वाराणसी सिकरौरा कांड : सरकारी अधिवक्ता ने कहा - बरी किए गए माफिया MLC बृजेश सिंह के खिलाफ सजा के लिए पर्याप्त सबूत

इलाहाबाद हाईकोर्ट में 1986  में तत्कालीन जिला क्षेत्र वाराणसी के बलुआ थाना अंतर्गत सिकरौरा कांड मामले में शुक्रवार को भी सुनवाई जारी रही। तकरीबन एक घंटे तक चली सुनवाई में अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव ने सरकार का पक्ष रखा। कहा कि बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ सजा के लिए  पर्याप्त सबूत  का होना बताया हैं। ट्रायल कोर्ट का फैसला सही नहीं है। कोर्ट ने समयाभाव से सुनवाई को सोमवार तक के लिए टाल दिया।

वाराणसी सिकरौरा कांड : सरकारी अधिवक्ता ने कहा - बरी किए गए माफिया MLC  बृजेश सिंह के खिलाफ  सजा के लिए  पर्याप्त सबूत

वाराणसी सिकरौरा कांड : सरकारी अधिवक्ता ने कहा - बरी किए गए माफिया MLC  बृजेश सिंह के खिलाफ  सजा के लिए  पर्याप्त सबूत

इलाहाबाद हाईकोर्ट में 1986  में तत्कालीन जिला क्षेत्र वाराणसी के बलुआ थाना अंतर्गत सिकरौरा कांड मामले में शुक्रवार को भी सुनवाई जारी रही। तकरीबन एक घंटे तक चली सुनवाई में अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव ने सरकार का पक्ष रखा। कहा कि बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ सजा के लिए  पर्याप्त सबूत  का होना बताया हैं। ट्रायल कोर्ट का फैसला सही नहीं है। कोर्ट नसमयाभाव से सुनवाई को सोमवार तक के लिए टाल दिया।

इसके पहले सुनवाई शुरू होते ही सरकारी की ओर से दलील शुरू की गई। कहा गया कि घटना के किसी भी गवाह से ऐसा कोई सुझाव नहीं लिया गया कि डकैतों ने हत्या की है। डकैती का कोई साक्ष्य पत्रावली पर नहीं है। इसलिए इसका सहारा नहीं लिया जा सकता है कि इस घटना को डकैतों ने अंजाम दिया है। इसके अलावा गवाहों का सीधा आरोप है। घटना स्थल से माफिया बृजेश सिंह खुद पकड़ा गया है। जांच अधिकारी के बयान में यह बात साफ आई है कि बृजेश सिंह को घटना स्थल से ही पकड़ा गया है। फिलहाल बहस पूरी न होने से कोर्ट ने सुनवाई को आगे के लिए टाल दिया।


इस घटना का महत्वपूर्ण पहलु यह भी है कि भी है की बृजेश सिंह और उसके गिरोह के सदस्यों ने अपने ऊंचे राजनीतिक पहुंच और न्यायिक व्यवस्था में सेधमारी करते हुए घटना से संबंधित विवेचना की सभी पत्रावलियां गायब कर दी  गयी थी जिसके कारण सरकारी रिकॉर्ड में यह मुकदमा दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा था और बृजेश सिंह की गिरफ्तारी के बाद भी इस मुकदमे में बृजेश सिंह कारिमांड  नहीं बन रहा था लेकिन इसी दौरान इस मुकदमे की वादिनी हीरावती देवी ने समाजसेवी लेखक साहित्यकार  चिंतक राकेश न्यायिक से मिलकर उनको अपना विधि  पैरोकार नियुक्त किया उसके बाद इस मुकदमे में तेजी आई और उच्च न्यायालयइलाहाबाद के  हस्तक्षेप के बाद अब यह मुकदमा अपने मंजिल के तरफ  बढ़ा तो उस समय यह अखबारों की खूब सुर्खिया बना  रहा है  और ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी किये जाने को चुनौती दी गयी और उच्च न्यायालय के मुख्य न न्यायमूर्ति प्रीति कर दिवाकर के न्यायालय में  सुनवाई  प्रतिदिन चल रही है जिससे पीड़िता हीरावती देवी जिन्होंने अपने परिवार के 7  लोगों की निर्ममता  पूर्वक हो रही हत्या को अपनी आंखों के सामने देखा था उनकी आंखों के आंसू रट रट  सूख गया है और आंखें पथरा गई है लेकिन जब हीरावती देवी वाराणसी के प्रमुख समाजसेवी लेखक साहित्यकार चिंतक राकेश न्यायिक से मुलाकात की और राकेश न्यायिक के अथक प्रयास से या मुकदमा  पुनः  शुरू हो पाया और उसे दौरान राकेश न्यायिक और हीरावती देवी अखबारों की सुर्खियां बनी 


तो वहीं दूसरी तरफ इस मुकदमे के पैरों कार   प्रसिद्ध समाजसेवी लेखक साहित्यकार चिंतक राकेश न्यायिक ने  बताया कि    इस तरह की घटना को जघन्यतम सेजघन्यतम   अपराध की श्रेणी में मानते  है  और स्पष्ट तौर से कहा कि इस मुकदमे में आने वाला निर्णय एक मील का पत्थर साबित होगा तथा माफियाओं के मन में न्यायपालिका का डर और खौफ पैदा करेगालम्बी लम्बी लड़ाई में कई बार राकेश न्यायिक को कई मानसिक आर्थिक तनाव भी झेलना पड़ा और उन्होंने पोस्टर जारी कर जनता से सहुआग और समर्थन माँगा लेकिन तमां झंझवतो के बाद भी  वि  टूटे नहीं  और आज पीड़ितों कोन्याया की उम्म्द जगी है की यन्यायलट इस पूरी घटना को जघन्यतम से जघन्यतम मानते हुए आरोपियों खासकर बृजेश  सिंह को फांसी की सजा सुनाएगी,

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