झारखंड विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग से बहुत भारी चूक हुई है| आदिवासी नही बल्कि क्रिश्चियन बने जनजाति
झारखंड विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग से बहुत भारी चूक हुई है|आदिवासी नही बल्कि क्रिश्चियन बने जनजाति, एक दो नहीं करीब ग्यारह उम्मीदवार जनजाति आरक्षित ( ST ) सीट से चुनाव जीते हैं जो आदिवासी नही बल्कि क्रिश्चियन है|
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार चूंकि ईसाई धर्म में जाति व्यव्स्था नही होती है | ऐसे क्रिश्चियन जो आरक्षण का लाभ लेने के लिए खुद को आदिवासी बताते हैं यह दोहरा दावा स्वीकार्य नही है | सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक यह एक्ट ऑफ फ़्रॉड (Fraud) है| क्रिश्चियन को अनुसूचित जनजाति ( ST ) का आरक्षण नहीं मिल सकता |
मेरा सीधा सवाल है आखिर माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना करते हुवे चुनाव आयोग ने क्रिश्चियन उम्मीदवारों को आदिवासी (ST) आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने की इजाजत आखिर किस आधार पर और कैसे दे दी ?
यह बात मामूली नहीं है| एक आम आदमी चुनाव लड़ने के लिए आवेदन दे और फार्म भरते वक्त छोटी सी भुल हो जाए तो यही चुनाव आयोग उसका आवेदन रद्ध कर देता है|
आम आदमी को छोड़ दीजिए l देश को याद दिलाऊं कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनावी कदाचार का दोषी मानते हुए एक फैसला सुनाया था और उन्हें 6 साल के लिए सार्वजनिक पद पर रहने से अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके कारण देश में दो साल के लिए आपातकाल लागू कर दिया गया था।
मेरा स्पष्ट कहना है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में ECI से जो भारी चुक हुई है| इसकी उच्चस्तरीय जाँच होनी चाहिए ! जाँच उपरांत जनजाती (ST) आरक्षित सीट पर फ़्रॉड तरीके से चुनाव लड़ने वाले क्रिश्चियन उम्मीदवारों की उम्मीदवारी रद्द होनी चाहिए और चुनाव आयोग के नियमसम्मत कारवाई करते हूवे चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए |
- अरविंद मोदी साभार
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