31 दिसंबर को काशी में होगा मातृशक्ति का संगम, परिवार समाज और राष्ट्र का करेंगी चिंतन
काशी। शुक्रवार को लंका स्थित विश्व संवाद केंद्र काशी के कार्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता में 31 दिसंबर को काशी में मातृशक्ति संगम कार्यक्रम की जानकारी दी गई।
31 दिसंबर को काशी में होगा मातृशक्ति का संगम, परिवार समाज और राष्ट्र का करेंगी चिंतन
काशी। शुक्रवार को लंका स्थित विश्व संवाद केंद्र काशी के कार्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता में 31 दिसंबर को काशी में मातृशक्ति संगम कार्यक्रम की जानकारी दी गई।
बताया गया कि संघ के शताब्दी वर्ष 2025के उपलक्ष्य में पूरे देश भर में जागरूक महिलाओं का महासम्मेलन आयोजित हो रहा है। उसी क्रम में काशी प्रांत के सातो विभागों में मातृशक्ति संगम का आयोजन हो रहा है ,जिसमें पांच विभागों में यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है।दो विभाग काशी एवं प्रयागराज शेष है । काशी में इस बृहद मातृशक्ति संगम का आयोजन 31दिसम्बर दिन रविवार को स्वतंत्रता भवन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में होगा ।
इस सम्मेलन का उद्देश्य है महिला विषयक भारतीय चिन्तन की महत्ता पर प्रकाश डालना जिससे प्रत्येक "महिला"परिवार,समाज और राष्ट्र का चिंतन भारतीय दृष्टिकोंण से करे । प्रगतिशीलता के पथ पर हम भारतीय चिन्तन के साथ ही अग्रसर हों ,तभी एक सुसंकृत, समृद्ध और सशक्त राष्ट्र का निर्माण सम्भव है।
वैदिक वांग्मय में कहा गया है कि “नारी समाजस्य कुशल वास्तुकारा अस्ति” , अर्थात समाज और राष्ट्र निर्माण की कुशल शिल्पी है "नारी"।इसी भाव से प्रत्येक महिला को सोचना ,समझनाऔर कार्य करना होगा।
काशी में "मातृशक्ति संगम"31दिसम्बर को पूर्वाह्न 10बजे से स्वतंत्रता भवन "काशी हिन्दू विश्वविद्यालय" में सम्पन्न होगा। एक दिवसीय यह कार्यक्रम 3सत्रों में है।
प्रथम सत्र “भारतीय चिन्तन में महिला” और द्वितीय सत्र “भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका,”विषय सुनिश्चित है। दोनों सत्रों की मुख्य वक्ता क्रमश: आदरणीया ममता यादव जी राष्ट्रीय सह संयोजिका महिला समन्वय और आदरणीया वृशाली जोशी जी अखिल भारतीय संगठन मंत्री विश्वमांगल्य सभा तृतीय सत्र में उपस्थित "जागृत महिलाओं" के साथ प्रश्नोत्तरी एवम काशी में विभिन्न क्षेत्रों में समाज के लिए विशिष्ट कार्य करने वाली 12महिलाओं को सम्मानित भी किया जायेगा। साथ ही विशिष्ट भारतीय महिलाओं (प्राचीन से अर्वाचीन तक)की एक प्रेरणादाई प्रदर्शनी लगाई जायेगी तथा हस्तनिर्मित वस्तुओं के स्टाल भी लगेंगे ।
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सेवा में,
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