगवान कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा व अन्य मित्रों के साथ यमुना के किनारे गेंद खेल रहे थे। खेलते वक्त गेंद यमुना के जल में चली गई। भगवान ने गेंद लाने के लिए युमना में जाने की बात अपने मित्रों से कही। इस पर सुदामा ने कन्हैया को बताया कि यमुना नदी मे कालिया नाग रहता है जो बड़ा ही भयानक है और उसके भय से नदी में रहने वाले जलचर व पूरे मथुरावासी नदी के जल में प्रवेश नहीं करते हैं। भगवान कृष्ण ने मित्रो के मना करने के बावजूद गेंद लाने के लिए यमुना में छलांग लगा दी।

भगवान के यमुना में छलांग लगाने के साथ ही घाट पर मौजूद लीला प्रेमियों ने दोनों हाथ उठाकर हर हर महादेव का जयघोष किया। जल में कालिया नाग से भगवान का युद्ध हुआ। उसे हराने के बाद भगवान श्रीकृष्ण कालिया नाग के पीठ पर खड़े होकर बंशी बजाते हुए जल से बाहर निकले। इस अद्भुत लीला को देखकर घाट पर मौजूद सभी श्रद्धालु भाव विभोर हो गए ।

काशी की पारंपरिक नाग नथैया लीला में कुवंर अनन्त नारायण सिंह भी शामिल हुए। शाम को 4.30 बजे अपनी नाव से तुलसी घाट पर पहुंचे और नाग नथैया लीला को देखा।

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